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फ्रांस की नौकरी छोड़ लौटे गांव, पूराने खंडहर को होमस्टे बनाकर 10 लोगों को दिया रोजगार

Neeraj Joshi (1)
फ्रांस में नौकरी ठुकराकर लौटे गांव, शुरू की खेती। Organic Farming | Homestay

एक बड़ा घर, एक लंबी गाड़ी, विदेश में नौकरी…बस लाइफ सेट है भाई! ऐसी ज़िंदगी कौन नहीं जीना चाहता, लेकिन उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक छोटे से गांव करौली के रहनेवाले नीरज जोशी ने विदेश की अच्छी-खासी नौकरी का ऑफर छोड़ दिया, ताकि गांव जाकर खेती कर सकें।

शुरुआती पढ़ाई अपने गांव और रुद्रपुर जवाहर नवोदय विद्यालय से करने के बाद, नीरज ने आगे की पढ़ाई के लिए कृषि को चुना। उन्होंने DSB नैनीताल से B.sc और पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से M.sc की पढ़ाई की। इसके बाद नीरज ने Charpak Master’s Scholarship और Supagro Foundation से स्कॉलरशिप हासिल कर एग्रोडिज़ाइन की पढ़ाई के लिए फ्रांस चले गए।

कोर्स पूरा करने के बाद, उन्हें एक अच्छे पैकेज पर नौकरी का ऑफर भी मिला, लेकिन उन्होंने उस नौकरी को छोड़ वापस अपने गांव लौटने का फैसला किया। उन्होंने द बेटर इंडिया से बात करते हुए बताया, “आखिरी सेमेस्टर में मेरे पास मौका था, एक मल्टीनेशनल कंपनी ने मुझे जॉब ऑफर किया, लेकिन इसी दौरान मुझे अपने गांव का ध्यान आया, क्योंकि मैं एक पहाड़ी हूं।” 

विदेश में नौकरी ठुकराकर लौटे गांव, बंजर ज़मीन पर उगाए 500 पौधे

उत्तराखंड के छोटे से गांव करौली के रहनेवाले नीरज जोशी के पिता ITBP में नौकरी के साथ-साथ खेती भी किया करते थे और उन्हीं से नीरज को भी खेती और पेड़-पौधों से बहुत कम उम्र से ही लगाव हो गया था। इसीलिए नीरज ने विदेश में नौकरी छोड़ गांव आकर खेती करने का फैसला किया और अपनी पुश्तैनी ज़मीन को इस काम के लिए चुना।

उन्होंने कहा, “यह जो ज़मीन थी, जहां मैंने काम किया, उसे 30 साल पहले मेरे पूर्वज छोड़कर चले गए थे। तो ज़मीन बंजर हो चुकी थी, तो परेशानी यह थी कि इस ज़मीन पर कैसे काम करें? तो मैंने कृषि विभाग और कृषि शोध में लगे अपने कृषि मित्रों से मैंने पूछा कि यहां क्या किया जाए? उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि आप ऐसी फसलें उगाएं जिसे जानवरों से खतरा न हो।” 

इसलिए नीरज ने विदेश में नौकरी ठुकराने के बाद गांव आकर सबसे पहले हल्दी, अदरक, एलोवेरा, अश्वगंधा, सर्पगंधा जैसे कुछ औषधीय पौधे उगाने से शुरुआत की। धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई और अब तक नीरज करीब 3 सालों में उस ज़मीन पर 500 से ज्यादा औषधीय व फलदार पौधे लगा चुके हैं।

30 साल पुराने खंडहर को बदला होमस्टे में

Neeraj Joshi

विदेश में नौकरी छोड़ गांव आए नीरज ने बताया, “जो हमारे पास अभी सबसे बड़ा चैलेंज है, वह ऑर्गेनिक खेती का है, क्योंकि खेती तो हम कर रहे हैं, लेकिन हमें उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है।” नीरज की कोशिश है कि वह ऑर्गेनिक मार्केट में पहचान बना सकें, दूर-दराज़ के गांवों तक निवेशकों को ला सकें और ग्राहकों को किसानों से सीधा जोड़ सकें।

इतना ही नहीं गांव में टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए नीरज ने पर्यटन विभाग की मदद से अपने 30 साल पुराने खंडहर बन चुके घर को एक खूबसूरत होमस्टे में भी बदल दिया है।

नीरज आज न सिर्फ शहरों की ओर पलायान कर रहे लोगों को रोकने में मदद कर रहे हैं, बल्कि अपने फार्म और होमस्टे के ज़रिए 10 लोगों को रोज़गार भी दिया है। नीरज ने इस बात को साबित किया है कि अवसरों की तलाश और सफलता के रास्ते सिर्फ शहरों की पक्की सड़कों से ही नहीं, गांव की पगडंडियों से भी तय किए जा सकते हैं।

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