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एक डॉक्टर, जिन्होंने अपने गाँव में 11 डैम बनवाकर किया सूखे का इलाज!

देश के कई हिस्से सूखे की चपेट में हर साल आते हैं और किसानों की फसल और मेहनत सुखा जाते हैं। मानसून न आने से कई क्षेत्र सालों तक बंजर पड़े रहते हैं। मजबूरन वहां के किसानों को पलायन करना पड़ता है या कर्ज में डूबना पड़ता है।

लेकिन इसी सूखे की नाउम्मीदी में पानी की उम्मीद पाले डॉ अनिल जोशी ने कई गांवों में हरियाली ला दी। उनका डॉक्टरी छोड़कर जल सरंक्षणवादी बनने का सफ़र प्रेरणादायक है।

डॉ अनिल जोशी ने अपने मरीजों की मदद करने का बीड़ा उठाया और एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से जल सरंक्षणवादी बन गए।

Image for representation only. Source: By AkkiDa (talk) / Akkida at English WikipediaOwn work (Original text: I (AkkiDa (talk)) created this work entirely by myself.)Transferred from en.wikipedia to Commons by MathewTownsend.., Public Domain, Link

उनके मरीजों में किसान भी शामिल थे, जो सूखे की मार झेल रहे थे। डॉ जोशी ने सामूहिक सहयोग से उनके लिए नदी और नालों के किनारे बांध बनवा दिए।

मध्य प्रदेश के फतेहगढ़ में अनिल जोशी ने लंबे समय से सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए 10 किमी की परिधि में बांधों का निर्माण कराया है, जिससे कई गांवों के खेतों को पर्याप्त पानी मिल रहा हैं।

डॉ अनिल जोशी 1998 में पहली बार फतेहगढ़ आए और चिकित्सा सेवा शुरू की। उन्होंने ऐसे कई मरीजों की सेवा की जो गरीबी के कारण फीस नहीं दे पाते थे।

डॉ अनिल जोशी ने देखा कि खेतों की अच्छी फसलें भी सूखे की चपेट में आके किसानों की मेहनत बर्बाद कर जाती हैं। किसान कितनी ही मेहनत और उम्मीद से फसल रोपे लेकिन बारिश न होने से सब मिटटी में मिल जाता है। इस क्षेत्र में जमीन से भी पानी नहीं निकलता, जलस्तर बहुत नीचे चला गया है।

2008 में मानसून नहीं आया और डॉ अनिल ने देखा कि किसान सूखे से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उसी वक़्त उन्होंने सुझाव दिया कि हम चेक बांध बनाएंगे, जिससे बारिश का पानी एक जगह इकठ्ठा होगा और जमीन का जलस्तर बढ़ेगा। जिससे भविष्य में बारिश भी नहीं होगी तो जमीन के पानी से खेत सींचे जा सकेंगे।

डॉ अनिल ने अपने एक मित्र से 1000 सीमेंट की बोरियां लीं और उन्हें बालू से भरकर सोमाली नदी के किनारों पर रखकर बांध बना दिया। जब 15 दिन बाद बारिश हुई तो बांध पानी से लबालब भर गया और सालों से सूखे पड़े हैंडपम्प पानी देना शुरू हो गए। जमीन का जलस्तर अब पानी देने तक बढ़ गया था।

डॉ अनिल ने द वीकेंड लीडर को बताया, ” किसानों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, उस बरस खेतों को पर्याप्त पानी मिला और कई सालों के सूखे के बाद वो साल खेतों से अनाज घर लेकर आई।”

डॉ अनिल ने देखा कि एक बांध ने इसके आसपास के गांवों में हरियाली ला दी गरीब किसानों की स्थितियां बेहतर होने लगीं तो उन्होंने कई बांध बनाने का अभियान शुरू कर दिया। और उस क्षेत्र में आसपास के सूखे से प्रभावित गांवों में भी बांध बनवाने का निश्चय लिया।

2010 में उन्होंने हर ग्रामीण से एक रुपया लेना शुरू किया, जैसे ही उन्होंने बांध बनाने के लिए एक रुपया चन्दा देने की बात कही, उन्हें पहले 3 घण्टे में ही 36 रूपये मिल गए। अगले दिन उनके पास 120 लोगों ने एक एक रूपये का चन्दा इकठ्ठा कर दिया। लेकिन डॉ अनिल के इस रूपये इकठ्ठा करने के अभियान पर कई ग्रामीणों ने सवाल उठाये।

कुछ दिनों में जब एक हिंदी अख़बार में उनके इस अभियान की खबर छपी तो लोगों को उनके समर्पण और इरादों का पता चला। उसके बाद दो अध्यापकों ने पूरी तरह से अपना समर्थन उन्हें दिया और उनके साथ जुड़ गए। सुन्दरलाल प्रजापत और ओमप्रकाश मेहता जल सरंक्षण के अभियान में डॉ अनिल के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े हो गए।

तीन महीने में डॉ अनिल की टीम ने 1 लाख रुपयों का सहयोग इकठ्ठा कर लिया और अब जल सरंक्षण के लिए समर्पित इस ग्रुप ने एक स्थाई चेक बांध का निर्माण शुरू कर दिया। गाँव वालों ने लेबर का काम किया ताकि लेबर का खर्च बचे। सबके सहयोग से बांध बनाने का कुल खर्च 92 हज़ार रूपये आया।

डॉ अनिल जोशी ने इस तरह के 11 बांध बनवा दिए हैं। कई गांवों में हरियाली लाने वाले डॉ अनिल जोशी ने बताया कि अब उनका इरादा इस तरह के पक्के बांधों की संख्या 100 तक पहुँचाने का है।

“हर व्यक्ति से एक-एक रुपया इकठ्ठा कर सूखाग्रस्त क्षेत्र में बांध बनाना अब मेरा अभियान बन गया है। और मैं इस अभियान को जारी रखूंगा।”

इसके साथ साथ डॉ अनिल सवालिया धाम के लिए जाने वाली 120 किमी लंबी सड़क के किनारे पेड़ लगाना चाहते हैं। सवालिया धाम एक तीर्थ स्थल है जहाँ लोग भगवान कृष्ण के दर्शन करने जाते हैं।

डॉ अनिल जोशी को ‘द बेटर इंडिया’ की ओर से ढेर सारी शुभकामनायें। आप भी ऐसा कदम उठाकर सामूहिक रूप से किसी भी समस्या का हल ढूंढ सकते हैं।

 

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