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सफल जैविक किसान और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट है यह इंजीनियरिंग गोल्ड मेडलिस्ट!

भिनव गंगूमुल्ला मात्र 24-25 साल के होंगे जब उन्होंने अपनी ज़िंदगी को बहुत ही अलग मोड़ दिया। गीतम यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री में गोल्ड मेडलिस्ट और फिर IIT मुंबई से मास्टर्स की डिग्री लेने वाले अभिनव हमेशा से ही प्रकृति प्रेमी रहे। उन्हें घूमना, अलग-अलग जगह की संस्कृति और वहां के खान-पान को जानना पसंद था।

मास्टर्स के बाद उन्होंने कॉर्पोरेट में काम किया, लेकिन यहाँ आकर ज़िंदगी जैसे ठहर गई थी। उन्हें 3 सालों में ही समझ में आ गया कि कॉर्पोरेट लाइफ उनके लिए नहीं है, भले ही वह कितने भी लाख के पैकेज पर काम कर रहे हैं।

साल 2010 में उन्होंने अपनी जॉब से इस्तीफ़ा दिया और चल पड़े एक बहुत ही अलग और चुनौतियों से भरे सफर पर। लेकिन कहते हैं न कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती!

आज 35 साल की उम्र में अभिनव एक सफल जैविक किसान, फार्म डिज़ाइनर, वेलनेस कोच और एक सफल उद्यमी हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत साल 2010 में हैदराबाद के पहले जैविक बाज़ार के रूप में शुरू की थी। उन्होंने किसानों के लिए ग्रीन स्टोर शुरू किया ताकि वह अपनी जैविक उपज सीधा ग्राहकों तक पहुंचा सकें।

Abhinav Gangumulla

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “जैसे-जैसे ग्रीन स्टोर का काम आगे बढ़ा, मुझे समझ में आया कि बाज़ार तो बदल रहा है। लेकिन, हमारे किसान बाज़ार की ज़रूरत के हिसाब से नहीं बदल रहें हैं। आज के समय की सबसे बड़ी मांग यही है कि हम मार्केट को समझें।”

आलम यह हुआ कि साल 2014 आते-आते अभिनव ने खुद किसानी शुरू कर दी। उन्होंने प्राकृतिक और जैविक खेती के गुर सीखे और फिर धीरे-धीरे इसमें अपना हाथ आज़माना शुरू किया। वह बताते हैं कि आज वह अपनी एक पार्टनर, रेनू राव के साथ मिलकर लगभग साढ़े 4 एकड़ ज़मीन पर खेती कर रहे हैं।

उनका फार्म, ‘बियॉन्ड ऑर्गेनिक‘ सिर्फ जैविक और प्राकृतिक उपज के लिए ही नहीं बल्कि अपनी जैव विविधता यानी कि बायोडायवर्सिटी के लिए भी मशहूर है। तरह-तरह की किस्मों की फसल के साथ-साथ आपको यहाँ अलग-अलग जीव-जंतु भी देखने को मिलेंगे।

अभिनव के मुताबिक, जैविक खेती में सफलता तभी मिल सकती है जब किसान जैव विविधता को अपनाएं। अपने खेतों को जानवरों और अन्य ज़रूरी कीट व पक्षियों की मदद से आत्म-निर्भर बनाएं। अब तक वह अपने फार्म में 30 किस्म से भी ज्यादा फलों की और 100 से भी ज्यादा किस्म की सब्ज़ियों की खेती कर चुके हैं। जिसमें उन्होंने आम की 18 किस्म और देशी टमाटर की 30 से 40 किस्म उगाई है।

His Farm’s Production

“मेरा मानना है कि आप जानवरों के बिना खेती नहीं कर सकते। मेरे यहाँ आपको फल, सब्ज़ियाँ, अनाज, दाल, फूल आदि के अलावा मुर्गियां, बकरी, गाय आदि सब मिल जाएंगे। आज के समय में ज़रूरी है कि आपका खेत बाहर से किसी केमिकल उर्वरक की बजाय इन जानवरों पर निर्भर करे। आप गाय के गोबर से खाद बनाएं और उसे खेतों में इस्तेमाल करें,” उन्होंने आगे कहा।

किसानों को मल्टी-क्रॉपिंग और रिले क्रॉपिंग जैसे तरीकों से किसानी करने में काफी फायदा होगा। अभिनव अपने फार्म में एक साथ कई अलग-अलग मौसमी फसलें उगाते हैं ताकि उन्हें बाज़ार में फायदा मिले।

वह कहते हैं कि किसानों के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि वे बाज़ार के हिसाब से नहीं चलते। अगर कोई गेंहूँ की खेती कर रहा है तो सिर्फ गेंहूँ उगा रहा है जबकि उसे चाहिए कि वह साथ में फलों की या फिर मौसमी सब्ज़ियों की खेती करे। इससे अगर उसे गेंहूँ की फसल में थोड़ा नुकसान भी होता है तो उसकी भरपाई सब्ज़ियाँ कर देंगी।

His Farm, Beyond Organic

खुद खेती करने के अलावा, अभिनव अन्य लोगों के फार्म डिज़ाइन करते हैं और उनकी देख-रेख भी करते हैं। मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई जैसे शहरों में वह लगभग 300 एकड़ ज़मीन पर फार्म्स संभाल रहे हैं।

