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बांग्लादेश का वीडियो देख मिली प्रेरणा, अब कश्मीरी एप्पल बेर की खेती से कमा रहे लाखों में

Kashmiri Apple Ber in Tripura

पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया और यूट्यूब के बढ़ते प्रचलन के कारण लोगों को बहुत कुछ नया सीखने को मिल रहा है। बात अगर खेती की करें तो आजकल बहुत से यूट्यूब चैनल हैं जो खासतौर पर किसान भाइयों की मदद के लिए हैं। बहुत से किसानों को यूट्यूब के जरिए कुछ अलग करने की प्रेरणा भी मिली है। आज ऐसी ही एक कहानी हम आपको बता रहे हैं। यह कहानी है त्रिपुरा के बिक्रमजीत चकमा और उनके परिवार की, जिन्हें यूट्यूब के एक वीडियो से धान और मौसमी सब्जियों की जगह कुछ अलग फसल लगाने की प्रेरणा मिली। जो आज उनकी सफलता का कारण है। 

त्रिपुरा में उनाकोटी के पेचारथल गांव के रहने वाले 32 वर्षीय बिक्रमजीत चकमा ओबीसी कॉरपोरेशन में फील्ड ऑफिसर की नौकरी करते हैं और छुट्टी के दिन अपने चाचा और भाइयों के साथ खेती करते हैं। पिछले एक-डेढ़ साल से खेती में उनका योगदान काफी बढ़ा और राज्य के बहुत से किसान उनसे प्रेरणा भी ले रहे हैं। इसकी वजह है कि चकमा परिवार अब सामान्य धान या मौसमी सब्जियों की बजाय अपने खेतों में कश्मीरी एप्पल बेर और सिंदूरी एप्पल बेर की खेती कर रहा है। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने अपने इस सफर के बारे में बताया। बिक्रमजीत के चाचा, चंचल कुमार चकमा और उनके दो भाई, रणजीत चकमा और बिस्वजीत चकमा मिलकर एप्पल बेर की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी कमाई न सिर्फ दुगुनी हुई है बल्कि उन्हें कुछ नया करने के लिए सब तरफ से सराहना भी मिल रही है। 

Their Farm

सामान्य खेती की जगह शुरू की एप्पल बेर की खेती 

बिक्रमजीत ने बताया कि ज्यादातर खेती का काम उनके भाई और चाचा संभालते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से वह देख रहे थे कि उनके परिवार को खेती में ज्यादा फायदा नहीं हो रहा था। खेती से मुश्किल से उनका परिवार सालाना दो-ढाई लाख रुपए की कमाई कर पाता था। इसलिए उन्हें लगा कि उन्हें कुछ अलग करना चाहिए। लेकिन सवाल था कि क्या? क्योंकि उन्होंने पहले भी कुछ अलग करने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली थी। इसलिए चकमा परिवार जोखिम नहीं उठाना चाहता था। 

“मैंने फिर एक दिन एक वीडियो देखी, जिसमें बांग्लादेश के एक जर्नलिस्ट कश्मीरी एप्पल बेर के बारे में बता रहे थे। मुझे वह वीडियो देखकर लगा कि जब बांग्लादेश में कश्मीरी एप्पल बेर उग सकता है तो हमारे यहां क्यों नहीं। हम भी यह कर सकते हैं। मैंने अपने भाइयों और चाचा से इस बारे में बात की। सबसे सलाह-मशविरा करके हम कोलकाता से 1400 पौधे लेकर आए, जिसमें दो किस्म के पौधे थे। एक कश्मीरी एप्पल बेर और दूसरा सिंदूरी एप्पल बेर,” उन्होंने बताया। 

उन्होंने कहा कि उनके लगाए 1300 पौधों में लगभग 150 पौधे खराब हो गए। लेकिन बाकी सभी पौधे अच्छे से विकसित हुए हैं। वह अपने खेत में जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। राज्य में समय पर बारिश हो जाने की वजह से सिंचाई की भी परेशानी नहीं होती है। 

