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बेंगलुरू: छत पर लगाए 250 से भी ज्यादा पौधे, जानिए कैसे उगाते हैं लौकी, करेले व बीन्स

हर सुबह सूरज निकलने के साथ ही बेंगलुरु के 43 वर्षीय विजय नरसिम्हा और उनकी पत्नी वसुंधरा नरसिम्हा (41) अपने छत पर पौधों के बीच बैठकर कॉफी की चुस्कियाँ लेते हैं। वह कोई किसान या रिटायर्ड व्यक्ति नहीं बल्कि वर्किंग प्रोफेशनल हैं जो बेंगलुरु के जलहल्ली में रहते हैं और पौधों के बेहद शौकीन हैं।

इसी पैशन के चलते तीन साल पहले जब वह अपना घर बनवा रहे थे, तभी उन्होंने घर में पौधे लगाने के बारे में सोच लिया था। 

विजय नरसिम्हा और उनकी पत्नी वसुंधरा नरसिम्हा

विजय बताते हैं, “हम अपने टैरेस गार्डन में रोजमर्रा की शाक-सब्जियाँ उगा लेते हैं। इससे न सिर्फ हमारी जरूरतें पूरी हुई हैं बल्कि हमारा सपना भी पूरा हुआ है। पहले हम किराए के अपार्टमेंट में रहते थे इसलिए वहाँ जगह का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते थे। लेकिन जब हमने अपने घर का निर्माण शुरू कराया तो हमने आर्किटेक्ट से घर में पर्याप्त जगह छोड़ने की बात कर ली थी ताकि हम पौधों को उगा सकें। छत पर हमने प्लेटफॉर्म खड़े किए ताकि रखरखाव में आसानी हो।”

पिछले साल इस दंपत्ति ने अपनी छत के ऊपर गैल्वेनाइज्ड आयरन (जीआई) के तार भी लगाए जिसके ऊपर करेले, लौकी, रिज गार्ड, स्नेक गार्ड की बेलें भी चढ़ीं हैं। इससे न केवल पौधों को छत पर बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है, बल्कि उनके घर की सुंदरता भी बढ़ जाती है। 

विजय कहते हैं, “इसके लिए मजदूर लगाना पड़ा। ऊपर तार के अलावा, हमने गमलों में बढ़ने वाले पौधों को सपोर्ट देने के लिए रस्सियाँ भी लगाई हैं। आज हम हर हफ्ते तीन तरह की सब्जियाँ उगाते हैं। कई बार जब सब्जियाँ अधिक हो जाती हैं तो हम पड़ोसियों को भी दे देते हैं। ”

जीआई तार से लताओं को सपोर्ट दिया जाता है

वहीं वसुंधरा बताती हैं, लौकी और करेले को बढ़ने में समय लगता है। कभी-कभी पौधों में फूल आने में भी काफी समय लग जाता है। इसके लिए धैर्य की जरूरत पड़ती है।

आइए जानते हैं उन्होंने यह कैसे किया-

कंटेनर, मिट्टी और पौधे तैयार करना

सबसे पहले, उन्होंने बीज या पौधे रोपने के लिए उचित कंटेनर तैयार किया। उन्होंने एक रिसाइकिल कंटेनर का इस्तेमाल किया और इसमें अतिरिक्त पानी बाहर निकलने की व्यवस्था की। 

तब, विजय ने वेजीटेबल नर्सरी से खरीदे गए पौधे लगाए। पौधों को वर्मीकम्पोस्ट और सूखे पत्तों से बनाए गए एक कार्बनिक पॉटिंग मिश्रण में लगाया गया।

विजय कहते हैं, “पौधे लगाते समय मैंने यह ध्यान रखा कि मिट्टी ढीली हो न कि चिपचिपी।”

होममेड वर्मीकंपोस्ट

सपोर्ट के लिए ट्रेनर रस्सियों का इस्तेमाल

एक बार जब पौधे बढ़ने लगे तो उसी कंटेनर से ट्रेनर रस्सियों को जोड़कर उस पर लताएँ चढ़ाई गईं। इन ट्रेनर रस्सियों ने जीआई तारों को सहारा दिया जो ऊपर लगे हुए थे।

