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51 की उम्र में ज़मीन खरीदी और शुरू की खेती, 10 साल में सालाना रु. 15 लाख होने लगी कमाई

Senior Citizen woman farmer

महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अच्छा काम कर सकती हैं। फिर चाहे हवाई जहाज उड़ाना हो या खेतों में काम करना। हमारे देश में कई महिला किसान हैं, जो आज दूसरों के लिए प्रेरणारूप बनी हैं। वे अपनी मेहनत से खेती में कई नए प्रयोग करके, अच्छा मुनाफा भी कमा रही हैं। ऐसी ही एक महिला किसान से आज हम आपको मिलाने जा रहे हैं। 

नवसारी के आट गांव की 61 वर्षीया लक्ष्मी पटेल, पिछले कई सालों से खेती कर रही हैं। आज वह ऑर्गेनिक तरीकों का इस्तेमाल करके, सालाना 15 लाख का मुनाफा कमा रही हैं।  

ऐसा नहीं है कि उनके खेत में काम करने के लिए मजदूर नहीं हैं। मजदूर और सभी सुविधाएं होने के बावजूद, उनका मानना है कि हमें अपने खेत में खुद मेहनत करनी चहिए, तभी हम इससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकेंगे। 

आज वह अपने गांव की सबसे ज्यादा इनकम करने वाली किसान बन गई हैं। यही कारण है कि आज गांव की कई महिलाएं उनसे ऑर्गेनिक खेती सीखने आ रही हैं। 

लक्ष्मी पटेल

कैसे हुई शुरुआत?

वैसे तो लक्ष्मी के पिता खेती ही किया करते थे, लेकिन शादी के पहले उन्हें कभी भी खेती करने का मौका नहीं मिला। उनके पति दुबई में नौकरी करते थे, तो वह शादी के बाद दुबई चले गए। लेकिन अपने सास-ससुर का साथ देने के लिए लक्ष्मी खेतों में जाया करती थीं। उन्होंने देखा कि इस तरह की परंपरागत खेती से ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है। 

वह हमेशा से खेती में बदलाव लाना चाहती थीं। तभी उन्हें नवसारी कृषि यूनिवर्सिटी के बारे में पता चला। वह कहती हैं, “उन दिनों मुझे पता भी नहीं था कि खेती की भी कोई यूनिवर्सिटी होती है, या इसे पढ़ाया भी जा सकता है। लेकिन जैसे ही मुझे पता चला, मैंने खेती के वैज्ञानिक तरीके सीखने का फैसला किया। धीरे-धीरे वहां सीखे गए सारे प्रयोग मैं अपने खेत में करने लगी।”

चूंकि वह जमीन लक्ष्मी के पति की पुश्तैनी जमीन थी, जिसपर उनके पति के सभी भाइयों का अधिकार था। इसलिए लक्ष्मी खुद की जमीन लेकर, नया काम करना चाहती थीं। इसी सोच के साथ उन्होंने 10 साल पहले 10 बीघा जमीन खरीदी। तब तक उनके पति भी दुबई से वापस आ गए थे। उन्होंने अपनी जमीन पर आम के पेड़ लगाने शुरू किए। वह कहती हैं, “उससे पहले मैंने आम की खेती कभी नहीं की थी।” 

दोनों पति-पत्नी ने साथ मिलकर ही खेती करना शुरू किया। चूँकि लक्ष्मी को खेती की ज्यादा जानकारी थी, इसलिए वह अपने पति को भी सिखाती थीं। इस तरह दोनों मिलकर काम करने लगे।  

समय-समय पर किए नए प्रयोग 

लक्ष्मी जैसे-जैसे खेती सीखती गईं, उन्हें इसमें ज्यादा दिलचस्पी होने लगी। वह कहती हैं, “मैं हमेशा ही कृषि केंद्र में जाकर कुछ न कुछ सीखती रहती थी। अपने तैयार उत्पाद को कैसे बेचना है, वैल्यू एडिशन कैसे करना है? यह सब मैंने कृषि यूनिवर्सिटी से ही सीखा। वहां जाकर मुझे पता चला कि आम की कौन सी किस्म के क्या फायदे हैं? किसे-लगाने से ज्यादा मुनाफा हो सकता है?”

चार साल पहले ही उन्होंने, अपने खेत में रसायन का इस्तेमाल करना बिल्कुल बंद कर दिया था। कीटनाशक और केमिकल वाली खाद की जगह अब वह देसी तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। ये किफायती भी होते हैं और फायदेमंद भी। ऑर्गेनिक तरीके आजमाने के बाद ही उनकी कमाई और अच्छी होने लगी।  

उन्होंने अभी एक और जगह 10 बीघा खेत किराए पर लिया है, जिसमें वह चना, ज्वार और चावल आदि उगाती हैं।

61 की उम्र मे भी दिन रात करती हैं खेतों में काम 

फिलहाल, वह अपने खेत से ही अपनी फसल बेच रही हैं। उनके आम के बाग में तक़रीबन 700 पेड़ लगे हैं। इस उम्र में भी वह खेत में मजदूरों के साथ मिलकर सारे काम करती हैं। इसे वह अपनी अच्छी सेहत का राज बताती हैं। खेत में काम करने के लिए लक्ष्मी, उनके पति और मात्र दो मजदूर हैं, जो साथ मिलकर बुआई से कटाई तक का सारा काम संभालते हैं। अभी भी वह यूनिवर्सिटी में आयोजित होने वाली हर वर्कशॉप में भाग लेती रहती हैं। अपने साथ वह गांव की दूसरी महिला किसानों की भी ले जाती हैं। 

वह बताती हैं, “मैं आज भी रोज़ अपने खेतों में सुबह-शाम मेहनत करती हूँ। मेरे बाग में लगे हर एक आम के पेड़ की जानकारी मुझे है। अगर हम अपनी उगाई फसल से प्यार करेंगे, उसके लिए समय निकालेंगे, तो हमें मुनाफा भी जरूर होगा।”  

रिटायरमेंट की उम्र में भी उनके इस जज़्बे को देखकर,  यह कहना गलत नहीं होगा कि लक्ष्मी सही मायनों में एक सफल और प्रेरक महिला किसान हैं।

संपादनः अर्चना दुबे

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