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16 किस्म के मशरूम उगाकर हर महीने रु. 5 लाख कमाता है यह किसान

बात अगर कम से कम लागत में खेती करने की हो, तो किसानों को मशरूम की खेती करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि मशरूम की खेती के लिए किसानों को न तो ज्यादा बड़ी जगह चाहिए और न ही इसमें ज्यादा लागत आती है। बहुत से किसान सामान्य फसलों की खेती के साथ मशरूम की खेती करते हैं ताकि एक अतिरिक्त आय कमा सकें। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे किसान से मिलवा रहे हैं जो सिर्फ मशरूम की खेती से ही हर महीने लाखों का मुनाफा कमा रहा है और इन्हें Mushroom King जैसे सम्मान से भी नवाजा गया है। 

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सीकर में रहने वाले 63 वर्षीय किसान मोटाराम शर्मा की। 25 सालों से भी ज्यादा समय से मशरूम की खेती कर रहे मोटाराम शर्मा आज राजस्थान के Mushroom King बन चुके हैं और पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणा हैं। 

मोटाराम शर्मा ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैंने सबसे पहले ओएस्टर मशरूम उगाना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे मशरूम के दूसरे किस्मों में भी हाथ आजमाया। दुनियाभर में मशरूम की हजारों किस्में हैं, लेकिन भारत में 25-30 ही उगायी जा रही हैं।” 

मोटाराम शर्मा अपने मशरूम के खेत में 16 किस्म के मशरूम उगाते हैं, जिनमें ओएस्टर, बटन, पिंक मशरूम, साजर काजू, काबुल अंजाई, ब्लैक ईयर, डीजेमोर, सिट्रो मशरूम, शीटाके जैसी किस्मों के साथ गैनोडर्मा और कार्डिसेप्स मिलिट्री मशरूम जैसी मशहूर किस्में भी शामिल हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि उनकी उगाई मशरूम की बाजार में काफी मांग  है। अपनी ज्यादातर उपज को वह सीधा बाजार तक पहुँचाते हैं, तो कुछ बची हुई उपज को प्रोसेस करके पाउडर, अचार जैसे खाद्य उत्पाद भी बना रहे हैं। 

Motaram Sharma, Mushroom Farmer

Mushroom King मोटाराम ने बताया कि उनका बचपन बहुत अभावों में गुजरा। उनके पिता के पास पाँच बीघा जमीन थी और इसमें परिवार का पेट भरना मुश्किल था। काम की तलाश में उनके पिता असम चले गए और कुछ समय बाद, 13 साल की उम्र में मोटाराम भी अपने पिता के पास चले गए। उनके पिता असम में एक जगह खाना बनाने का काम करते थे और मोटाराम ग्राहकों को खाना परोसते थे। उन्होंने कहा कि कई सालों तक उन्होंने और उनके पिता ने असम में काम किया। इसी बीच, मोटाराम को अल्सर की समस्या हो गयी। 

वह कहते हैं, “डॉक्टर के पास जाकर इलाज कराने के साधन नहीं थे। इसलिए पिताजी ने एक आदिवासी वैद्य से संपर्क किया। उन्होंने मुझे मशरूम से बनी दवाई दी और तब मैंने पहली बार मशरूम का नाम सुना। थोड़ा और पूछने पर पता चला कि मशरूम में बहुत से औषधीय गुण हैं और इसे उगाना बहुत ही आसान होता है। मैंने उसी समय तय किया कि अगर कभी मौका मिला, तो मशरूम पर काम करूँगा। लेकिन, जीवन की राह आसान नहीं थी” 

मशरूम ने बदली तकदीर:   

साल 1985 के बाद वह राजस्थान लौटे और अपने खेतों को संभालने का फैसला किया। लेकिन, वह ऐसा कुछ करना चाहते थे, जिससे उन्हें कम जमीन पर अच्छी आय मिले। इसके लिए उन्होंने अपनी जमीन पर केंचुआ खाद बनाने की यूनिट लगाई और साथ में, डेयरी का काम भी करने लगे। कुछ सालों तक यह काम करने के बाद, उन्हें सोलन में मशरूम की ट्रेनिंग के बारे में पता चला। उन्होंने तुरंत इस ट्रेनिंग को करने का फैसला किया। उन्होंने बताया, “सोलन से मैंने मशरूम उगाने की ट्रेनिंग की और इसके बाद, जयपुर में भी ट्रेनिंग की। उस समय ओएस्टर मशरूम की ही ट्रेनिंग मिली और मैंने इसी से अपना काम शुरू किया।” 

