तमिलनाडु में चेन्नई निवासी अंजू अग्रवाल के टेरेस गार्डन में 50 से भी ज्यादा पेड़ हैं। इनमें शामिल हैं, टमाटर, गाजर, चुकंदर, पालक आदि। उनके घर में ऐसे तीन टेरेस गार्डन हैं और सभी में फलों, सब्जियों और औषधी के बहुत से पेड़ हैं।
बचपन से ही अंजू को बागबानी का शौक था क्योंकि उनके पिता हमेशा घर के बगीचे में उगाई हुई सब्जी ही खाते थे।
अंजू बताती हैं कि उनके पिता ने कभी भी किसी रसायन का इस्तेमाल पेड़ों के लिए नहीं किया बल्कि वे हमेशा जैविक खाद बनाते थे। उनसे ही अंजू को भी घर में ही खाद आदि बनाकर तरह-तरह के पेड़-पौधे लगाने की प्रेरणा मिली। उनके घर में कभी भी बाहर से सब्जी खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ी।
साल 1993 में अंजू की शादी हो गयी और वे चेन्नई आ गयीं। घर की जिम्मेदारियों में गार्डनिंग का शौक जैसे कहीं पीछे ही रह गया।
52 वर्षीय अंजू बताती हैं कि साल 2007 में उनके सास-ससुर की तबीयत ख़राब रहने लगी; उनकी देखभाल के लिए अंजू को घर में ही रहना होता था। इसलिए इस समय में उन्होंने फिर से अपने शौक की तरफ़ अपना रुख किया और घर में ही किचन गार्डन से शुरुआत की।
आज वे न जाने कितनी ही साग-सब्जियां और यहाँ तक कि मसालों के पेड़ भी घर में ही उगाती हैं। उनके गार्डन में आपको हल्दी भी देखने को मिल जाएगी, जो उनके गार्डन से सीधा उनके मसाले के डिब्बे में जाती है। हालांकि, अंजू ने बताया कि उन्हें चेन्नई के मौसम और मिट्टी के हिसाब से चीजें समझने में कुछ वक़्त लगा पर फिर सब आसान हो गया।
धीरे-धीरे अंजू ने और भी पर्यावरण प्रेमी लोगों से मिलना-जुलना शुरू किया और कुछ समय बाद अपने दो दोस्तों, रघु कुमार और शोभा के साथ मिलकर ‘द आर्गेनिक गार्डन फाउंडेशन’ की शुरुआत की। इस फाउंडेशन के ज़रिये वे पूरे शहर में जैविक खेती के बारे में अधिवेशन आयोजित करते हैं।
सिर्फ दो ही सालों में इस फाउंडेशन की पहुँच हज़ारों लोगों तक हो गयी और आज लगभग 30, 000 सदस्य इससे जुड़े हुए हैं।
अंजू कहती हैं कि उन्हें नहीं पता होता कि उनके गार्डन में कौन-सा पेड़ कब फ़ल देगा क्योंकि वे तरह-तरह के प्रयोग करती रहती हैं। पेड़-पौधों के साथ-साथ वे मिट्टी पर भी पूरा ध्यान देती हैं। ज़्यादातर लोग यह देखते हैं कि उनके पौधों को किस चीज़ की ज़रूरत है लेकिन मिट्टी पर ध्यान नहीं देते हैं। जबकि अंजू का मानना है कि लोगों को मिट्टी की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए।
हाल ही में अंजू ने अपने जैविक बगीचे की उपज का इस्तेमाल करके बनाये गये जैविक साबुन बेचना शुरू किया है। वे कभी-कभी अपने इस्तेमाल के लिए प्राकृतिक तेल भी बनाती हैं। अंजू ने बताया कि उन्होंने थोड़ा-बहुत शोध करके जाना कि जैविक साबुन कैसे बनाते हैं और फिर इसे बनाना शुरू कर दिया।
अंजू अपने बगीचे के लिए आजकल की नयी तकनीक व नए जैविक तरीके भी इस्तेमाल कर रही हैं। इस काम में उनके पति संजय अग्रवाल भी उनका पूरा साथ देते हैं।
अंजू अग्रवाल से सम्पर्क करने के लिए या फिर उनके बनाये साबुन खरीदने के लिए आप उनका फेसबुक पेज पर जा सकते हैं।