His Brothers

पहली बार में मिला 40 क्विंटल से ज्यादा उत्पादन 

बिस्वजीत चकमा कहते हैं कि शुरुआत में उन्हें बहुत डर था क्योंकि उन्हें लगा था कि अगर उनकी यह फसल भी सही से नहीं हुई तो? साथ ही, आसपास के लोग भी कहते थे कि यह पागलपन है। अच्छी-खासी धान की खेती को छोड़कर रिस्क ले रहे हैं। इनका पैसा बर्बाद ही होगा। लेकिन पौधे लगाने के तीन-चार महीने बाद जब ये सही से विकसित होने लगे और फूल आने लगे तो उन्हें लगा कि वह सही राह पर हैं। उन्होंने बताया कि पौधों को लगाने और इनकी देखभाल में ढाई लाख रुपये खर्च हुए। 

“हमने दो एकड़ के करीब जमीन पर एप्पल बेर लगाए हैं। हमने 2020 में मार्च के महीने में पौधे लगाए थे। अक्टूबर के अंत में इन पर फूल आने लगे और जनवरी में तो फल की शुरुआत हो गई। मार्च के मध्य तक हमने फल लिए हैं। पहली बार में हमें 40 क्विंटल से ज्यादा फलों का उत्पादन मिला। जबकि हमें इतने की उम्मीद नहीं थी,” उन्होंने कहा। 

अपने उत्पादन में से लगभग 12 क्विंटल फलों को ही उन्होंने मंडी में बेचा। बाकी फलों को उन्होंने सीधा ग्राहकों को बेचा है। उनके बारे में सुनकर दूर-दूर से भी लोग उनके खेत से फल खरीदने आए थे। पहली फसल से उन्हें लगभग छह लाख रुपए की कमाई हुई है। बिक्रमजीत कहते हैं कि उन्होंने भी नहीं सोचा था कि उन्हें पहले साल में ही इतनी सफलता मिल जाएगी। लेकिन उन्हें ख़ुशी है कि उनकी मेहनत रंग लाई। खासकर वह इसका श्रेय अपने चाचा और भाइयों को देते हैं। क्योंकि बिक्रमजीत अपनी नौकरी के कारण पूरा समय खेतों में नहीं दे पाते हैं। 

His Uncle Selling Kashmiri Apple Ber

“सबसे अच्छी बात है कि हमारी लागत सिर्फ एक बार की थी। अब हम सही देखभाल से हर साल अच्छी आमदनी ले सकते हैं। एक बार फसल लेने के बाद आपको पेड़ों की सही से कटाई-छटाई करनी होती है ताकि इसमें नयी शाखाएं आएं। और ज्यादा से ज्यादा फूल भी। इस बार हमें उम्मीद है कि हमारी कमाई तिगुनी होगी,” उन्होंने बताया। चकमा परिवार के प्रयासों की सराहना मुख्यमंत्री ने भी की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसके बारे में साझा किया और दूसरों को भी उनसे प्रेरणा लेने की सलाह दी। 

बिक्रमजीत कहते हैं कि किसानों के लिए रिस्क लेना मुश्किल होता है। लेकिन यह भी सच है कि अगर वे कुछ नया ट्राई नहीं करेंगे तो आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इसलिए ज्यादा न सही तो छोटे स्तर पर, लेकिन किसानों को हर बार कुछ नया करने की कोशिश करनी चाहिए। आज बहुत से किसान उनके खेतों पर आकर उनसे कश्मीरी एप्पल बेर के बारे में जानकारी ले रहे हैं। चकमा परिवार की कोशिश अब आगे और भी नयी-नयी फसलें लगाने की है ताकि उनका फार्म लोगों के लिए एक मॉडल फार्म की तरह बन सके। 

अगर आप उनके बारे में अधिक जानना चाहते हैं या उनसे संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें फेसबुक पर मैसेज कर सकते हैं। आप उनका यूट्यूब चैनल भी देख सकते हैं।

संपादन- जी एन झा

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