अंगूर के बाग जमीन पर तो आपने खूब देखे होंगे, लेकिन क्या कभी कंक्रीट की छत पर किसी को अंगूर की खेती करते हुए देखा है? अगर नहीं, तो हम आपको ले चलते हैं उरुळी कांचन (महाराष्ट्र) के भाऊसाहेब कंचन के घर। जहां उन्होंने अपने घर की छत पर अंगूर का एक हरा-भरा बाग (Vineyard) बनाया हुआ है।
वह हर सीज़न में लगभग 250 किलो अंगूर उगाते हैं। लेकिन मजेदार बात तो यह है कि वह, अंगूरों को बेचकर पैसे कमाने के बजाय, पड़ोसियों और रिश्तेदारों में बांट देते हैं। क्योंकि भाऊसाहेब ने अंगूर उगाना पैसे कमाने के लिए नहीं शुरू किया था। यह तो उनका एक शौक़ था, जिसे काफी मशक्कत के बाद उन्होंने आखिरकार पूरा कर ही लिया।
मंजिल तो पता थी, लेकिन रास्ता नहीं
वैसे तो भाऊसाहेब कंचन पेशे से एक किसान ही हैं और उनके पास लगभग तीन एकड़ का पैतृक खेत है। उन्होंने दो एकड़ जमीन पर जहां नारियल, जामुन, आंवला, शरीफा, इमली, चीकू और केले जैसे फलदार पेड़ लगा रखे हैं, तो वहीं एक एकड़ जमीन पर अंगूरों की खेती (Vineyard) करते हैं। लेकिन इसके बावजूद, उन्हें टेरेस गार्डन बहुत पसंद है।
अंगूरों के बाग देखकर उनके मन में हमेशा एक सवाल घूमता रहता था कि क्या घर की छत पर भी अंगूर की खेती संभव है। ऐसा करने का उनका मन तो बहुत था, मगर रास्ते नहीं पता थे। वह, अपनी इस चाह को काफी सालों तक मन में ही दबाए रहे।
फिर साल 2013 में उन्हें यूरोप जाने का मौका मिला और साथ ही उन्हें उनके सवालों का जवाब और छत पर अंगूर की खेती, दोनों का रास्ता मिल गया। वह कहते हैं, “दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जाकर किसान, कृषि तकनीक की जानकारी ले सकें, इस मकसद से राज्य के कृषि विभाग ने किसानों के लिए इस टूर को ऑर्गेनाइज किया था। विभाग, भारतीय किसानों को विदेशों में की जा रही खेती करने की तकनीक से रू-ब-रू कराना चाहते थे।”
हॉलैंड से मिला Vineyard का आइडिया
भाऊसाहेब ने बाकी किसानों के साथ नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रैंकफर्ट और हॉलैंड की यात्रा की। उन्होंने बताया, “हॉलैंड में कई किसानों ने अपने घर के अहाते में अंगूरों की बेलें लगाई हुईं थीं, जो लंबी होकर उनके छत तक पहुंच जाती और उसे पूरी तरह से ढक लेती। यह देखकर मैं जान गया कि छत पर अंगूरों की खेती (Vineyard) संभव है। बस थोड़ा दिमाग लगाए जाने की जरूरत है।”
अपने विदेशी दौरे के बाद, भाऊसाहेब ने छत पर अंगूर उगाने (how to grow Grapes) की अपनी चाह को पूरा करने का फैसला ले लिया और उन्हें ये मौका साल 2014 में तब मिला, जब वह उरुळी कांचन में अपना नया घर बना रहे थे। बस यहीं से छत पर अंगूर उगाने की कवायद शुरू हो गई और आज उनका प्रयोग सफल हो गया है। अंगूर की बेलों से उनकी पूरी छत लदी पड़ी है। एक तरफ सीजन में जहां उन्हें खाने के लिए भरपूर अंगूर मिलते हैं, वहीं गर्मी से काफी राहत भी मिलती है।
