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Grow Guava: गमले में अमरूद उगाना है आसान, बस अपनाएं ये तरीके

Grow Guava

भारत में अमरूद (Guava) की खेती आम है। इसमें विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह विटामिन ‘ए’, ‘बी’ और ‘ई’ के साथ-साथ, आयरन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और कैल्सियम जैसे कई पोषक तत्वों का भी स्त्रोत है। इसी वजह से यह कब्ज, त्वचा, किडनी और हृदय संबंधी रोग से लेकर कैंसर तक की रोकथाम में कारगर है।

साथ ही, लोग अमरूद के पत्तों से काढ़ा भी बनाते हैं, जिसके इस्तेमाल से दाँत के दर्द में राहत मिलती है।

इसके अलावा, अमरूद से चटनी, जैम, कैंडी जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। यह मूलतः जमीन पर उगने वाली फसल है, लेकिन आज छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में 200 से अधिक पौधों की बागवानी करने वाली ईश्वरी भोई हमें बता रहीं हैं कि, किस तरह बेहद आसान तरीके से गमले में भी अमरूद को उगाया जा सकता है।

ईश्वरी की छत पर लगा अमरूद

ईश्वरी ने द बेटर इंडिया को बताया, “आज बाजार में कई किस्म के अमरूद पाए जाते हैं, जिन्हें गमले में आसानी से उगाया जा सकता है। लेकिन, मैं बीजू अमरूद को अपने घर में ही, ‘एयर लेयरिंग टेक्निक’ से तैयार करती हूँ।”

उनके अनुसार, अमरूद के पौधों को तीन तरीकों से विकसित किया जा सकता है –

एयर लेयरिंग और ग्रॉफ्टिंग तकनीक से, अमरूद के पौधों को तैयार करना सबसे आसान है और इससे फल जल्दी आने लगते हैं। वहीं, बीज से पौधा तैयार होने में, कम से कम 2-3 वर्ष लगते हैं। इसलिए, यहाँ हम आपको एयर लेयरिंग और ग्रॉफ्टिंग तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं।

एयर लेयरिंग तकनीक से कैसे तैयार करें अमरूद

ईश्वरी बताती हैं, “इस तकनीक से पौधा सबसे जल्दी तैयार होता है। इसके तहत किसी पेड़ की पुरानी टहनी को चाकू से करीब 1 इंच छीलकर, उसके चारों ओर मिट्टी और गोबर का पेस्ट लगाया जाता है। फिर, उसे प्लास्टिक से कवर कर, धागे से बाँध दिया जाता है।”

वह बताती हैं कि, इस तकनीक में टहनी पेड़ से ही जुड़ी होती है। इस वजह से उसे खाद-पानी आसानी से मिल जाता है और 30-45 दिन में टहनी में पर्याप्त जड़ें निकल आती है, जिसे आप नीचे से काट कर गमले या जमीन, कहीं भी लगा सकते हैं।

ईश्वरी के अनुसार, इसके लिए बारिश का मौसम अच्छा है, क्योंकि इस दौरान पौधों को पानी की कमी नहीं होती है। लेकिन, आप अमरूद के पेड़ के लिए, समुचित पानी की व्यवस्था कर, किसी भी मौसम में पौधा तैयार कर सकते हैं।

वह बताती हैं कि, पौधा लगाने के एक महीने बाद, इसमें कई पत्तियाँ निकल आती हैं और यह खुद को आसानी से सस्टेन करने लायक हो जाता है। वहीं, इसमें 2-3 महीने में कुछ फल भी आने लगते हैं।

ग्रॉफ्टिंग तकनीक से कैसे तैयार करें पौधा

ईश्वरी बताती हैं, “इसके लिए किसी ऐसे पेड़ की टहनी को काट लीजिए, जिसमें अधिक फल लगते हों या उसका स्वाद बेहद खास हो। फिर, किसी पौधे और उस टहनी को 6 इंच तिरछा काट, एक-दूसरे से जोड़ दीजिए।”

वह आगे बताती हैं, “इसमें नमी बनाए रखने के लिए, चारों ओर फेवीकोल लगा दें। फिर, इसे प्लास्टिक से कवर कर दें। इस विधि से, एक महीने में पत्ते निकलने लगते हैं और इसे ठीक से तैयार होने में कम से कम छह महीने लगते हैं।”

कैसे करें मिट्टी तैयार

हालांकि, अमरूद उगाने के लिए हर मिट्टी अनुकूल है। लेकिन, यदि आप गमले में लगा रहे हैं, तो बगीचे की मिट्टी बेहतर है।

ईश्वरी के अनुसार, इसके लिए गमला कम से कम 12 इंच का हो, तो अच्छा है। इससे पौधे की जड़ें ठीक से विकसित होंगी। 

वह बताती हैं कि, यदि गमले में आधी मिट्टी और आधा गोबर का खाद मिलाया जाए, तो इससे पौधा काफी तेजी से विकसित होता है।

कैसे करें देखभाल

ईश्वरी हर 15 दिन में, गमले में नीम या सरसों की 50-100 ग्राम खली देने की सलाह देती हैं। इससे पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व मिलता है। 

इसके अलावा, छाछ के पानी में 5-6 दिनों तक किसी तांबे के टुकड़े को रखने बाद, वह ताम्र छाछ बन जाता है। जिसे ‘लिक्विड फर्टिलाइजर’ के रूप में इस्तेमाल करने के साथ-साथ, स्प्रे भी किया जा सकता है। जिससे पौधे में कोई कीट नहीं लगेंगे।

अपने पति के साथ ईश्वरी

वह बताती हैं कि, यदि पौधे में कीट लग रहे हैं, तो उसे एक कपड़े में शैम्पू या डिटर्जेंट लगा कर आसानी से साफ किया जा सकता है।

यदि फल नहीं आ रहे हैं, तो क्या करें?

ईश्वरी बताती हैं कि, यदि पौधे में फल नहीं आ रहे हैं, तो 2-3 साल पुराने गोबर की खाद को 24 घंटे के लिए पानी में भिगो लें। फिर, गमले से 2-3 इंच मिट्टी हटा कर, खाद को भर दें। इससे पौधे में फल आने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।

कितनी धूप-पानी की जरूरत

ईश्वरी कहती हैं कि, अमरूद के लिए कम से कम 6 घंटे की धूप जरूरी है। 

वहीं, सिंचाई को लेकर वह कहती हैं कि, यदि आप इसे छत पर लगा रहे हैं, तो हर दिन सिंचाई करें और यदि आँगन में लगा रहे हैं, तो हर दूसरे दिन सिंचाई करना पर्याप्त होगा।

यदि आपको भी है बागवानी का शौक, तो इन टिप्स को फॉलो कर आप भी उगा सकते हैं गमले में अमरूद। 

संपादन- जी एन झा

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