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बस्तर: 40 सरकारी स्कूलों में अब है स्मार्ट क्लास, एलेक्सा बना बच्चों का ‘गुरूजी’!

“शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसे आप दुनिया बदलने के लिए उपयोग कर सकते हैं। “
– नेल्सन मंडेला

देश में सरकारी स्कूल एवं शिक्षा व्यवस्था के सामने शिक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती है। यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में और भी ज़्यादा है। संसाधनों के अभाव में भी देश-दुनिया में शिक्षा की अलख जगाने के लिए बेहद सकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं। ऐसी ही एक अनूठी पहल की गई है छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले के लोहंडीगुड़ा तहसील में।

जिस बस्तर का नाम सुनकर नक्सलवाद का स्वरुप सामने आ जाता है आज वहां के सरकारी स्कूल के बच्चे नई -नई टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाई कर रहे हैं।

 

क्या नया हो रहा है इन सरकारी स्कूलों में?

लोहंडीगुड़ा तहसील के 40 प्राथमिक विद्यालयों में अमेज़न के वॉयस असिस्टेंट ‘एलेक्सा’ से पढ़ाया जा रहा है। यह वॉयस असिस्टेंट एक महिला की आवाज है जो आपके साथ बातचीत के तरीके से बात करती है, जो आपको कई चीजों के साथ इंटरैक्ट करने में मदद करने के लिए तैयार होती है। इस वॉयस असिस्टेंट के उपयोग से बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ साथ अन्य जानकारियों को भी सुनते और समझते हैं। सिर्फ छात्रों की आवाज पर ही यह मशीन देश-विदेश, भूगोल, आदि सभी की जानकारी बेहद सरल तरीके से उपलब्ध करवाती है।

एलेक्सा के साथ पढ़ते बच्चे

यह एक प्रकार की फन लर्निंग एक्टिविटी है जिसके माध्यम से छात्रों को खेल- खेल में बहुत कुछ सीखने और पढ़ने को मिल जाता है। एलेक्सा छात्रों के प्रश्नों का उत्तर दे सकता है, ट्रैफिक या मौसम की जानकारी बता सकता है, न्यू्ज़ रिपोर्ट दे सकता है, फोन कॉल शुरू कर सकता है, म्युजि़क प्ले कर सकता है आदि और इन तमाम सुविधाओं के माध्यम से बच्चे रोज़ एलेक्सा के साथ पढ़ाई करते हैं।

शिक्षा का स्तर बेहतर होगा 

इन प्राथमिक विद्यालयों में एलेक्सा से पढ़ाई करने की पहल लोहंडीगुड़ा के शिक्षा अधिकारी चंद्र शेखर यादव ने की है।

उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरे भाई ने मुझे यह मशीन गिफ्ट की थी। तभी मैंने सोचा कि क्यों न इसका उपयोग बच्चों को पढ़ाने के लिए किया जाए। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक की कमी की समस्या और गुणवत्ताहीन शिक्षा का यह एक बेहतर समाधान है।“

उन्होंने कहा कि 330 प्राथमिक विद्यालयों में एलेक्सा के उपयोग को लेकर योजना बनाई जा रही है।

एलेक्सा डिवाइस के साथ पढ़ते बच्चे

प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाली कक्षा चौथी की छात्रा मनाली कहती है, “एलेक्सा से हमें हर सवाल का जवाब मिल जाता है। मैं अपने सभी दोस्तों के साथ एलेक्सा से दो घंटे पढ़ाई करती हूं। बहुत बार तो हम अपने कोर्स से हटकर विदेश में हो रहे नए नए अनुसंधान , देश के राजनीतिक घटनाक्रम पर भी सवाल पूछते हैं, तो तुरंत जवाब भी मिल जाता है। हम सब दोस्त इसे प्यार से अब तो एलेक्सा गुरुजी भी कहते हैं।”

मनाली ने बताया कि जिन भी दोस्तों को प्रोजेक्ट बनाने या होमवर्क करने में किसी जानकारी की जरुरत पड़ती है वो एलेक्सा क्लास में उसे पूछ लेते है और अपना होमवर्क कर लेते है।

 

छात्रों के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग – आईएएस अबिनाश मिश्रा

इस पहल के बारे में लोहंडीगुड़ा के सीईओ अबिनाश मिश्रा ने द बेटर इंडिया को बताया, “छात्रों की पढ़ाई के लिए हम बेहतर से बेहतर टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे। इन आदिवासी बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा मुहैया कराने के लिए हम हर संभव काम कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षा का स्तर न सिर्फ बेहतर होता है बल्कि बेहद रोचक और सरल भी हो जाता है। हम लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में सभी स्कूल को स्मार्ट स्कूल बनाने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं इसके लिए अमेज़न इंडिया की टीम भी यहां आई थी। अमेज़न की मदद से इस अंदरूनी क्षेत्र के शिक्षको को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।”

लोहंडीगुड़ा का एक स्मार्ट स्कूल

टेक्नोलॉजी की मदद से किसी काम को कितना बेहतर किया जा सकता है, हम बस्तर में प्रत्यक्ष देख सकते हैं। भारत में शिक्षा के क्षेत्र में फैली समस्याओं की लिस्ट बहुत लंबी है, जिनमें शिक्षा की कमी और गुणवत्ताहीन शिक्षा प्रमुख विषय है। इस तरह की कई चुनौतियों के बीच युवा अफसरों की टीम लगातार जमीनी स्तर पर काम करने वालों को प्रोत्साहित करती रही है।

बच्चों की पढ़ाई को सहज और रोचक बनाने वाले इस लोहंडीगुड़ा मॉडल पर देश के हर ज़िले में काम किया जाना चाहिए।


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