Site icon The Better India – Hindi

क्रांतिकारी रह चुके 100 साल के पप्पाचन और उनकी 80 साल की पत्नी आज भी करते है अपने खेत का सारा काम!

ये कहानी है एक ऐसे क्रांतीकारी की, जिन्होंने सारी ज़िन्दगी क्रांति का रास्ता ही चुना और 100 साल की उम्र में आज भी क्रांती की मशाल जलाएं हुए है। फर्क सिर्फ इतना है कि जवानी के दिनों में उन्होंने देश को आजादी दिलाने वाले युवाओं के दिलो में क्रांति लायी थी और आज 100 साल की उम्र में केरल के उद्दुक्की जिले में खेती किसानी कर के किसान युवाओं के दिलों में क्रांति ला रहे है।

लापुराक्कल पप्पाचन जब 20 साल के थे तब उन्होंने 1944 में पोट्टाकुमल मथायियाचन के नेतृत्व में चली क्रांतिकारी आन्दोलन में भाग लिया था।

पप्पाचन को कागज़ी तौर पर अंटोनी देवास्स्य के नाम से जाना जाता था। इस आन्दोलन से जुड़े होने की वजह से उन्हें मुद्दाकायम की जेल में 10 दिनों तक रखा गया था। पर इस जेल यात्रा के बाद मानो उनके अन्दर का क्रांतिकारी और सजग हो उठा।

अपनी माँ के देहांत के बाद पप्पाचन ने पढाई छोड़ दी। देश को अब आजादी मिल चुकी थी। ऐसे में पप्पाचन ने एक नयी क्रांति की राह चुनी। 1952 में उन्होंने अपना पैत्रिक गाँव पाला छोड़ दिया और कट्टापन्ना में कुछ ज़मीन लीस पर लेकर यही बस गए। सुनने में यह एक आम सी बात लगती है पर अकाल इ स्थिति होने की वजह से उस वक़्त खेती में अपने हाथ आजमाना बहुत जोखिम भरा काम था। ऊपर से पप्पाचन यहाँ बिलकुल अकेले थे।

पर क्रांती माँनो पप्पाचन के खून में थी।  अकाल और सुखे से वे अकेले लडे और अपनी मेहनत के बलबूते पर अपने खेत में फसल उगाई।

उनके खेत में फसल लहलहाते देख आखिर उनके चारो भाई भी उनका साथ देने उनके पास आ गए। उनके भाईयों ने पप्पाचन की ज़मीन के आसपास ही 20 एकर ज़मीन खरीदी और सभी तरह के फसल उगाने लगे। 1955 में इन पांचो भाईयों की धान की खेती देखते बनती थी।

1956 पप्पाचन के जीवन में थ्रेस्स्याम्मा ने पत्नी के रूप में आकर उनके खेती के व्यवसाय को चार चाँद लगा दिया। उस दिन से लेकर आज तक, एक भी ऐसा दिन नहीं बीता है जब पप्पाचन और थ्रेस्स्याम्मा ने अपने खेत में काम न किया हो।

आज पप्पाचन 100 साल के हो चुके है और  थ्रेस्स्याम्मा भी करीब 80 बरस की है। पर इन दोनों की सादा और स्वावलंबी जीवनशैली ने इन्हें इतना मज़बूत बना दिया है कि इस उम्र में भी ये दोनों अपने खेत का सारा काम खुद ही करते है।

 

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें contact@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।

Exit mobile version