सदियों से आयुर्वेद में अश्वगंधा (Ashwagandha) को एक कारगर औषधी माना जाता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जिस कारण इसका इस्तेमाल हृदय रोग, डायबिटीज, एनीमिया से लेकर कैंसर तक की रोकथाम में किया जाता है।
इसे इंडियन जिनसेंग के नाम से भी जाना जाता है, और यहाँ इसकी खेती राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में होती है।
बाजार में अश्वगंधा (Ashwagandha) काफी ऊँची कीमत पर मिलती है, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि, आप इसे गमले में कैसे उगा सकते हैं, और अपनी इम्यूनिटी को बढ़ा सकते हैं।
इस कड़ी में, हैदराबाद में अपनी छत पर 600 से अधिक पौधों की बागवानी करने वाली दर्शा साई लीला बतातीं हैं, “अश्वगंधा को बीज से उगाया जाता है, जो बाजार में काफी आसानी से मिल जाता है। इसका पौधा गर्मियों में तेजी से बढ़ता है और इसके लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है।”
वह बताती हैं कि यदि आप अश्वगंधा को गमले में उगा रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि इसमें ज्यादा पानी जमा न हो, अन्यथा पौधे के सूखने का डर रहता है।
उनके अनुसार, इसे रोपाई विधि से तैयार करना सबसे अच्छा है। बीज को मिट्टी में लगाने के बाद, इसे बालू से ढंक देना चाहिए। इससे बीज को अंकुरित होने में आसानी होती है।
वह कहतीं हैं, “बीज लगाने के 6-7 दिनों के बाद, छोटे-छोटे पौधे निकल आते हैं। करीब 4 हफ्ते में पौधा गमले में लगाने योग्य हो जाता है।”
पौधों को बढ़ने में दिक्कत न हो, इसके लिए सुनिश्चित करें कि दो पौधों के बीच कम से कम 60 सेमी की दूरी हो। इससे पौधों को मिट्टी से समान पोषण मिलेंगे।
मिट्टी कैसी होनी चाहिए
दर्शा के अनुसार, अश्वगंधा के लिए रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त है। मिट्टी का पीएच स्तर यदि 7.5 – 8 हो, तो बेहतर है।
यदि मिट्टी की गुणवत्ता अच्छी नहीं है, तो इसके लिए खाद का इस्तेमाल किया जा सकता है। ध्यान रखें कि गमले में कोई खरपतवार न हो।
पानी की कितनी होती है जरुरत
अधिक सिंचाई से पौधा सूख सकता है। यदि आपके यहाँ का तापमान 40 डिग्री से अधिक है, तो आप 5 दिन में सिंचाई कर सकते हैं। जहाँ का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, वहाँ सिंचाई 8-10 दिनों के बाद ही करें। बस इतना ध्यान रखें कि थोड़ी नमी बनी रहे, और मिट्टी में दरार न आये।
तापमान
अश्वगंधा के लिए 25-30 डिग्री का तापमान सबसे अच्छा है। आप यदि इससे कम या अधिक तापमान वाले क्षेत्र में रहते हैं, तो भी इसे उगाया जा सकता है। लेकिन, पौधे का विकास थोड़ा धीरे होता है।
साथ ही, यदि आप इसे बेहद ठंडे क्षेत्रों में उगा रहे हैं, तो गमले को घर के अंदर रखें, जहाँ ताप 10-15 डिग्री हो।
गमला कैसा होना चाहिए
- अश्वगंधा (Ashwagandha) उगाने के लिए 7-10 इंच व्यास का गमला होना चाहिए। गमले को किसी ऊँचे स्थान पर रखना चाहिए। अतिरिक्त पानी के निकास के लिए इसमें छेद कर दें।
- गमले के ⅓ हिस्से में मिट्टी भरें, और पौधा गमले के बीचों-बीच लगाएं।
- शुरुआती 2-3 दिनों तक, पौधों को सीधी धूप से बचाएं। इसके बाद, ऐसे जगह पर रखें जहाँ उसे 6 घंटे से अधिक धूप मिल सके।
खाद और कीटनाशक
अश्वगंधा (Ashwagandha) के लिए वर्मीकम्पोस्ट, गोबर की खाद आदर्श है। चूंकि, अश्वगंधा का इस्तेमाल एक औषधि के रूप में किया जाता है। इसलिए रसायनों के इस्तेमाल से बचें।
यदि आपने मिट्टी को तैयार करते समय ही खाद दे दिया है, तो बाद में इसकी कोई जरुरत नहीं है। ध्यान रखें कि अधिक खाद से पौधे को नुकसान हो सकता है।
वहीं, कीटनाशक के तौर पर, नीम ऑयल या हल्दी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कटाई
दर्शा बतातीं हैं कि अश्वगंधा के पौधे को तैयार होने में करीब 160-180 दिन लगते हैं। जब इसकी पत्तियाँ सूखने लगती हैं, और फल लाल होने लगते हैं, तो समझ लेना चाहिए कि, अब इसकी कटाई का समय आ गया है।
वह बतातीं हैं कि हमारे द्वारा अश्वगंधा की जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे निकालने के लिए, पहले मिट्टी को गीला कर दें, इससे पूरी जड़ें एक ही बार में बाहर आ जाएँगी।
इसके बाद, सभी जड़ों को ठीक से धोकर 7-10 सेमी के छोटे टुकड़े कर देने चाहिए। धूप में सूखाने के बाद इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, फलों को सुखाकर अगले मौसम में लगाने के लिए संरक्षित किया जा सकता है।
संपादन – प्रीति महावर
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