उनकी कोशिश हर दिन कुछ नया सीखने और कुछ नया करने की रहती है। वह कहते हैं कि एक्सपेरिमेंट करने से ही आगे बढ़ा जा सकता है। कुछ समय पहले ही उन्होंने ‘ग्लास जेम कॉर्न’ (रंग-बिरंगी मक्का) की किस्म सफलता पूर्वक उगाई है। काफी समय से वह और उनकी दोस्त, रेनू, उत्तरी अमेरिका की इस किस्म को भारत में उगाने की कोशिश कर रहे थे। आखिरकार, उन्हें इस साल सफलता मिल ही गई।

“हम अपने फार्म में देशी और हाइब्रिड, दोनों तरह के बीजों से खेती करते हैं। हमारी पूरी कोशिश है कि हम देशी बीजों को जितना संरक्षित कर सकते हैं करें। मैं दूसरे किसानों को भी यही सलाह देता हूँ कि मार्केट में हाइब्रिड फसलों की मांग हैं तो उन्हें ज़रूर उगाएं। बस साथ में, देशी किस्मों का भी संरक्षण करते रहें,” उन्होंने कहा।

अभिनव ने जब खुद खेती करके अपने घर के लिए जैविक सब्ज़ियाँ, फल, अनाज और दलहन आदि उगाना शुरू किया तो उन्होंने स्वास्थ्य और खान-पान के रिश्ते को समझा।

वह बताते हैं, “मैं बहुत पढ़ता हूँ। खेती शुरू करने से पहले और अभी भी, इससे संबंधित मैं कुछ न कुछ पढ़ता ही रहता हूँ। साल 2017 में मुझे स्वास्थ्य को समझने का मौका मिला। मैंने इस पर पढ़ना शुरू किया और फिर दिलचस्पी इतनी बढ़ गई कि साल 2018 में मैंने न्यूट्रिशन में सर्टिफिकेट कोर्स कर लिया।”

अब अभिनव एक फार्म डिज़ाइनर और किसान होने के साथ-साथ एक न्यूट्रिशन और वेलनेस कोच भी है। खाने-पीने और पोषण के मामले में उनका सिद्धांत बहुत ही स्पष्ट है- ‘SLOW’ यानी कि सीजनल (मौसमी), लोकल (स्थानीय), ऑर्गेनिक (जैविक), होल (संपूर्ण)!

इससे उनका मतलब है कि हमें मौसम के हिसाब से अपने यहाँ पर उगने वाली जैविक सब्ज़ियाँ, फल, अनाज आदि खाना चाहिए और वह भी इस तरह से बैलेंस करके कि संपूर्ण पोषण मिले!

तकनीक के इस जमाने में हमें जितनी सुविधाएं मिल रही हैं, उतनी परेशानियाँ भी हैं जो हमें नज़र नहीं आतीं। आज हम किसी भी मौसम में किसी भी मौसम की सब्ज़ी खा सकते हैं। आयात-निर्यात करके किसी भी जगह के फल मीलों दूर भी खाए जा सकते हैं।

अभिनव का सवाल है, “पोषण के नाम पर हम महंगी और अलग जगह व जलवायु में उगी सब्ज़ियाँ, फल, अनाज क्यों खाएं,  जब हमारे यहाँ पोषण से भरपूर स्थानीय विकल्प उपलब्ध हैं? लोग ‘ऑलिव ऑइल’ में खाना बना रहे हैं जबकि हमारी प्रकृति ने देश के हर भाग के लिए पहले से ही वहां के उत्पाद निर्धारित किए हुए हैं। उत्तर भारत में सरसों का तेल, गुजरात-महाराष्ट्र में मूंगफली का तेल, दक्षिणी भारत के लिए तिल या फिर नारियल का तेल।”

इसी तरह से हमें विदेशी अनाज, किनोवा (Quinoa) की बजाय अपने यहां उगने रागी, कांगनी, बाजरा जैसे पोषक अनाज खाना चाहिए। लोगों को वह हमेशा यही सलाह देते हैं कि जितना वे प्रकृति को समझकर उसके हिसाब से चलेंगे, वे स्वस्थ रहेंगे।

अभिनव गंगूमुल्ला आज भले ही एक सफल उद्यमी हैं लेकिन इसके पीछे पूरे 10 सालों की मेहनत है। उन्होंने नौकरी छोड़कर अपनी बचत के पैसों से कुछ ऐसा शुरू किया, जिसमें वह अपनी नौकरी से 75% कम पैसे कमा पा रहे थे। उन्होंने अपने फैसले के हर एक पहलु को जाँच-समझ कर, पूरे दिल से अपने सपने पर काम किया।

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वह कहते हैं, “आर्थिक तौर पर स्टेबल होना ज़रूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप हर पहलू को पैसे से तोलें। अगर आप अपनी सभी ज़रूरतों को पूरा करते हुए एक सस्टेनेबल ज़िंदगी जी रहे हैं, इससे बेहतर क्या हो सकता है। आज सबसे पहले हमें अपनी सेहत को रखना चाहिए और उसके बाद अन्य चीजें।”

Abhinav resting in his farm

युवाओं के लिए वह अंत में सिर्फ यही संदेश देते हैं कि किसी और देखकर कुछ भी शुरू मत करो। अपने आप से पूछो कि आपका क्या पैशन है और उसके लिए आप क्या कर सकते हैं? आप जहाँ भी, जो भी करें, बस ध्यान रखें कि आप सेहतमंद और संतुष्ट हैं!

अभिनव गंगुमुल्ला फेसबुक पर काफी एक्टिव रहते हैं और उनके फेसबुक पेज पर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं!

संपादन – अर्चना गुप्ता


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