Vineyard में नहीं करते रसायनों का इस्तेमाल
58 साल के भाऊसाहेब कहते हैं, “मैंने नेशनल ग्रेप रिसर्च इंस्टीट्यूट’ से अंगूर की एक काली किस्म, ‘बैंगलोर पर्पल’ की खरीद की थी और इस पौध को अपनी बाउंड्री वॉल से लगाकर रोप दिया। मेरा इरादा अंगूरों की इन बेलों को अपनी 1100 वर्ग फुट की छत (Vineyard) तक फैलाना था। तीसरी छत तक इन्हें पहुंचाने के लिए कम से कम 50 से 60 फ़ीट लंबा बढ़ाने की जरूरत थी।”
अंगूरों को बेचकर पैसा कमाना उनका उद्देश्य नहीं था। वह तो बस अपनी खुशी के लिए छत पर अंगूर उगाना (how to grow Grapes) चाहते थे। इसलिए उन्होंने इसके लिए जैविक तरीकों का उपयोग करने का फैसला किया। वह बताते हैं, “मैंने अपने अंगूरों की बेलों के लिए गाय का गोबर, खाद, कार्बनिक पदार्थ और गोमूत्र का इस्तेमाल किया और बेलें 32 फीट तक मजबूत हो गईं।”
आखिरकार लताओं से शाखाएं निकलीं और भाऊसाहेब ने बड़ी ही सावधानी से उन्हें अपनी छत पर समान रूप से फैलाने के लिए तैयार कर दिया। साल दर साल ये फैलती रहीं। 100 से 200 और फिर 200 से 350 हो गईं। उन्हें उम्मीद है कि साल 2022 के आखिर तक अंगूरों की ये बेलें 550 से ज्यादा हो जाएंगी। भाऊसाहेब के अनुसार, “मुझे अभी इनसे 250 किलो अंगूर मिलते हैं और पूरी संभावना है कि अगले साल तक ये फसल दोगुनी हो जाएगी।”
मौसम का अनुकूल होना सबसे ज्यादा जरूरी
वह कहते हैं, “अंगूर उगाने के लिए मौसम का अनुकूल होना सबसे ज्यादा जरूरी है इसके लिए गर्म और ह्यूमिड वातावरण की जरूरत होती है। अगर आपके इलाके में मौसम कुछ ऐसा है, तो आप बड़े आराम से छत पर या फिर घर के अहाते में अंगूरों की खेती (Vineyard) कर सकते हैं।”
भाउसाहेब बेलों की अक्सर कटाई-छटाई कर, उनकी देखभाल करते रहते हैं। लेकिन कभी भी कीटनाशक या रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ी है।
अब तक 80 लोगों को किया गाइड
भाउसाहेब की छत पर लगे अंगूरों को देखने के लिए पुणे और राज्य के अन्य हिस्सों से लोग आते रहते हैं। उन्होंने बताया, “मैंने फेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर लगभग 80 लोगों को इस तरह की खेती करने के लिए प्रेरित किया और साथ ही उन्हें गाइड भी किया है कि छत पर अंगूर कैसे उगा (how to grow Grapes) सकते हैं। यहां तक कि विदेशों से भी लोग सवाल करते रहते हैं।”
वह कहते हैं, “मैं कोई अंगूर नहीं बेचता, लेकिन उन्हें दोस्तों और परिवारों में बांट देता हूं। मैं बस लोगों को यह दिखाना चाहता हूं कि कंक्रीट के जंगल के बीच शहरी क्षेत्रों में भी एक अंगूर का हरा-भरा बाग (Vineyard) लगाया जा सकता है।”
अधिक जानकारी के लिए आप उन्हें 9404998960 पर कॉल कर सकते हैं।
मूल लेखः हिमांशु नित्नावरे
संपादनः अर्चना दुबे
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