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एयर इंडिया के दो पायलटों ने बचायी 350 जानें, सिस्टम फेल के होने बावजूद टाला विमान हादसा!

स्त्रोत: फेसबुक/सुशांत सिंह(बाएं) और रुस्तम पलिया(दाएं)

रिष्ठ कमांडर रूस्तम पालिया और कैप्टेन सुशांत सिंह की सूझ-बुझ से हाल ही में एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 101 दिल्ली-जेएफके (न्यूयॉर्क) के साथ एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया।

दिल्ली से न्यूयॉर्क तक सीधी उड़ान दुनिया में सबसे लंबी उड़ानों में से एक है। उड़ान भरने के 14 घंटों बाद, दोनों

पायलटों को एहसास हुआ कि हवाईअड्डे पर मौसम की स्थिति बिगड़ रही है और उनका खुद का 
नौ साल पुराना सिस्टम बोइंग 777-300 भी फेल हो रहा है।

पलिया ने जेएफके एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को बताया, “हम सच में फंस गए हैं और हमारे पास ईंधन भी नहीं है।” विमान में 370 यात्री थे और उन्होंने विमान को हवाई-अड्डे पर उतारने की भी कोशिश की, लेकिन यह प्रयास असफल रहा। इसलिए वे न्यूयॉर्क के पास या फिर जेएफके एटीसी की मदद से जेएफके के पास कोई दूसरा शहर ढूंढने लगे जहां विमान को उतारा जा सके।

जैसे-जैसे ईंधन खत्म हो रहा था, स्थिति की गंभीरता बढ़ रही थी।

पायलट उड़ान और लैंडिंग के सबसे महत्वपूर्ण चरणों के पास आ रहे थे- जबकि एआई 101 का सिस्टम फेल हो रहा था।

प्रतीकात्मक तस्वीर

“किसी उपकरण में समस्या के चलते हम आईएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) का संचालन करने में सक्षम नहीं हैं, और अब हम किसी और विकल्प के बारे में सोच रहे हैं, जो हम कर सकते हैं…” पायलटों ने एटीसी (एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल) को बताया

विमान के ज्यादातर उपकरण भी काम करना बंद कर चुके थे। बोइंग 777-300 में तीन आईएलएस होते हैं। लेकिन तीनों खराब हो गए।

एटीसी ने पूछा, ” क्या आपके विमान के दोनों ओर का इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम खराब हो चूका है?”

पायलट ने कहा, “हाँ, ख़राब हो चूका है।”

एटीसी ने पूछा, “आपका रेडियो अल्टीमीटर भी खराब हो चूका है?”

पायलट ने कहा, “हाँ, अभी हम सिर्फ एक रेडियो का इस्तेमाल कर पा रहे हैं।”

यह स्थिति किसी भी पायलट के लिए बुरे सपने से कम नहीं थी लेकिन फिर भी पलिया और सिंह ने अपना आपा नहीं खोया। उन्होंने खुद को शांत रखा।

उस समय, विमान में केवल 7,200 किलो ईंधन था, जिसका इस्तेमाल हर एक मिनट के साथ हो रहा था। पायलट लंबा रास्ते से जाने का या फिर लंबे समय तक हवाई जहाज में रहने का जोखिम नहीं उठा सकते थे। इसका मतलब था सभी 370 यात्रियों और अपनी टीम की ज़िन्दगी को खतरे में डालना।

इस परिस्थिति में, पायलटों ने काम कर रहे नेविगेशन उपकरणों की मदद से अंदाजे से लैंडिंग करने का फैसला किया। एनडीटीवी के मुताबिक, इसका मतलब है कि उन्हें नेवार्क में इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग के जैसे ही वर्टिकल और लेटरल नेविगेशन सिस्टम का उपयोग करना पड़ा।

प्रतीकात्मक तस्वीर

नेवार्क में उस समय बादल छंटना शुरू हो गये थे। इसलिए जोखिम लेकर पायलट ने वहां उतरने का फैसला किया।चुनौती यह थी कि एयर इंडिया अपने पायलटों को इस तरह की लैंडिंग के लिए ट्रेन नहीं करता है और न ही बोइंग ने विमान के लिए अपने परिचालन दिशा-निर्देशों में इसका उल्लेख किया है।

फिर भी दोनों पायलटों ने एक दुसरे के साथ विचार कर सह-सहमति से यह जोखिम उठाया- उस समय, यही सबसे अच्छा विकल्प था उनके पास। नेवार्क हवाई अड्डे ने पायलटों को सूचित किया कि वे अपने उड़ान स्तर से बहुत नीचे आ रहे हैं। इस घोषणा के 38 सेकंड के भीतर, विमान लैंड हो गया।

बिगड़ते मौसम और एक असफल जेट सिस्टम और ईंधन के खत्म होने का खतरा, इस सब के चलते 38 मिनट में पायलट रूस्तम पालिया और सुशांत सिंह ने विमान को सही-सलामत लैंड किया। जिस तरह से दोनों पायलटों ने स्थिति को संभाला वह वाकई में काबिल-ए- तारीफ है।

कवर फोटो: रुस्तम पलिया/सुशांत सिंह

संपादन – मानबी कटोच

मूल लेख: तन्वी पटेल


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