देश के किसी भी कोने में चले जाएं, धनिया पत्ता आपको दिख ही जाएगा। धनिया पत्ता खाने में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल भी किया जाता है और आसानी से उपलब्ध भी है और शायद यही वजह है कि कई गुणों वाले धनिया की तरफ हम ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन आज हम आपको धनिया के जिस पौधे (Tallest Dhaniya Plant) के बारे में बताने जा रहे हैं, उस पर पूरी दुनिया की निगाह है।
गोपाल दत्त उप्रेती एक जैविक किसान हैं और उत्तराखंड के बिलकेश गांव (रानीखेत) में रहते हैं। जब गोपाल ने खेती शुरु की तब उनका भी ध्यान धनिया पर नहीं था। लेकिन अपने खेतों में उगने वाले इस खास किस्म के पौधों पर उन्होंने ध्यान दिया और दुनिया का सबसे लंबा धनिया का पौधा उगाने के लिए इस साल 21 अप्रैल को उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
47 वर्षीय गोपाल दत्त ने पारंपरिक ‘हिमालयन फार्मिंग तकनीक’ का इस्तेमाल करते हुए धनिया का पौधा (Tallest Dhaniya Plant) उगाया है जिसकी लंबाई 7.1 फीट (2.16 मीटर) है।
यह जानना काफी दिलचस्प है कि, गोपाल ने रिकॉर्ड तोड़ने वाले ये धनिया के पौधे केवल अपने सेब के बागों को कीटों के हमलों और कीड़ों से बचाने के लिए लगाया था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके खेतों में उगने वाले धनिया के ये किस्म लोकप्रिय हो जाएंगे।
गोपाल दत्त ने द बेटर इंडिया को बताया, “धनिया उगाना आसान होता है और इसमें फूल आते हैं जो तितलियों और मधुमक्खियों को आकर्षित करते है। साथ ही यह मक्खियों, मच्छरों और फ्रूट फ्लाई के लिए कीट रिपेलन्ट की तरह काम करता है। इसके लाभ को देखते हुए मैंने 2015 में धनिया लगाया और आगे जो हुआ वह अब पूरी दुनिया के सामने है।”
गोपाल के अनुसार, न तो उन्होंने किसी विशेष तरीके का इस्तेमाल किया, न ही उन्होंने पौधों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए कोई विशेष समाग्री का इस्तेमाल किया। वह बताते हैं कि उन्होंने इन पौधों के अनोखे होने पर तब ध्यान दिया जब गाँव के किसान और बाहर से आने वाले लोगों को इसकी असामान्य ऊंचाई को देख कर हैरत हुई।
वह कहते हैं, “भारत में धनिया के पौधे की औसत ऊँचाई 2-3 फीट है और 2018 में मेरे पौधे की ऊंचाई 5 फीट तक पहुंच गई। मेरे मित्र के प्रोत्साहन पर, मैंने लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड के लिए आवेदन किया और टाइटल प्राप्त किया। गिनीज के लिए, मुझे 5.9-फुट लंबे पौधे से प्रतिस्पर्धा करनी थी, इसलिए मैंने उसके बड़े होने का इंतजार किया।”
गोपाल ने अब अपने बीज के किस्म के लिए पेटेंट के लिए आवेदन किया है, जो कि उनकी रसोई से निकला था।
गोपाल पेशे से इंजीनियर हैं। 2012 में उन्होंने यूरोप की यात्रा की। यात्रा के दैरान उन्होंने जैविक खेती को नज़दीक से देखा और उससे काफी प्रभावित हुए। उसके बाद 2015 में, उन्होंने कंस्ट्रक्शन में अपना आकर्षक कैरियर छोड़ खेती करने का फैसला किया।
हालांकि उनके परिवार में लोग पहले पारंपरिक खेती करते थे लेकिन नई पीढ़ी ने स्थिर आय के लिए कॉर्पोरेट नौकरियों की ओर रुख किया। 1980 के दशक में गोपाल भी दिल्ली चले गए।
गोपाल ने तीन साल तक खेती की नई तकनीकों, बाजार दरों, अपने गाँव की मिट्टी की स्थिति आदि के बारे में जानकारी हासिल की।
उन्होंने 3 एकड़ ज़मीन पर खेती शुरू की और धीरे-धीरे अपने काम को 8 एकड़ तक फैलाया। आज, उनके बाग में 2,000 सेब के पेड़ हैं और धनिया के सैकड़ों पौधे हैं। इसके अलावा, वह हल्दी और लहसुन भी उगाते हैं।
कैसे उगाएं धनिया का लंबा पौधा (Tallest Dhaniya Plant)
धनिया उगाने की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है, चाहे राजस्थान की गर्मी हो या मुंबई की नमी हो, या फिर शिमला का ठंडा तापमान हो, धनिया को किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है।
गोपाल धनिया को सीधे गमले में बोने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं, “बीज को मिट्टी में लगभग आधा से एक इंच गहरा बोएं। 2 बीजों के बीच 5-6 इंच की जगह रखें। पौधों को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन पानी की मात्रा का ख्याल रखें क्योंकि ज़्यादा पानी से जड़ सड़ने का डर रहता है। साथ ही सुनिश्चित करें कि पर्याप्त जल निकासी छेद हों क्योंकि धनिया के जड़ गहरे होते हैं।”
कटाई में 3 सप्ताह का समय लग सकता है, लेकिन अगर आप अवधि बढ़ाना चाहते हैं और लम्बे पौधे प्राप्त करना चाहते हैं, तो गोपाल नरम तने को छांटने और पौधे को घुमाने का सुझाव देते है।
धनिया के बढ़ने में मिट्टी की उर्वरता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसे नम रखना और इसमें समृद्ध पोषक तत्वों को मिलाना आवश्यक है। इन पौधों के लिए गोपाल नीम केक, जीवमृत, बिच्छू घास से लेकर खाद तक, सब कुछ का इस्तेमाल करते है।
इस संबंध में गोपाल ने यहाँ विस्तार से बताया है –
बीज संरक्षण और खाद जैसी सरल विधियों का उपयोग करके, गोपाल ने धनिया के पौधे उगाए हैं। प्रत्येक पौधा लगभग 500 ग्राम बीज देता है, जबकि समान्य पौधे 20-50 ग्राम बीज देते हैं।
गोपाल ने एक एयरटाइट कंटेनर में लगभग एक हजार बीजों को संरक्षित किया है, जिसे वह भविष्य में किसानों और खेती करने वालों को वितरित करने की योजना बना रहे है।
आप गोपाल दत्त से: Gopaldupreti@yahoo.co.in पर संपर्क कर सकते हैं।
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संपादन – जी. एन झा
मूल लेख – गोपी करेलिया