अहमदाबाद के रहने वाले आर्किटेक्ट स्नेहल और इंटीरियर डिजाइनर भद्री सुथार रीसाइकल्ड कंस्ट्रक्शन मैटेरियल से नए भवनों को तैयार करने का काम कर रहे हैं। सस्टेनिबिलिटी, इस दंपत्ति के काम करने का एक तरीका है, जिसे आप उनके भवन निर्माण की डिजाइन को देख कर खुद ही समझ सकते हैं।
भद्री के बचपन का सबसे पसंदीदा हिस्सा अहमदाबाद के प्रसिद्ध विरासत स्थलों का दौरा था। हर बार वह जामा मस्जिद की जटिल नक्काशी, सिदी सैय्यद की नक्काशीदार जालियों या दादा हरि नी वाव से सजाए गए वेव्स (सीढ़ियों वाले कुएं) को देखती थीं जो प्राचीन समय में जल संरक्षण के बेहतरीन तरीके थे।
“मैं मुश्किल से छह साल की थी जब मैंने पहली बार घर पर एक मॉडल बनाकर साइट के डिजाइन को डिकोड करने की कोशिश की थी। एक तरह से, शहर की विरासत ने ही वास्तुकला के प्रति मेरे प्यार को बढ़ाया है,” वह कहती हैं।
स्नेहल के पिता आर्किटेक्ट थे और उनका एक अपना कारपेंटरी वर्कशॉप था। अपने बचपन के बारे में बताते हुए वह कहते हैं, “मेरा बचपन कंस्ट्रक्शन मैटेरियल से घिरा हुआ था और वही मेरे खिलौने बन गए थे। इसलिए आगे भी आर्किटेक्चर की पढ़ाई करना मेरे लिए स्वाभाविक ही था। मैं अपने आप को किसी और क्षेत्र में काम करते हुए सोच भी नहीं सकता था।”
स्नेहल ने सैन फ्रांसिस्को इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्चर से सस्टेनेबिलिटी में पीजी किया है, वही भद्री ने गुजरात के विद्यानगर में अरविंदभाई पटेल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्चर से इंटीरियर डिजाइन में डिप्लोमा किया है।
2002 में, इस जोड़ी ने द ग्रिड की स्थापना की, जो अहमदाबाद की एक आर्किटेक्चर फर्म है और ग्रीन स्पेस बनाने के लिए रीसाइकल्ड या लोकल मैटेरियल का उपयोग करती है।
“हम नए संसाधनों के स्थान पर लोकल और रीसाइकल्ड सामग्री का उपयोग करते हैं। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि साइट के 400 किलोमीटर के अंदर ही पूरी निर्माण सामग्री का उत्पादन, निर्माण या उत्खनन किया जाए ताकि यह निर्माण सामग्री के शिपिंग से जुड़े कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सके,” भद्री ने बताया।
एक ग्रीन स्पेस बिल्डिंग और एक पारंपरिक बिल्डिंग के बीच तुलना करके लोग यह अनुमान लगाते हैं कि ग्रीन स्पेस बिल्डिंग महंगी है, लेकिन यह सच नहीं है। यदि निर्माण सामग्री को व्यवस्थित रूप से चुना जाए, तो यह न केवल लागत को कम करता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। भद्री कहती हैं कि ग्रीन मटेरियल भी इनडोर वायु गुणवत्ता को बढ़ाते हैं क्योंकि वे नॉन-टॉक्सिक होते हैं और न्यूनतम रासायनिक उत्सर्जन करते हैं।
एक नज़र द ग्रीड के तीन सस्टेनेबल प्रोजेक्ट्स पर
1) आर्गेनिक स्टोर
जब इस दंपत्ति को शहर में एक ऑर्गेनिक स्टोर का प्रोजेक्ट मिला, तो निर्देश स्पष्ट थे कि स्टोर में सभी चीज़ें आर्गेनिक दिखे। चूंकि उनके क्लाइंट पहले एक किसान हुआ करते थे इसलिए उन्होंने उन विकल्पों पर ध्यान दिया जो खेत में उपयोग किए जाते हैं और मिलते हैं।
