क्या आपने एवेकैडो फल के बारे में सुना है? क्या आपके आसपास इस फल की खेती होती है? दरअसल इस फल की खेती भारत में बहुत ही कम होती है। आज हम आपको पोषण से भरपूर इस फल की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं। पंजाब में एक एनआरआई ने इस फल की खेती की शुरूआत की है।
अमृतसर के रहने वाले 34 वर्षीय हरमनप्रीत सिंह किसानों को एवेकैडो की खेती के बारे में जागरूक कर रहे हैं। एवेकैडो, जिसे एलीगेटर पीयर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा फल है जो धीरे-धीरे भारत में अपनी जगह बना रहा है।
एवेकैडो विटामिन से भरपूर होता है और यह एंटीओक्सिडेंट का अच्छा स्त्रोत भी है। यह फल काफी महंगा होता है। इसकी कीमत बाज़ार में 100 रुपये से 2000 रुपये किलो तक है। ज़्यादातर भारत में यह फल बाहर से ही इम्पोर्ट होता है क्योंकि अपने यहाँ एवेकैडो की खेती बड़े स्तर पर नहीं हो रही है।
हरमनप्रीत ने इस फल के बारे में द बेटर इंडिया को बताया, “यह सच है कि शुरूआत में एवेकैडो की खेती महंगी होती है लेकिन अगर किसान छोटे स्तर से शुरू करे तो इसमें काफी फायदा है। हमने पंजाब में अपने नेटवर्क में 200 एवेकैडो के पेड़ लगाए हैं और इनमें हमें अच्छे नतीजे मिले हैं। कम पानी में भी इसकी अच्छी ग्रोथ आपको मिल सकती है। इसलिए हमने सोचा कि क्यों न किसानों को इसके बारे में जागरूक किया जाए और उन्हें बाहर से कम कीमत में इसके पौधे उपलब्ध कराए जाएं।”
हरमनप्रीत एनआरआई हैं। उनके परिवार के अधिकांश लोग अफ्रीका के रवांडा में रहते हैं। विदेश में भी उनका परिवार खेती ही कर रहा है। इसके बारे में वह बताते हैं कि उनके परदादा भारत से अफ्रीका गए थे।
“मेरे दादा-पापा सबने एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर में ग्रेजुएशन और मास्टर्स की। अलग-अलग तरह की खेती करने का शौक उन्हें देश से परदेश ले गया क्योंकि वहाँ भारत के मुकाबले ज़मीन सस्ती है। मैं भी अपनी पढ़ाई के बाद रवांडा गया और वहाँ पर अलग-अलग फसल उगाना सीखा जिनमें से एक एवेकैडो है,” उन्होंने कहा।
हरमनप्रीत ने एनीमेशन में ग्रेजुएशन की लेकिन जब वह रवांडा गए और वहाँ पर हो रही अपने परिवार की खेती को देखा तो उन्होंने भी खेती करने का ही मन बनाया। वहाँ से उन्होंने न सिर्फ एवेकैडो की खेती बल्कि इसकी प्रोसेसिंग के बारे में सीखा। रवांडा, केन्या जैसी जगहों पर एवेकैडो की सफल खेती करने के बाद, उन्होंने सोचा कि पंजाब में भी इसकी खेती की जाए। एक बार जब वह पंजाब आए तो अपने घर पर एवेकैडो के दो पेड़ लगा गए, जिनसे फिलहाल उन्हें अच्छे फल मिल रहे हैं। उनके यहाँ एवेकैडो के फलों को देखकर उनके और भी रिश्तेदारों ने इसकी मांग की।
ऐसा करते-करते उन्होंने लगभग 200 पेड़ यहाँ लगवा दिए। बाजार में एवेकैडो की बढ़ती मांग को देखकर उनके दोस्त-रिश्तेदारों ने उनसे कहा कि क्यों न वह एक नर्सरी पंजाब में भी शुरू करें। साथ ही, किसानों को ट्रेनिंग दें ताकि यहाँ पर किसान अपनी सामान्य खेती के साथ-साथ इस अलग और फायदेमंद खेती से भी जुड़ें।
