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घर बैठे, ऑनलाइन आवेदन से लग गया सौर सिस्टम और बिजली बिल हो गया जीरो

हम सब जानते हैं कि कोयला या पेट्रोलियम जैसे नैसर्गिक संसाधन बहुत सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और इन्हें फिर से बनने में हजारों-करोड़ों साल लग जाते हैं। ऐसे में, जरुरी है कि हम इनसे बनने वाली बिजली पर, अपनी निर्भरता को कम करें और दोबारा जल्दी निर्मित होने वाली बिजली की ओर रुख करें, जैसे छत पर सोलर पैनल (Rooftop Solar Panel) लगवाकर या पवन ऊर्जा से बनी बिजली का इस्तेमाल करके। 

सबसे अच्छी बात यह है कि पिछले कुछ सालों में देश में, सौर ऊर्जा की कीमतें भी काफी कम हुई हैं। साथ ही, अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार, दोनों ही ‘सोलर रूफटॉप योजना’ (Rooftop Solar Scheme) के तहत सब्सिडी की सुविधा भी दे रही हैं। अब लोगों को सब्सिडी के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने की भी जरूरत नहीं है। क्योंकि, आजकल बहुत-सी ऐसी कंपनियां हैं जो ग्राहकों के लिए सारी फॉर्मेलिटी पूरी करते हुए, सौर सिस्टम लगा रही हैं। 

सौर उर्जा का इस्तेमाल करने वाले वडोदरा, गुजरात निवासी 58 वर्षीय बशिष्ठ सिंह ने द बेटर इंडिया को बताया कि उन्होंने लगभग छह महीने पहले अपने घर की छत पर ‘ऑन ग्रिड सोलर पैनल’ (Rooftop Solar Panel) लगवाया था। इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन ही आवेदन किया था और उन्हें किसी भी चीज के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ी।

वह बताते हैं, “मैं कई सालों से अपने घर में सौर पैनल लगवाना चाहता था। लेकिन, कुछ साल पहले तक इसकी कीमत बहुत ज्यादा थी, तो मैं इसे लगवा नहीं सका। लेकिन, पिछले साल लॉकडाउन से पहले हमने आवेदन किया और लॉकडाउन हटने के तुरंत बाद, हमारे यहाँ इसे लगाने का काम शुरू हो गया।”

बशिष्ठ सिंह एक इंजीनियर हैं और हाल ही में, वोर्ले कंपनी से बतौर जनरल मैनेजर रिटायर हुए हैं। उनके घर में हर महीने 200 से 400 यूनिट के बीच बिजली की खपत होती है।

वह कहते हैं, “मेरे घर में चार सदस्य हैं। ठंड में पंखे कम चलने की वजह से 200 यूनिट तक बिजली की खपत होती है। गर्मियों में जब हम पंखे और एक एयर कंडीशनर चलाते हैं, तो 350-400 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल होती है। महीने का बिजली बिल इसी हिसाब से आता था। लेकिन जब से सौर सिस्टम लगा है, हमारा बिजली बिल एकदम जीरो हो गया है।”

Bashishtha Singh

बशिष्ठ सिंह बताते हैं कि सौर पैनल लगवाने के लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने राज्य की बिजली कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर जानकारी ले सकते हैं। जैसे सिंह ने गुजरात की सरकारी कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर ‘रूफटॉप सोलर प्लान’ (Rooftop Solar Plan) को ढूँढा। इस ऑप्शन पर जाकर आप सारी जानकारियाँ ले सकते हैं और यहीं से ऑनलाइन फॉर्म भर कर आवेदन कर सकते हैं। 

कैसे हुआ बिजली बिल जीरो:

बशिष्ठ सिंह कहते हैं कि उन्होंने अपने घर की बिजली की खपत को देखते हुए, पाँच किलोवाट की क्षमता वाला सौर सिस्टम लगवाया। जिसके साथ कंपनी ने जनरेटर और सौर मीटर भी लगाया है ताकि कितनी ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है, इसका हिसाब रखा जा सके। जब आप ‘ऑन ग्रिड सौर सिस्टम’ लगवाते हैं तो आपके पुराने मीटर को बदलकर, बिजली विभाग द्वारा एक नेट मीटर लगाया जाता है। इस नेट मीटर में, आपके सौर सिस्टम से उत्पादित होकर ग्रिड में पहुँचने वाली बिजली और आपके घर में इस्तेमाल होने वाली बिजली की यूनिट का पूरा ब्यौरा आ जाता है। 