ऐसे में इस जोड़ी ने मुख्य निर्माण सामग्री के रूप में गाय के गोबर और घास के मिश्रण का उपयोग किया। फर्श की जगह लकड़ी का प्रयोग किया गया और लाइट के लिए एलईडी लगाई गई।
“गोबर कीट से बचाता है। यह एक अच्छा थर्मल इन्सुलेटर भी है जो अगरबत्ती की सुगंध को अवशोषित कर सकता है और इसे बनाए रख सकता है, “स्नेहल कहते हैं।
2) इको-फ्रेंडली डेन
गाँधीनगर में अपने क्लाइंट के ऑफिस में एक फार्म जैसा वातावरण बनाने के लिए कंपनी ने मिट्टी और प्राकृतिक सामग्री का उपयोग किया। उन्होंने फोयर को पीले बलुआ पत्थर की ईंटों के साथ रखा और डिज़ाइन इस तरह बनाया कि प्रकाश और हवा ऑफिस के अंदर तक जा सके। ऑफिस के बाहर अच्छा दिखाने के लिए उन्होंने एक बैलगाड़ी और कुछ मिट्टी के बर्तन भी रखे।
वे कहते हैं, “ऑफिस में पेड़ों की स्थानीय प्रजातियां और एक कृत्रिम तालाब है जिसमें मछली और कछुए अपना स्वयं का पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं।”
3) टेराकोटा रेस्तरां
सुथार दम्पति ने गाँधीनगर में टेराकोटा रेस्तरां भी बनाया है, जिसमें ईंट, मिट्टी, टेराकोटा और कच्ची लकड़ी जैसी स्थानीय सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने छत के लिए रीसाइकल्ड लकड़ी का उपयोग किया। रेस्तरां में दो मिलीमीटर मोटी स्टील की लेजर-कट स्क्रीन है, जो पार्टीशन के रूप में जालियों के पारंपरिक डिजाइनों का एहसास देती हैं। दीवार पर पुराने जमाने के तख्ते और झरोखा भी इसकी खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं। उन्होंने रेस्तरां में पानी आधारित, गैर विषैले और पर्यावरण के अनुकूल पेंट का इस्तेमाल किया है।
“हमने अपने क्लाइंट को चुनी गई सामग्रियों के साथ इसके महत्व को बताते हुए ‘टेराकोटा रेस्तरां’ नाम सुझाया। हमने सब चीज़ों को ध्यान में रखकर रीसाइकल्ड सामग्री पैलेट का चयन किया ताकि यह जगह लोगों को बेहतरीन अनुभव कराए,” उन्होंने कहा।
अपनी 17 साल की इस यात्रा में, कंपनी ने 10 इको-फ्रेंडली इमारतों का निर्माण किया है और कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं। इसमें 2015 में शहरी ओएसिस – पॉश के लिए गुजरात की पहली प्लेटिनम प्रमाणित ग्रीन बिल्डिंग का पुरस्कार भी शामिल है।
अंत में यह जोड़ा बस इतना कहता है कि रीसाइकल्ड मैटेरियल का उपयोग हमारे साथी डिजाइनरों को प्रेरित करने का एक तरीका है। यह उन्हें बताता है कि हमारा जुनून और रचनात्मकता एक साधारण सामग्री को एक अच्छी जगह में बदल सकती है। यह शहरी जीवन शैली में टिकाऊ और पारंपरिक आर्किटेक्चर को एकीकृत करने का तरीका है। शुरू में किसी को यह लग सकता है कि उन्हें ग्रीन बिल्डिंग, स्पेस या इंटीरियर डिजाइन करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे लेकिन एक बार जब आप इसका अभ्यास करेंगे तो यह आपके डिजाइनिंग की प्रक्रिया का हिस्सा बन जाता है।
स्नेहल और भद्री उम्मीद करते हैं कि उनके इन कामों को देखकर अन्य आर्किटेक्ट्स और डिजाइनर्स प्रेरित होंगे और पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएंगे।
मूल लेख – गोपी करेलिया
संपादन – मानबी कटोच