इस साल की शुरूआत में हरमनप्रीत ने अपने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। वह कहते हैं कि उन्होंने मांग के हिसाब से इस साल लगभग 5 हज़ार एवेकैडो के पेड़ तैयार किए हैं और साथ ही, वह किसानों को इसे लगाने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।
हरमनप्रीत को अपने यहाँ लगाए हुए एवेकैडो के पेड़ों से लगभग 3 क्विंटल फल मिल रहे हैं, जिन्हें वह 400 रुपये किलो के हिसाब से बेचते हैं। वह कहते हैं, ” एवेकैडो जब फल देना शुरू करता है तो, शुरू के दो साल आपको एक पेड़ से 2 किलो फल मिलेंगे, तीसरे साल से यह आंकड़ा 8 किलो तक पहुँचेगा और फिर दसवें साल तक यह आपको लगभग डेढ़ क्विंटल फल देने लगेगा। एक पेड़ की उम्र लगभग 50 साल होती है और बहुत ही कम देख-रेख आपको इसकी करनी पड़ती है। बाज़ार में इसकी अच्छी मांग है फल के तौर पर भी और फिर इसकी प्रोसेसिंग करके आप प्रोडक्ट्स भी बना सकते हैं।”
एवेकैडो की बारे में एक ख़ास बात यह है कि इसमें पेर्सिन नामक एक फंजीसिडल टोक्सिन होता है जो किसी भी तरह के पेस्ट और पक्षियों को इससे दूर रखता है। इससे आपको इस पर किसी भी तरह का रसायन इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
एवेकैडो की खेती के बारे में विस्तार से बात करते हुए उन्होंने बताया कि किसान को 8-10 पेड़ों से इस फल की खेती की शुरूआत करनी चाहिए। एक-एक करके लगाने से किसानों पर भार भी नहीं पड़ेगा और अपनी फसल के साथ-साथ वह कुछ सालों में इन पेड़ों से भी आमदनी लेने लगेंगे।
जानिए कैसे लगा सकते हैं एवेकैडो:
इसके लिए आपको एवेकैडो के बीज, मिट्टी, ग्रो बैग/पॉलीबैग, कोकोपीट/लकड़ी का बुरादा/सूखे पत्ते, गोबर खाद या फिर वर्मीकंपोस्ट की ज़रूरत होगी।
हरमनप्रीत कहते हैं, “किसान अगर चाहें तो बीज से भी इसे लगा सकते हैं लेकिन जल्दी नतीजे मिलने के लिए अच्छा है कि वह अच्छी गुणवत्ता के एवेकैडो के पौधे खरीद कर लगाएं।”
ऐसे लगाएं बीज:
- सबसे पहले मिट्टी, कोकोपीट, और खाद को मिलाकर पॉटिंग मिक्स तैयार करें और इसे ग्रो बैग्स में भरें। ग्रो बैग न होने पर आप पुराने प्लास्टिक के डिब्बे आदि भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- मिट्टी में आपको बीज को ऐसे रखना है कि यह आधा मिट्टी में दबा हो और आधा मिट्टी से बाहर। अगर आप पूरे बीज को मिट्टी में दबा देंगे तो यह खराब हो जाएगा।
- जहाँ भी आप यह बीज बो रहे हैं वहाँ के इलाके का तापमान 25 डिग्री से कम नहीं होना चाहिए और हवा भी अच्छी होनी चाहिए।
- बीज लगाने के बाद हफ्ते में दो बार पानी दें, लेकिन अगर आपने बीज सर्दियों में लगाया है तो दो हफ्तों में सिर्फ एक ही बार पानी दें।
- पानी देते वक़्त ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा पानी आप न भर दें। पानी सिर्फ उतना होना चाहिए जितना कि मिट्टी को नमी रख सके।
