अशोका यूनिवर्सिटी के एक रिपोर्ट “Predicament of Returning Mothers” के अनुसार 73 प्रतिशत भारतीय महिलाएँ माँ बनने के बाद नौकरी छोड़ देती हैं। लेकिन, स्पोर्ट्स, एक्टिंग, कला और व्यवसाय के क्षेत्र में कई जानी-मानी महिलाएँ हैं, जो माँ बनने के बाद भी अपने काम में निरंतर सक्रीय रही हैं।
इनमें से ही एक हैं गुजरात के भावनगर में रहने वाली डॉक्टर निधि वासानी अय्यर जो एक गायनोकोलॉजिस्ट (स्त्री-रोग विशेषज्ञ) और IVF स्पेशलिस्ट हैं। डॉ. निधि ने माँ बनने के बाद मेडिसिन विषय में पढ़ाई शुरू की और आज एक अच्छे मुकाम पर पहुंच चुकी हैं।
निधि की कहानी हमें साल 2009 में ले जाती है जब वह अपनी 9 महीने की बेटी को अपनी बहन और माता-पिता के पास देखभाल के लिए छोड़ कर आयी थीं, ताकि वह मेडिसिन की डिग्री हासिल कर सके। वह दौर वाकई निधि के लिए मुश्किल भरा था।
निधि कहती हैं – “पहली बार माँ बनने के बाद मैंने तय किया कि मैं क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर (तमिलनाडु) से रिप्रोडक्टिव मेडिसिन में फेलोशिप करने के लिए परिक्षा दूंगी। लेकिन, ये इतना आसान नहीं था। एक ओर मेरी छोटी से बेटी थी और दूसरी तरफ था मेरा सपना!”
अतीत को याद कर निधि बताती हैं कि अगर उस वक्त उनकी बहन और माता-पिता ने साथ नहीं दिया होता तो वह कभी पढ़ाई करने का निर्णय नहीं ले पातीं। उनको गुजरात छोड़कर वेल्लोर जाना था। उनके पास सुबह कॉलेज जाकर शाम तक घर वापस आने जैसा कोई विकल्प नहीं था।
“मेरे पापा ने कहा कि जब तक मेरी पढ़ाई पूरी नहीं होती, मुझे घर वापसी के बारे में सोचना भी नहीं है। वह इस बात पर अडिग रहे कि अगर मैं घर वापस आती हूँ तो कोई मेरी तरफदारी नहीं करेगा। पापा के बार-बार समझाने पर ही मुझे कोर्स पूरा करने की प्रेरणा मिली।” – निधि
डॉ निधि की माँ ने भी उनकी काफी मदद की। निधि कहती हैं – “बेटी को नहलाने से लेकर टीकाकरण तक की देखभाल उनकी माँ ने किया। 2000 किलोमीटर दूर बैठकर जब मैं उन दोनों को वीडियो चैट पर देखती थी तो उनकी मुस्कुराहट देखकर मेरी सारी चिंता खत्म हो जाती थी,” निधि भावुक होते हुए बताती हैं।
हाल ही में रिलीज़ हुई कंगना रनौत की फिल्म पंगा देखकर उनको अपनी कहानी याद आ गई। फिल्म की नायिका भी डॉ. निधि की तरह ही परिवार और जुनून के बीच उलझी रहती है। दोनों में एक और समानता है – बच्चे का समय से पहले जन्म लेना!
“जब मैं ज़िंदगी को पीछे मुड़कर देखती हूँ तो थोड़ा सा पछतावा भी होता है। मेरी बेटी उस वक्त दूध पीती थी जब मुझे कोर्स में दाखिले के लिए कॉल आया था। वो बहुत मुश्किल दौर था, दूध के निरंतर स्त्राव और शारीरिक दर्द से मैं परेशान हो जाती,” निधि आगे बताती हैं।
फिल्म देखने के दौरान निधि को लगा मानो जैसे सारे किरदार एकदम से जीवंत हो उठे हो और उनकी कहानी के इर्द-गिर्द घूमने लगे हो।
हम चाहे कितनी भी बहस कर लें कि महिलाएँ, मॉं बनने के बाद नौकरी क्यों छोड़ देती हैं, लेकिन सच्चाई तो यही है कि पहली बार माँ बनी महिला को इस तरह का कठिन निर्णय स्वंय ही लेना पड़ता है। डॉ. निधि की कहानी से प्रेरणा लेकर दूसरी महिलाएं भी मातृत्व का सुख लेने के साथ-साथ करियर पर भी ध्यान दे सकती हैं, जरूरत है बस सही साथ और प्लानिंग की।
यह है फिल्म देखने के बाद डॉ. निधि द्वारा फेसबुक पर किया गया पोस्ट –
संपादन – मानबी कटोच
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