उत्तर-प्रदेश के मेरठ निवासी रोहन प्रकाश भारत के किसी भी अन्य उद्यमी युवा की तरह ही है। उनका उद्देश्य जीवन में कुछ बड़ा करना है, जिसके साथ-साथ वे समाज के लिए भी कुछ कर पाएं।
लेकिन एक बात है जो इस 23 साल के युवक को बाकी सबसे अलग बनाती है। वह यह है कि रोहन उत्तर प्रदेश में जैविक आम की खेती करते हैं। पिछले तीन सालों में उनके फार्म ने उत्तर भारत के बाज़ारों में अपनी मजबूत जगह बना ली है।
दिलचस्प बात यह है कि रोहन एक सिविल इंजीनियर हैं, जिन्होंने पिछले साल अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी। किसानी के लिए उनका जुनून पूरी तरह से घर में ही पनपा, क्योंकि उनके पिता और दादा, दोनों ही पेशे से सिविल इंजीनियर थे, लेकिन फिर भी उन्होंने खेती करना नहीं छोड़ा।
हालांकि, रोहन ने इस विरासत को एक कदम आगे ही बढ़ाया है। क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से जैविक खेती करना शुरू कर दिया।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए रोहन ने बताया,
“मैंने बचपन से ही मेरे पापा और दादाजी को खेती करते देखा था, तो स्वभाविक रूप से मेरा भी कृषि की तरफ झुकाव हो गया। अपने खेतों की जमीन और पैदावार की गुणवत्ता का कुछ समय तक निरीक्षण करने के बाद, मैंने ऑर्गेनिक फार्मिंग के बारे में गम्भीरता से सोचना शुरू कर दिया। कॉलेज के दूसरे साल में यह आईडिया मेरे दिमाग में आया था और मैंने अपने पिता से विचार-विमर्श कर सभी रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की जगह नीम के तेल के एक उत्पाद का इस्तेमाल करने का फैसला किया।”
रोहन के मुताबिक, उनका यह कदम कारगर साबित हुआ। पहले वर्ष से ही फल के आकार और स्वाद में उन्हें एक बेहतर बदलाव देखने को मिला।
इसलिए, उन्होंने और उनके परिवार ने पूरी तरह से जैविक खेती करने का निर्णय लिया। तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार रोहन ने अपनी पहचान बना ही ली। साल की शुरुआत में ही उन्हें राज्य में आम की जैविक खेती करने वाले एकमात्र किसान होने की पहचान मिल गयी।
“दिलचस्प बात यह है कि हमने हमारे उत्पाद, जिन्हें हमने ‘स्योर ऑर्गेनिक’ के नाम से बेचना शुरू किया था, उनके लिए अब हमें पहले से 3-4 गुना ज्यादा ही लाभ मिल रहा है। जिसके चलते सर्टिफिकेशन मिलने के बाद हमारी इस क्षेत्र में मिलने वाली संभावनाओं और मौकों के प्रति आँखे खुल गयी हैं। पिछले कुछ महीनों में न केवल हमें हमारी लागत मिली है बल्कि हमारी कुल उत्पाद क्षमता भी 40% बढ़ गयी है,” रोहन ने कहा।
आम की अनेक प्रजातियां, जैसे दसेहरी, चौंसा, लंगड़ा, गुलाब जामुन और सफेदा के साथ-साथ रोहन अब लीची और हल्दी भी उगा रहे हैं।
इन फलों का खेती-चक्र चार महीने का होता है। अब रोहन ने अमरुद और आड़ू के पेड़ों के साथ धान की खेती करना भी शुरू किया है।
रोहन ने बताया, “हमने कुछ समय पहले आड़ू और अमरुद के पेड़ लगाए थे, जो अब फल देने के लिए तैयार हैं। हमें आशा है कि दिसंबर तक इन फलों को हमारे आम व लीची की तरह ही लोकप्रियता मिलने लगेगी।”
रोहन के फार्म के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि उनके ही गांव से 10-15 लोगों को इस फार्म में रोजगार प्राप्त हो रहा है। ये लोग फसल की कटाई के साथ-साथ अन्य प्रक्रिया जैसे पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन में भी शामिल हैं।
रोहन और उनके पिता अपने खेत में ही जैविक खाद और कीटनाशक बनाते हैं और इन्हें स्थानीय किसानों को बहुत कम कीमत पर बेचते हैं।
वर्तमान में, ‘स्योर ऑर्गॅनिक्स’ नई दिल्ली में सभी जैविक स्टोर और श्रृंखलाओं की मांग को पूरा कर रहा है। हालांकि, देश के हर एक कोने से बढ़ रही मांग को पूरा करना अभी भी रोहनके लिए थोड़ा मुश्किल है। पर वे इसकी पहुंच निश्चित तौर पर और बढ़ाना चाहते हैं। वे पहले इसे पुरे देश में इसे फैलाकर, फिर अन्य देशों में निर्यात शुरू करने का सोच रहे हैं।
आज जब देश की युवा पीढ़ी खेती-किसानी से दूर जा रही है, तो रोहन उम्मीद जताते हैं कि उनकी कहानी से प्रेरित होकर अन्य युवा और खासकर शिक्षित लोग जैविक खेती की तरफ अपने कदम बढ़ायेंगें और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करेंगें।
आप ‘स्योर ऑर्गॅनिक्स’ का फेसबुक पेज देख सकते हैं। रोहन तक पहुंचने के लिए, आप 7017294146 पर कॉल कर सकते हैं।
संपादन – मानबी कटोच