कोलकाता के न्यूटाउन में एक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स ने बच्चों को प्रकृति के करीब लाने का एक नया तरीका निकाला है। यह सोसाइटी बच्चों को जैविक सब्जियां उगाने के गुर सिखा रही है।
अपार्टमेंट के बिश्वजीत मजूमदार कहते हैं, “मैं एक आईटी पेशेवर हूं और एक ऐसे माहौल में बड़ा हुआ जहां मैंने खेती तो करीब से देखा है और इसे मैं अपने अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में बच्चों के साथ साझा करना चाहता था। प्रोजक्ट डिज़ाइन तैयार करते समय, मैंने पाया कि कई स्कूलों के पाठ्यक्रम में ‘बागवानी’, ‘खेती’ जैसे विषय शामिल हैं। अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में रहने वाले माता-पिता का इस पहल की ओर तुरंत ध्यान गया। जल्द ही, 20 छात्रों ने विंटर फार्मिंग प्रोजेक्ट के लिए रजिस्ट्रेशन कराया।”
इस पहल का उदेश्य बच्चों को खेती के अनुभव कराने के साथ-साथ उनके मानसिक क्षमता को उजागर करना भी था। यहां वे सारे विषय पढ़ाए जाते थे जिन पर उनके टेक्स्टबुक में चर्चा की गई है, जैसे कि मिट्टी के प्रकार, पोलीनेशन, खाद, रीसायकलिंग, खाद्य उत्पादन, कीटनाशकों का उपयोग। बच्चों के विचार प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए क्विज़ आयोजित किए गए। साथ ही रचनात्मक लेखन कौशल का अभ्यास करने के लिए उन्हें अपनी खेती की कहानियां लिखने का काम भी दिया गया था।
मजूमदार बताते हैं , “हमने 45 मिनट का सत्र आयोजित किया, जहां वे संसद के सदस्यों के रूप में पेश हुए और देश भर में जैविक खेती के प्रचार के व्यावहारिक तरीकों पर बहस की। उनके अभिभावकों ने चर्चा के लिए उन्हें तैयार किया था।”
इस चर्चा में शामिल कक्षा 9 में पढ़ने वाली द्युति भट्टाचार्य कहती हैं, “हालांकि, ग्रूप में बातें करने की हमारी आदत है, लेकिन स्ट्रक्चर्ड ग्रूप डिस्कशन का अनुभव करना एक बड़ी सीख रही है।”
सबसे पहले, यह प्रोजेक्ट एक इवेंट के साथ शुरू हुआ जिसमें माता-पिता और बच्चे, दोनों उपस्थित थे। एक स्थानीय जैविक किसान ने बच्चों को कुदाल चलाना, मिट्टी की सफाई करना, खाद का मिश्रण बनाना, उपले बनाने आदि का प्रशिक्षण दिया। दो लोगों का एक ग्रूप बनाया गया और हरेक ग्रूप को 400-500 वर्ग फुट जगह में एक छोटा ज़मीन का टुकड़ा सौंपा गया, जहां वे अपनी पसंद के पौधे/सब्जियाँ की खेती कर कर सकते थे।
उनके मार्गदर्शन में, बच्चों ने सप्ताहांत में काम किया और दिए गए ज़मीन को तैयार किया। तैयार किए गए ज़मीन में उन्होंने पालक, धनिया, मेथी, बीन्स और टमाटर जैसे कुछ सब्जियों के बीज लगाए।
इस प्रोजेक्ट में शामिल एक प्रतिभागी, रितिशा कार कहती हैं, “जैविक खेती के बारे में मुझे थोड़ी-बहुत जानकारी थी। लेकिन कुदाल चलाना, पौधों के लिए मिट्टी में खाद डालना, बीज बोना और उन्हें उगते हुए देखना एक बेहतरीन अनुभव रहा है।”
जरूरत पड़ने पर अपार्टमेंट के माली ने भी गाइड का काम किया। बच्चों ने साग-सब्जियां उगाईं और वयस्कों के मार्गदर्शन में निवासियों को बेचा।
इस प्रोजेक्ट में स्थानीय जैविक खेतों का दौरा करना भी शामिल है ताकि खेती के लिए बेहतर प्रथाओं को समझा जा सके और यह देखा जा सके कि बड़े पैमाने पर खेत कैसे संचालित होते हैं। सैकट दत्त के दो बच्चों ने इस प्रोजेक्ट में हिस्सा लिया।
दत्त बताते हैं, “हमारे बच्चे स्थानीय बाजारों और सुपरस्टोर में सब्जियों को देखने के आदी हैं। एक बड़े सब्जी फार्म का दौरा करना और किसानों से सीधे बात करना उनके लिए एक रोमांचक और सीखने का अनुभव था।”
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विंटर प्रोजेक्ट समाप्त होने के साथ, बिस्वजीत अब खेतों की देखरेख कर रहे हैं और कोविड-19 लॉकडाउन हटाए जाने के बाद ऐसा ही एक समर प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बना रहे हैं।