बंगलुरु के भारती और महेश अपने नवजात शिशु को लेकर बहुत खुश थे लेकिन चूँकि बच्चा सातवे महीने में ही पैदा हो गया था इसलिए उसे विशेष देख रेख की ज़रूरत थी। नारायण हेल्थ सिटी हॉस्पिटल में बच्चे का जन्म हुआ था पर वहां समय से पहले जन्मे शिशुओं को रखने की व्यवस्था नहीं होने के कारण बच्चे को जल्द से जल्द वाणी विलास हॉस्पिटल पहुँचाना ज़रूरी था।
पर भारती और महेश को इस बात की बिलकुल भनक नहीं थी कि जिस एम्बुलेंस में वे अपने बच्चे को ले जा रहे थे उसे चलाने वाला ड्राईवर नशे में था। वह नशे में एम्बुलेंस को इतनी तेज़ी से चला रहा था कि किसी भी वक़्त दुर्घटना हो सकती थी। करीब 17 किमी इस तरह एम्बुलेंस चलाने के बाद इस पर ट्रैफिक पुलिस की नज़र पड़ी।
एम्बुलेंस को रोककर जांच करने पर पता चला कि इस तरह लापरवाही से एम्बुलेंस चलाने वाला नशे में था और जिस नवजात शिशु को इस एम्बुलेंस में ले जाया जा रहा था उसकी हालत बेहद नाज़ुक थी।
सिटी मार्किट ट्रैफिक पुलिस स्टेशन के ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर, सोमशेखर ने बंगलोर मिरर को बताया कि ” 10 नवम्बर की रात करीब एक बजे हम शराब पीकर गाडी चलाने वालो की जांच कर रहे थे। ऐसे में हमे ये बेहद तेज़ी से जाती हुई एम्बुलेंस दिखाई दी। हमे लगा कि एम्बुलेंस खाली होगी क्यूंकि अक्सर नशे में धुत चालक हमसे बचने के लिए एम्बुलेंस का सायरन चलाये रखते है।”
पर जब एम्बुलेंस को रोककर जांच की गयी तो सच्चाई का पता चला। ड्राईवर को तो पकड़ लिया गया पर अब सवाल ये था कि इतनी रात को उस बच्चे को अस्पताल किस तरह पहुँचाया जाये। ऐसे में हवलदार रवि एस एन तुरंत आगे आये और स्वयं एम्बुलेंस चलाने का फैसला किया।
रवि ने बताया, “जब बच्चे के माँ बाप ने बताया कि उसकी हालत कितनी गंभीर है तो मेरे दिमाग में बस एक ही बात थी कि इस बच्चे को जल्द से जल्द अस्पताल कैसे पहुँचाया जाए। मुझे गाडी चलानी आती थी इसलिए मैंने खुद ही एम्बुलेंस को चलाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाने का फैसला किया। अगर नशे में धुत वो ड्राईवर इसी तरह एम्बुलेंस चलाता रहता तो इस नन्ही सी जान का क्या होता ये सोचकर भी मैं डर जाता हूँ।
एम्बुलेंस के ड्राईवर को आई पि सी की धारा 279 तथा मोटर वहिकल एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है।
नवजात बालक भी अब सुरक्षित है और भारती और महेश हवलदार रवि का शुक्रिया अदा करते नहीं थकते है।