वह कहते हैं, “अगर सौर सिस्टम से ग्रिड में पहुँचने वाली यूनिट ज्यादा है और आपके घर में खर्च होने वाली बिजली की यूनिट कम है, तो आपको बिजली का बिल नहीं भरना होता है। बल्कि, अउल्टा एक्स्ट्रा यूनिट के लिए आपको 2.25 रुपए/यूनिट के हिसाब से पैसे मिलते हैं। या इसे आगे आपके बिल में जोड़ दिया जाता है। लेकिन, अगर कभी सौर सिस्टम से बनने वाली बिजली की यूनिट कम हैं और आपके यहाँ खपत होने वाली यूनिट ज्यादा हैं, तो आपको सिर्फ इन बढ़ी हुई कुछ यूनिट के पैसे देने होंगे। हालांकि, ऐसा बहुत ही कम होता है।”

Solar Plant on Terrace

उनके घर में चार कमरों के पंखे, लाइट, वाशिंग मशीन के अलावा फ्रिज और किचन के दूसरे उपकरण इस्तेमाल होते हैं। साथ ही, गर्मियों के मौसम में एक एसी भी चलता है। लेकिन, उनका कहना है कि अगर वह घर में एक और एसी भी लगा लें तब भी उनके सौर सिस्टम इन सबको चलाने के लिए काफी होगा।

उन्होंने बताया, “हमारे सौर सिस्टम से हर दिन कम से कम 15 और ज्यादा से ज्यादा 30 यूनिट तक बिजली बन रही है। तो इस तरह से, अगर हम हर दिन का औसतन ऊर्जा उत्पादन 20 यूनिट भी लेकर चलें तो हमारा सौर सिस्टम, महीने में 600 यूनिट बिजली बनाता है। ये हमारी खपत से ज्यादा है। इसलिए, अगर हमारी बिजली की खपत बढ़ भी जाती है तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”

गैस का खर्च भी हुआ कम:

बशिष्ठ सिंह कहते हैं कि पहले उनके घर में एक-डेढ़ महीने में एक गैस सिलिंडर की जरूरत पड़ती थी। लेकिन सौर सिस्टम लगवाने के बाद, उन्होंने रसोई में गैस के साथ-साथ इंडक्शन का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। उनका परिवार अब ज्यादातर खाना इंडक्शन पर ही बनाता है, जिस वजह से उनका एक सिलिंडर पाँच से छह महीने तक चल रहा है। 

वह कहते हैं, “सौर सिस्टम में हमने सिर्फ एक बार खर्च किया है। पूरा सिस्टम लगवाने में एक लाख 90 हजार रुपये का खर्च आया। लेकिन, जिस हिसाब से यह काम कर रहा है, उसे देखते हुए हम चार-पाँच साल में ही, इसकी पूरी कीमत वसूल लेंगे और फिर हमारे घर की बिजली बिल्कुल मुफ्त होगी, जो हमारे पर्यावरण के भी अनुकूल है।”

साथ ही, ऑन ग्रिड सौर सिस्टम का ज्यादा भी रखरखाव नहीं करना पड़ता है। क्योंकि, इसमें बैटरी नहीं लगती है। इसके लिए आपको सिर्फ सौर पैनल की महीने में एक-दो बार साफ-सफाई करनी पड़ती है। इसके अलावा, इसमें और कोई रखरखाव का खर्च नहीं है। इसलिए, वह लोगों को सलाह देते हुए कहते हैं, “भारत में यह सबसे अच्छा समय है, जब आप अपने घर में सौर सिस्टम लगवाएं। हर राज्य में आजकल सौर ऊर्जा की सुविधा देने के लिए कंपनियां हैं। सरकार हर तरह से इस पहल का समर्थन कर रही है। इसलिए, एक बार की लागत पर ज्यादा न सोचें और अपने घर को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की कोशिश में जुट जाएं।”

अगर आप भी ऑन ग्रिड सौर सिस्टम के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो बशिष्ठ सिंह से bashishtha.singh@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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