हम तालाब से पानी भरने की बात सुनते हैं या फिर टैंकर को तालाब से पानी लेते हुए देखते हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि पानी के टैंकर से किसी तालाब को जिंदा कर दिया गया हो? यह कहानी गुजरात के बनासकांठा ज़िले के धानेरा गाँव की है, जहाँ लोगों ने मिलकर एक सूखे तालाब को पानी के टैंकर से भर दिया और अब तालाब फिर से पहले की तरह बन गया है।
क्या हैं मामला ?
बनासकांठा ज़िला के धानेरा गांव का तालाब पूरी तरह सूख चुका था। तालाब की एक विशेष बात यह थी की इस तालाब में 6000 से ज़्यादा कछुए थे और आस -पास के सभी जानवर इसी तालाब में पानी पीने आते थे। तालाब के सूखने की वजह से कछुए मरने लगे थे। वहीं आसपास के बाकी जानवर जो पानी के लिए इस तालाब में आते थे वो भी तड़पने लगे थे। इस समस्या को गाँव वालों ने सबसे पहले स्थानीय प्रशासन को बताया लेकिन किसी प्रकार का ठोस जवाब और काम नहीं होने से गाँव के लोग निराश हो गए। ग्रामीणों ने बहुत प्रयास किया लेकिन कोई पहल नहीं हुई। इस बीच गाँव के कुछ लोग इस सूखे तालाब को पुनर्जीवित करने के नए-नए उपाय सोचने लगे। कुछ लोगों ने यह तरकीब सोची कि क्यों न पूरा गाँव मिलकर इस सूखे तालाब में टैंकर से पानी भर दे।
सूखे तालाब को भर दिया पानी से
गांव वालों स्थानीय प्रशासन से मदद नहीं मिलने पर पहले तो निराश हुए लेकिन बाद में इस चुनौती को अवसर में बदलने का ठान लिया, शुरुआत में यह काम असम्भव लगने लगा क्योंकि तालाब में टैंकर से पानी भरना एक चुनौतीपूर्ण काम था फिर भी सभी ने मिलकर एक प्रयास किया। गांव के लोग एवं स्थानीय स्तर पर कार्यरत विभिन्न संस्थाओं ने अपने-अपने स्तर में सहयोग किया और सूखे तालाब को पानी से भरने का काम शुरू कर दिया गया।
सबसे पहले स्थानीय संस्था श्री राजपुर दीसा पांजरापोल संस्था द्वारा इस कार्य के लिए आर्थिक सहायता दी गई जिससे जरुरत पड़ने वाले संसाधनों को तैयार किया जा सके। आर्थिक सहयोग के बाद भी बहुत सारे संसाधनों को तैयार करना था ऐसे में क्षेत्र के सोमिल एसोसिएशन, धानेरा तालुका द्वारा ट्रेक्टर और गणेश मंडप धानेरा के सदस्यों ने पानी के टैंकर उपलब्ध करवा दिए। इसके बाद एज्युफन फाउंडेशन ट्रस्ट गुजरात द्वारा गाँव वालों के साथ मिलकर दिन रात मेहनत कर पानी पहुँचाया गया और देखते ही देखते सूखा तालाब पानी से भर गया।
दिन रात कर 250 टैंकर पानी पंहुचा दिया
गांव वालों ने विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर दिन रात एक कर दिया और सूखे पड़े तालाब में लगभग 250 टैंकर पानी पहुँचा दिया। इतना ही नहीं गाँव के युवा से लेकर बुजुर्ग लोग वहाँ सुबह से पहुंच जाते और हर व्यक्ति अपने अपने स्तर पर श्रमदान करने लगा। शुरुआत में कुछ टैंकर पानी डालने के बाद लगा कि इतने बड़े तालाब में आखिर कब तक टैंकर से पानी डाला जायेगा लेकिन गांव वालो की ज़िद्द के आगे तालाब भी छोटा पड़ गया। सभी ने मिलकर इस सूखे तालाब को पानी से लबालब भर दिया और अब आस पास के पशु और कछुओं को पर्याप्त पानी मिल रहा है।
गाँव वालों की मेहनत देख प्रशासन भी आगे आया
धानेरा के रामपुरा तालाब के इस काम में गाँव वालों के बुलंद इरादे और जूनून को देख स्थानीय प्रशसान ने भी योजना के तहत सहयोग किया और काम भी शुरू कर दिया। अब वहाँ ट्यूबवेल लगा दिया गया है। अब जरूरत पड़ने पर ट्यूबवेल के माध्यम से तालाब में और पानी भरा जायेगा जिससे भीषण गर्मी में भी पानी की किल्लत न हो और कछुए तथा जानवरों को भरपूर पानी मिलता रहे।
ठान लो तो असम्भव कुछ भी नहीं
इस सामूहिक प्रयास के बारे में ग्रामीण जगदीश सोलंकी ने द बेटर इंडिया को बताया, “यह गांव वालों की लगन, जूनून और हिम्मत का ही परिणाम है कि आज यह तालाब पानी से भर गया है और स्थानीय प्रशसान भी हर संभव मदद करने के लिए आतुर है। आसपास के गाँव धरनोधर, जड़िया और रामपुरा छोटा के ग्रामीणों और सामाजिक संस्थाओं ने इस तालाब का देख -भाल का जिम्मा लिया है।”
तालाब का सूख जाना गाँव में बहुत बड़ी समस्या होती है। ऐसे में गुजरात के इस गांव की कहानी हमें बताती है कि सामूहिक प्रयास से कुछ भी असंभव नहीं है। धानेरा गाँव ग्रामीणों के बुलंद हौसले, नेक पहल और इच्छाशक्ति को द बेटर इंडिया सलाम करता है।
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