ट्रेनर रस्सियों का इस्तेमाल

फूलों का हैंड पॉलीनेशन

कुछ हफ्तों में जब पौधे पर फूल आने लगते हैं तो वसुंधरा हैंड पॉलीनेशन करके नर और मादा फूलों की पहचान करती हैं।

वह बताती हैं, “मादा फूलों के पीछे एक छोटा फल होता है जबकि नर फूलों में यह नहीं होता है। पेंट ब्रश या कॉटर इयरबड से नर फूल से पराग को मादा फूल पर छिड़क देना चाहिए। यह प्रक्रिया सुबह के समय करनी चाहिए।” वसुंधरा ने कहा कि वैसे तो यह काम मधुमक्खियां खुद ही कर देती हैं, लेकिन टैरेस गार्डन पर ये चीजें प्राकृतिक रूप से हो पाना थोड़ा मुश्किल है।

विजय और वसुंधरा का कहना है कि आप अपने घर में लौकी उगाने के लिए इस विधि का उपयोग कर सकते  हैं।

यदि आप अपने छत पर जीआई तारों को नहीं जोड़ पाते हैं तो आप सिर्फ रस्सियां लगाकर लताओं को चढ़ा सकते हैं। 

बायें- नर फूल , बायें- मादा फूल

इन बातों का ध्यान रखें : 

एक लंबा चौड़ा टैरेस गार्डन

अपने 400 वर्ग फुट की छत पर विजय और वसुंधरा ने 250 फूलों के गमले, ग्रो बैग, रिसाइकिल बॉटल, और कैन एक कतार में रखे हैं। पानी की कुछ बोतलें दीवार पर एक हुक से लटका कर हैंगिंग गार्डन बनाया गया है। बाकी बोलतों को छत के चारों ओर रखा गया है।

“पानी की बोतलों को बीच में काट दिया जाता है और नीचे कुछ छेद किए जाते हैं। फिर हम इसमें मिट्टी और पोषण के लिए कुछ वर्मीकम्पोस्ट भरते हैं और औषधीय पौधों के बीज या पौधे लगाते हैं। प्लास्टिक की बोतलों के अलावा, मैंने पालक की कुछ किस्मों को उगाने के लिए 5-लीटर के डिब्बे का भी इस्तेमाल किया। ”

उन्होंने अपने गमलों और कंटेनर को रखने के लिए छत पर एक प्लेटफॉर्म बनवाया है जिससे उनका छत न सिर्फ साफ रहता है बल्कि पर्याप्त जगह भी बच जाती है जिससे अपने बगीचे के बीच वे कुर्सियां रखकर बैठते हैं।

नैचुरल पॉलीनेशन के लिए छत पर मधुमक्खियों को आकर्षित करने के लिए इस दंपत्ति ने गुड़हल और गुलदाउदी के फूलों को भी लगा रखा है। वसुंधरा के माता-पिता नियमित पूजा के लिए इन फूलों को तोड़ते हैं।

फिलहाल, ये लौकी और करेले के अलावा गोभी, मिर्च, बेल पिपर, तोरी और टमाटर सहित 26 तरह की सब्जियां उगा रहे हैं।

“छत पर सब्जियां उगाने से दैनिक जरूरत पूरी हो जाती हैं। हमने हानिकारक तरीके (सीवेज के पानी आदि) से पत्तेदार सब्जियों और औषधीय पौधों को उगाने के बारे में सुनने के बाद आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया। पिछले तीन सालों से हमें सिर्फ़ लहसुन, अदरक और प्याज-टमाटर जैसी सब्जियां खरीदने के लिए ही सुपरमार्केट जाने की जरूरत पड़ती है। लॉकडाउन के दौरान हमारे टैरेस गार्डन ने हमें काफी सब्जियां दीं,” वसुंधरा कहती हैं।

यह दंपत्ति भविष्य में रोजमेरी और लेमनग्रास जैसी जड़ी-बूटियों की विदेशी किस्मों को उगाने की योजना बना रहा है।

यदि आप विजय और वसुंधरा के बगीचे के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आप उन्हें फेसबुक या यूट्यूब पर फॉलो कर सकते हैं।

मूल लेख-ROSHINI MUTHUKUMAR

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