वह आगे बताते हैं कि उन्होंने एक छोटे से कमरे में मशरूम उगाना शुरू किया था और इसे घर-घर बेचने जाते थे। “इस इलाके में मशरूम को लेकर ज्यादा जागरूकता नहीं थी। कई लोगों को लगता था कि यह ‘नॉन-वेज’ है। इसलिए मैंने गाँव-शहर में घर-घर जाकर इसकी मार्केटिंग की। धीरे-धीरे लोग जुड़ने लगे, क्योंकि मशरूम के फायदे बहुत हैं और यह सिर्फ वही जान सकता है, जो नियमित तौर पर इसे अपने खाने में शामिल करे। मशरूम में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी जैसे तत्व होते हैं। इसे खाने से दिल की बीमारी, डायबिटीज और कैंसर जैसे रोगों से ग्रस्त लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।” 

Growing Different Mushrooms

ओएस्टर में सफलता के बाद, उन्होंने बटन मशरूम भी उगाना शुरू किया। साथ ही, अपनी डेढ़ बीघा जमीन पर 10-11 कमरे बनवा दिए, जिनमें उन्होंने मशरूम का सेटअप किया। वह कहते हैं, “बटन मशरूम को मैंने जयपुर और दिल्ली की मंडी में भी बेचा और सभी जगह बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। हर एक-दो साल में मैं मशरूम की कोई नई किस्म उगाने की कोशिश करता हूँ और ऐसा करते-करते, अब मैं 16 किस्म के मशरूम उगा रहा हूँ। ऐसा नहीं है कि मैं मशरूम की सभी 16 किस्में एक साथ उगाता हूँ। इन सभी किस्मों को मैं मौसम के हिसाब से उगाता हूँ। कोशिश यही है कि प्राकृतिक रूप से ही मशरूम उगाई जाए।” 

मशरूम की कुछ किस्मों को उगाने के लिए किसान को कुछ ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है। लेकिन, कुछ खास किस्मों के लिए आपको अच्छा सेटअप चाहिए और इसे तैयार करने में एक लाख रुपए से ज्यादा का खर्च आ जाता है। जैसे गैनोडर्मा और कार्डिसेप्स मिलिट्री मशरूम को उगाने के लिए बहुत देखभाल और अच्छे से अच्छे सेटअप की जरूरत होती है। साल 2010 में उन्होंने पहली बार गैनोडर्मा मशरूम उगाई। वह कहते हैं, “भारत में इस किस्म को उगाने वाला मैं पहला किसान हूँ। इसके बाद ही मुझे मशरूम किंग का सम्मान मिला था। गैनोडर्मा मशरूम की खासियत है कि इसमें पोषण और औषधीय गुणों की काफी ज्यादा मात्रा है। इसे प्रोसेस करके कई तरह की दवाइयों में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है। इसकी बाजार में काफी ज्यादा मांग है।” 

गैनोडर्मा के बाद उन्होंने कार्डिसेप्स मिलिट्री मशरूम यानी कीड़ा-जड़ी उगाने पर काम किया। मिलिट्री मशरूम को लोग हेल्थ सप्लीमेंट के तौर पर लेते हैं और यह दो लाख रुपए किलो के हिसाब से बिकती है। उन्होंने कहा, “मिलिट्री मशरूम उगाने के लिए आपको लैब सेटअप करना पड़ता है। इसलिए इसमें निवेश ज्यादा है और कमाई भी ज्यादा है। मिलिट्री मशरूम, डायबिटीज, थायराइड, अस्थमा, ट्यूमर जैसी कई बीमारियों में कारगर है। इसमें कॉर्डीसेपीन और एडिनोसिन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।” 

Training programs

मशरूम की खेती के साथ की पढ़ाई भी:

उन्होंने अपने मशरूम फार्म पर एक प्रोसेसिंग यूनिट भी लगायी है। प्रोसेसिंग यूनिट में वह अलग-अलग मशरूम के उत्पाद जैसे पाउडर, अचार, बिस्किट, कैप्सूल जैसे 10 तरह के खाद्य और औषधीय उत्पाद बना रहे हैं। उनके उत्पादों की मांग इतनी है कि हाथों-हाथ बिक्री होती है। 

