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दोस्त से लिए दो Bee Box से 2 करोड़ तक का सफर, पढ़िए पंजाब के इस इलेक्ट्रीशियन की कहानी

Jaswant Tiwana
दोस्त से लिए दो Bee Box से 2 करोड़ तक का सफर, पढ़िए पंजाब के इस इलेक्ट्रीशियन की कहानी

64 साल के जसवंत सिंह तिवाना के पास तीन एकड़ जमीन है, लेकिन पांच भाई होने के कारण सभी के हिस्से में काफी कम ज़मीन आती थी और आमदनी भी बहुत कम होती थी। इसी वजह से  जसवंत सिंह हमेशा इस ज़द्दो-जहद में  रहते थे कि इनकम कैसे बढ़ाई जाए? 

फिर उन्होंने खेती-बाड़ी के साथ-साथ  इलेक्ट्रीशियन का काम करना भी शुरू कर दिया।

तभी एक दोस्त से उन्हें मधुमक्खी पालन के बारे में पता चला। उन्होंने दोस्त की बातों पर अमल किया और उनकी जिंदगी बदलने लगी। आज उनकी गिनती पंजाब के सबसे सफल मधुमक्खी पालकों में होती है। 

जसवंत सिंह, लुधियाना के दोराहा के रहने वाले हैं और वह 1983 से लगातार न सिर्फ मधुमक्खी पालन, बल्कि किसानों को हनी बॉक्स, हनी एक्सट्रेक्टर जैसे तमाम तरह के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए भी जाने जाते हैं।

सिर्फ दो बॉक्स से हुई थी शुरुआत

अपनी करीब चार दशकों की लंबी यात्रा को लेकर जसवंत सिंह ने  बताया, “मुझे एहसास हो रहा था कि इलेक्ट्रीशियन का काम करने और खेती-बाड़ी से मेरा गुजारा नहीं होने वाला है। इसी बीच मुझे अपने दोस्त मनमोहन सिंह से पता चला कि ‘पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी’ में मधुमक्खी पालन के लिए कोई ट्रेनिंग हो रही है और फिर मैंने भी वहां जाने का फैसला किया।”

जसवंत सिंह तिवाना

जसवंत ने एक हफ्ते की ट्रेनिंग लेने के बाद, कुछ समय पहले से ही मधुमक्खी पालन कर रहे मनमोहन से दो बॉक्स लेकर काम शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

जसवंत ने बताया, “शुरुआती छह महीने में ही, मेरे पास दो से 15 बॉक्स हो गए। यह ग्रोथ देखकर, मैंने फिर कभी दूसरे काम के बारे में सोचा ही नहीं और अपना पूरा ध्यान इसी पर लगा दिया।”

उनके पास फिलहाल 1500 से भी अधिक बॉक्स हैं, जिससे उन्हें हर साल 7.5 हजार किलो से भी अधिक शहद  मिलता है। अपने बिजनेस को वह ‘Tiwana Bee Farm’ नाम से चलाते हैं। 

आम किसानों से तीन गुना अधिक उत्पादन

जसवंत, इटालियन बी को पालते हैं। इससे उन्हें तीन गुना अधिक फायदा होता है। वह कहते हैं, “आम मधुमक्खियां पालने से एक बॉक्स में सलाना 10 से 15 किलो शहद का उत्पादन होता। वहीं, इटालियन वरायटी से 50 से 60 किलो शहद का उत्पादन होता है। इतना ही नहीं, मधुमक्खियों के एक बॉक्स से तीन और बॉक्स भी तैयार हो जाते हैं और  ये मधुमक्खियां काटती भी कम हैं।”

तिवाना बी फार्म के उत्पाद

जसवंत अपने शहद में कोई केमिकल या प्रिजर्वेटिव नहीं मिलाते हैं और खेतों से उसे लाने के बाद, पैकेजिंग का काम अपने यूनिट में ही करते हैं। इसके अलावा, वह मधुमक्खियों के छत्ते से वैक्स और हनी बॉक्स भी खुद से ही बनाते हैं। 

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उनके उत्पादों की मांग भारत के तमाम बड़े शहरों के अलावा, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में भी है। वह अपने शहद को 700 से 900 रुपए प्रति किलो बेचते हैं। वहीं, बी बॉक्स की कीमत 3500 रुपये है, जो किसान उनसे सीधे खरीद सकते हैं।

इस तरह, आज उनका टर्नओवर करीब 2 करोड़ रुपये है और उन्होंने अपने काम को संभालने के लिए 10 लोगों को रोजगार भी दिया है।

क्या होती है दिक्कत

जसवंत सिंह ने उस दौर में मधुमक्खी पालन को अपनाया, जब ज्यादा लोगों का रूझान इस तरफ नहीं था। इस वजह से उन्हें अपने उत्पादों को बेचने में कभी दिक्कत नहीं हुई। लेकिन बारिश के मौसम में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

वह कहते हैं, “जून-जुलाई से सितंबर-अक्टूबर तक फसलों में ज्यादा फूल नहीं आते हैं। इस वजह से किसानों के लिए मधुमक्खी पालन काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे समय में हम शहद नहीं निकालते और मक्खियों को जिंदा रखने के लिए, अपने पास पहले से जमा शहद खाने के लिए देते हैं।”

किसानों को मधुमक्खी पालन से जुड़ी हर सुविधा देते हैं जसवंत

वहीं, कुछ लोग लालच नहीं छोड़ते हैं और मक्खियों को चीनी का घोल पिलाते हुए, शहद निकालते रहते हैं। लेकिन कभी-कभी यह किसानों को काफी भारी पड़ जाता है। 

सैकड़ों लोगों को दी सीख

जसवंत अभी तक पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के तहत 400 से अधिक लोगों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दे चुके हैं। उनका मानना है कि आज जब बढ़ती आबादी के कारण खेती के लिए जमीन दिनों दिन कम होती जा रही है, तो मधुमक्खी पालन किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। वहीं, सरकार द्वारा भी इस क्षेत्र में अधिक रोजगार पैदा करने के लिए, कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

जसवंत के उत्पादों को खरीदने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आप उनसे बात करना चाहते हैं, तो 9814032440 पर संपर्क कर सकते हैं।

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