- लगभग 20 दिन बाद आप इसमें फिर से वर्मीकंपोस्ट मिला सकते हैं।
एवेकैडो के बीज को अंकुरित होने में थोड़ा समय लग सकता है इसलिए धैर्य रखें और इसकी देखभाल करें।
ट्रांसप्लांट करें:
आपका पौधा जब बढ़ने लगे और लगभग 15 सेंटीमीटर हो जाए तो आपको इसे ट्रांसप्लांट करना होगा। इसे आप वहाँ ट्रांसप्लांट करें जहाँ आपको पेड़ बड़ा करना है। अगर आप चाहें तो इसे काटकर 10 सेंटीमीटर कर सकते हैं, क्योंकि इससे यह और तेजी से बढ़ेगा।
ऐसे करें ग्राफ्टिंग:
हरमनप्रीत कहते हैं कि एवेकैडो में नए पौधे और मदर प्लांट के बीच ग्राफ्टिंग की ज़रूरत पड़ती है और यह तकनीक हर कोई नहीं कर पाता है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वह ग्राफ्टेड एवेकैडो के पेड़ खरीदें। ग्राफ्टिंग एक बागवानी की तकनीक है, जिसमें दो पौधों के टिश्यू को साथ में जोड़ा जाता है ताकि दोनों का विकास अच्छा हो सके।
- आप एवेकैडो में ट्रांसप्लांटिंग के लगभग तीन महीने बाद ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
- आपको मदर प्लांट से ऐसी शाखा लेनी है जिसमें स्प्राउटिंग हो रही है और इसे नए सैप्लिंग पौधे के साथ ग्राफ्ट करना है।
- सबसे पहले आपको जिस शाखा को ग्राफ्ट करना है और सैप्लिंग की जिस शाखा में ग्राफ्ट करना है, उनमें एक तिरछा कट लगाएं।
- अब दोनों को टेप से बाँध दें और लगभग एक महीने बाद आप देखेंगे कि ग्राफ्ट की हुई शाखा से भी नए पत्ते निकलने लगे है।
- इसका मतलब होता है कि आपकी ग्राफ्टिंग सफल रही है और अब आप टेप को खोल सकते हैं।
आगे हरमनप्रीत कहते हैं कि दो सालों तक आपको इसकी देखभाल करनी है। कोशिश करें कि इस दौरान आप इसके ताने में प्रूनिंग करते रहें ताकि आपको अच्छे फल मिलें। दो साल बाद जब यह फल देना शुरू करता है तो आपको हार्वेस्टिंग समय का ध्यान रखना है। एवेकैडो के फलों को हल्का-सा कच्चा तोड़ने पर ही ये सही रहते हैं, जब फलों का रंग पर्पल होने लगे तो आपको इन्हें तोड़ लेना चाहिए।
कर सकते हैं प्रोसेसिंग भी:
हरमनप्रीत अब एवेकैडो की नर्सरी के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग पर भी काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि फ़िलहाल, वह इसके अलग-अलग प्रोडक्ट्स भी बना रहे हैं जैसे एवेकैडो पाउडर, पल्प, आइसक्रीम, स्मूथी, बटर आदि। उन्होंने अपने एवेकैडो प्रोडक्ट्स का नाम Singh’s Agro रखा है।
“हमने पंजाब में एवेकैडो की अच्छी फसल ली है और तब ही इसे आगे बढ़ाने की सोची। दक्षिण भारत में भी इसकी खेती हो रही है लेकिन उत्तर भारत में अभी भी यह ना के बराबर है। हमारा उद्देश्य किसानों को अच्छी आमदनी वाली फसलों के बारे में जागरूक करना है ताकि उनकी आमदनी बढ़े,” उन्होंने अंत में कहा।
अगर आप एवेकैडो के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं या फिर हरमनप्रीत से इसके पौधे खरीदना चाहते हैं तो 7009704980 पर कॉल कर सकते हैं!
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