वह आगे कहते हैं, “जब हमारे खेत के मशरूम और इसके बने उत्पादों से लोगों को स्वस्थ रहने में मदद मिली, तो वे मुझे डॉक्टर साहब कहने लगे। मुझे यह सुनकर थोड़ा अजीब लगा, क्योंकि मैं मात्र 5वीं पास था। जो भी मुझसे पढ़ाई के बारे में पूछता तो मैं कहता था कि मैं ‘हाफ मैट्रिक’ हूँ। लेकिन फिर मुझे लगने लगा कि मुझे पढ़ाई करनी चाहिए। 40 साल की उम्र पार करने के बाद मैंने दसवीं की परीक्षा दी। इसके बाद, बायोलॉजी विषय से 12वीं पास की और फिर एक्यूप्रेशर थेरेपी में कोर्स किया।” 

उनके बेटे, राजकुमार शर्मा बताते हैं कि अब तक उन्हें ऑनलाइन मार्केटिंग करने की जरूरत नहीं पड़ी है। उनसे जो भी ग्राहक जुड़े हैं, ग्राहकों के जरिए ही जुड़े हैं। उन्होंने अपनी प्रोसेसिंग यूनिट का नाम ‘जीवन धारा ऑफ़ ग्रोइंग मशरूम एंड हर्बल’ रखा है। लेकिन, इसका कोई वेबसाइट या सोशल मीडिया पेज नहीं है। किसान और ग्राहक सीधा उनसे जुड़े हुए हैं। किसानों और युवाओं को मशरूम की खेती और प्रोसेसिंग सिखाने के लिए, वह सितंबर के महीने में अपना ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाते हैं। 

Won awards

सैकड़ों किसान उनसे ट्रेनिंग लेकर मशरूम का काम कर रहे हैं। साल 2020 में Mushroom King मोटाराम से ट्रेनिंग लेने वाले 24 वर्षीय सुरेंद्र सिंह बताते हैं, “मैंने पिछले साल सितंबर में उनसे ट्रेनिंग ली थी। इसकी फीस 5000 रुपए थी। ट्रेनिंग के दौरान मैं वहीं उनके खेत पर रहा। सबसे अच्छा यही लगा कि वह सिर्फ ऊपर-ऊपर से नहीं बताते हैं, बल्कि सामने दिखाते हैं कि कैसे बैग तैयार होगा? कैसे स्पॉन लगाएं? उनसे सीखने के बाद मैंने घर के ही एक 30×40 फ़ीट के कमरे में ओएस्टर मशरूम लगाए थे।” 

सर्दी के मौसम में ओएस्टर मशरूम से सुरेंद्र सिंह ने लगभग 35 हजार रुपए/माह कमाई की। फिलहाल, उन्होंने बटन मशरूम लगाए हैं और इसे वह ज्यादातर अपने घर-परिवार और रिश्तेदारों में बाँट रहे हैं, ताकि सभी इस मुश्किल समय में स्वस्थ रहें। उन्होंने कहा, “मैंने बीबीए किया है और अपना कोई काम करना चाहता था। मैंने यूट्यूब पर सर की एक वीडियो देखी और उनके ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया। अभी शुरुआत छोटी है लेकिन जिस हिसाब से सफलता मिली है, मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इस काम से नौकरी से ज्यादा कमा सकता हूँ।” 

Mushroom King मोटाराम कहते हैं कि मशरूम की खेती और प्रोसेसिंग से वह महीने में लगभग पाँच लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। लेकिन पैसे से भी ज्यादा उन्हें इस क्षेत्र में शोहरत और सम्मान मिला है। उन्हें कृषि रत्न, कृषि सम्राट, बेस्ट किसान, Mushroom King, जैसे दर्जन से भी ज्यादा पुरस्कारों से नवाजा गया है। दूर-दूर से लोग उनका मशरूम फार्म देखने आते हैं और उनसे सीखना चाहते हैं। इससे बढ़कर उनके लिए और कुछ नहीं है। इसलिए, किसानों के लिए वह यही सलाह देते हैं, “आपने जो ठान लिया है, उसमें लगे रहिए। मुश्किलें बहुत आएंगी, लेकिन हार मानना विकल्प नहीं होना चाहिए। अगर आप लगातार मेहनत करते रहेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी, इसलिए कोशिश करते रहें।”

Mushroom King मोटाराम शर्मा देश के सभी किसानों के लिए एक प्रेरणा हैं। उम्मीद है कि बहुत से किसान उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेंगे। अगर आप मोटाराम शर्मा से संपर्क करना चाहते हैं, तो उन्हें 9660215013 पर कॉल कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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