आज से छह साल पहले बेंगलुरु में रहने वाली ऋषिता शर्मा ने अपना सस्टेनेबल सफर शुरू किया। उन्होंने अपने एक को-फाउंडर के साथ ‘ग्रीन उत्सव’ की शुरुआत की, जिसके ज़रिए जीरो-वेस्ट इवेंट्स आयोजित किए जाते हैं। अपने काम के दौरान उन्हें पता चला कि हर साल गणपति उत्सव के बाद, प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बनी मूर्तियों के विसर्जन की वजह से पानी के स्त्रोत काफी प्रदूषित होते हैं।
ये मूर्तियाँ तो डीकंपोज होने में महीने भर का समय लेती ही हैं, इसके अलावा लोग पूजा के बाद बचने वाली सामग्री भी पानी में ही प्रवाहित करते हैं। इस वजह से भी स्थिति काफी बदतर हो जाती है।
अपनी वाइटफील्ड सोसाइटी में तो वह लोगों को ड्रम में विसर्जन करने के लिए मनाने में सफल रहीं, लेकिन उन्हें और भी लोगों को जोड़ना था।
“मैंने घर पर मिट्टी से गणपति की मूर्ति बनाना शुरू किया और अपनी सोसाइटी के लोगों को भी जोड़ा। उनकी सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए मैंने साल 2017 में वर्कशॉप करना शुरू किया। तब से, हम हर साल लगभग 40 सोसाइटी और कॉर्पोरेट ऑफिस में वर्कशॉप करते हैं, जिनमें लगभग 800 लोग शामिल होते हैं। इन वर्कशॉप के ज़रिए मैं प्लास्टिक के बारे में भी लोगों को जागरूक करने में सफल होती हूँ। साथ ही, वर्कशॉप में स्थानीय कुम्हार को शामिल किया जाता है,” ऋषिता ने द बेटर इंडिया को बताया।
सोसाइटी में रहने वाली ऋचा श्रीवास्तव पिछले दो साल से अपने बच्चों के साथ वर्कशॉप में भाग ले रही हैं। वह बताती हैं, “यह काफी अच्छा प्लेटफार्म है जहाँ सस्टेनेबल प्रैक्टिस को बढ़ावा दिया जाता है। हमें खुद अपनी मूर्ति बनाना और फिर इसे बाल्टी में विसर्जित करना बहुत ही पसंद है। इस तरह से हम पर्यावरण के लिए अपना काम कर रहे हैं।”
इस साल, महामारी और लॉकडाउन ने हमारे त्यौहार मनाने के तरीकों को भी बदला है। सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए कई बड़े पंडालों ने इस बार गणपति मूर्ति स्थापित न करने का फैसला किया है और लोगों को उत्सव को अपने घरों में ही मनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। विसर्जन के नियम हर एक राज्य के हिसाब से अलग-अलग हैं।
लेकिन, इस सब में भी ऋषिता ने ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित किए हैं। उन्होंने घर पर ही मिट्टी के गणपति बनाने का #DIY तरीका सबके साथ साझा किया है। सबसे अच्छी बात यह है कि ये प्रक्रिया इको-फ्रेंडली है और इसमें ज्यादा खर्च भी नहीं है।
क्या-क्या चाहिए:
- मिट्टी
- पानी
- टूथपिक
- बीज (अगर आप डालना चाहें तो)
- चाकू या चम्मच
- 3-4 इंच के गणपति बनाने के लिए लगभग 30 मिनट का समय लगेगा।
प्रक्रिया:
1. सबसे पहले मिट्टी को पानी मिलाकर अच्छे से गूँथकर तैयार करें। अगर आप प्लांटेबल मूर्ति बनाना चाहते हैं तो अपनी पसंद के हिसाब से मिट्टी में कोई भी बीज मिला लें।
2. अब इस मिट्टी को अलग-अलग शरीर के अंगों में बाँट लें- पेट, कान, सूंड, हाथ, चेहरा और पैर।
3. मूर्ति को रखने के लिए आसन अलग से बनाना होगा, जिसके लिए अलग से मिट्टी लेकर इसे चौकोर रूप दें और गणपति की चौकी बनाएं।
4. अब मिट्टी के पेट वाले भाग को गोलाकार करके बेस/आसन पर रखें। इसे लगाने के लिए आप टूथपिक लगा सकते हैं या फिर हल्के से पानी से भी चिपका सकते हैं।
5. अब मूर्ति के हाथ, सूंड और पैर बनाएं। पैरों के लिए मिट्टी को रोल करें और ऊपर की तरफ से थोड़ा मोटा और नीचे की तरफ से पतला करें। फिर इन्हें पेट से चिपका दें।
6. अब एक रोल लें और इसे पीछे की तरफ से मूर्ति से लपेटें। सीधे हाथ के लिए इसे एक तरफ से समतल करें और इसे ऐसे बनाएं जिससे की यह आशीर्वाद देने की मुद्रा में हो। अब इसमें उंगलियाँ बनाइए। बाएं हाथ को आप समतल करके लड्डू रखने की मुद्रा दीजिए।
7. अब सिर को लीजिये और पेट के ऊपर रख दीजिए।
8. अब सूंड वाल रोल लीजिये और एक तरफ से हल्का-सा मोड़ दीजिए। इसे सिर के बीच में चिपका दीजिए। आप इसे बाएं हाथ की तरफ जिसमें लड्डू है, मोड़ सकते हैं।
9. अब कानों और आँखों के लिए मिट्टी की छोटी-छोटी गोलियां लीजिए। कानों व् आँखों को आकार दीजिए और इन्हें सही जगहों पर चिपका दें।
10. जब आपकी मूर्ति तैयार हो जाए तो आप टूथपिक या चाकू की मदद से बाकी बारीकियां इसमें ला सकते हैं। जैसे धोती की डिज़ाइन देना। थोड़ी एक्स्ट्रा मिट्टी लेकर गणपति जी की पगड़ी या स्टोल बनाना। अब इस मूर्ति को किसी स्टील की प्लेट या केले के पत्ते पर रख सकते हैं।
ऋषिता कहतीं हैं कि आपको इसे सजाने के लिए केमिकल कलर इस्तेमाल नहीं करना है। अगर आप चाहें तो जैविक रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर प्राकृतिक तौर पर चुकन्दर और हल्दी आदि से रंग बना सकते हैं।
आप इस बार इको-फ्रेंडली तरीकों से किस तरह गणपति उत्सव मना रहे हैं, हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
सभी तस्वीरें ऋषिता शर्मा ने उपलब्ध कराई हैं और यदि आप उनसे संपर्क करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें!