आज एलोवेरा का इस्तेमाल त्वचा और बालों की देखभाल करने से लेकर पथरी, डायबिटीज जैसी कई बीमारियों में उपचार के तौर पर किया जाता है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में इसे घृतकुमारी, ग्वारपाठा, घीग्वार जैसे नामों से जाना जाता है।
एलोवेरा में अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में होती है और विटामिन बी-12 होने की वजह से यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
एलोवेरा एक ऐसा औषधीय पौधा है, जिसे गमले में भी काफी आसानी से उगाया जा सकता है। आज उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रहने वाले दीपांशु धरिया, जो अपने घर में 3000 से अधिक पौधों की बागवानी करते हैं, बताएंगे कि गमले में एलोवेरा उगाने के लिए किन तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
दीपांशु बताते हैं, “गमले में एलोवेरा उगाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप इसकी मिट्टी को कैसे तैयार कर रहे हैं। इसके तहत आपको ध्यान रखना होगा कि एलोवेरा की जड़ें काफी कोमल होती हैं, इसलिए इसे ठोस मिट्टी में लगाने के बजाय, इसकी मिट्टी को 60 प्रतिशत बगीचे की मिट्टी, 20 प्रतिशत बालू और 20 प्रतिशत गोबर के खाद से मिलाकर बनाएं।”
वे बताते हैं, “एलोवेरा में काफी मात्रा में पानी मौजूद होता है, इसलिए मिट्टी में सिर्फ नमी बना कर रखें, नहीं तो पौधा गल जाएगा।”
दीपांशु बताते हैं कि एलोवेरा के पौधे को तैयार होने में अधिकतम छह महीने का समय लगता है, इसके बाद गमले में छोटे-छोटे पौधे उगने लगते हैं। जब यह 2-3 इंच का हो जाए, तो इसे सावधानी से उखाड़ कर दूसरे गमले में लगा दें और 3-4 दिनों तक धूप से बचा कर रखें। इस तरह, आपका दूसरा पौधा तैयार हो जाएगा।
दीपांशु बताते हैं कि एलोवेरा को किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है, बस ध्यान रखें कि इसे पर्याप्त धूप मिल रही है, अन्यथा पौधों के गलने की संभावना रहती है।
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