दो साल पहले, पुणे के रहनेवाले 31 वर्षीय राहुल राजन ने हड़पसर के फॉर्च्यून एस्टेट्स में स्कॉर्पियो नाम का एक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स बनाना शुरू किया। वह ओरिकॉन डेवलपर्स नामक एक कंस्ट्रक्शन फर्म में पार्टनर हैं। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को खुद करने का फैसला लिया। क्योंकि वह कुछ अलग करना चाहते थे।
राहुल ने बताया, “सिविल इंजीनियरिंग करने के दौरान, मैंने सीखा कि रियल एस्टेट उद्योग दुनिया में कार्बन फुटप्रिंट का कम से कम 38% हिस्सा है। इसलिए, अपना पहला अपार्टमेंट बनाते समय, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि ऐसी सुविधाएं हों, जो इसके कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकें।”
उन्होंने बताया, “ऐसा करने के लिए मैंने ग्रैजुएशन की पढ़ाई के बाद, ग्रीन सोल्यूशन्स के बारे में सीखने, और यह समझने में समय बिताया कि ग्रीन सोल्यूशन्स के लिए क्या काम करता है और क्या नहीं।” राहुल की उस परियोजना को इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) से प्लैटिनम रेटिंग मिली।
स्कॉर्पियो अपार्टमेंट में इस्तेमाल हुए ग्रीन फीचर्स के बारे में राहुल ने द बेटर इंडिया को विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे सौर ऊर्जा का उपयोग करके, इलेक्ट्रिक वाहनों को भी यहां चार्ज किया जा सकता है।
एक इको फ्रेंडली परिसर
वैसे तो स्कॉर्पियो बाहर से किसी अन्य अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स की तरह ही दिखता है, लेकिन इसमें कई ग्रीन फीचर्स हैं। लिफ्ट, लाइट और पानी के पंप सहित सामान्य सुविधाएं सौर ऊर्जा से ही चलती हैं। हर पार्किंग पर सौर ऊर्जा से चलनेवाले ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं। हर घर को 100 यूनिट मुफ्त सौर ऊर्जा, और 24×7 गर्म पानी की आपूर्ति होती है। पानी भी यहां सौर ऊर्जा से ही आता है। इसके अलावा, अन्य सोलर पावर वॉटर हीटर्स के उलट, राहुल की बिल्डिंग मौसम के अनुसार गर्म पानी उपलब्ध कराती है।
राहुल कहते हैं, “गर्म पानी की आपूर्ति एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से की जाती है, जिसे हीट पंप कहा जाता है। यह सिस्टम सौर ऊर्जा द्वारा संचालित होती है।” अपार्टमेंट परिसर के सामान्य क्षेत्र भी एलईडी रोशनी से लैस हैं, जो मोशन सेंसर के माध्यम से काम करते हैं।
यह इमारत हर महीने 5,000 यूनिट तक सौर ऊर्जा उत्पन्न करती है। इसमें से हर घर को 100 यूनिट उर्जा दी जाती है। इसका उपयोग सभी उपकरणों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है। 100 यूनिट के पूरा होने के बाद, घरों को सरकार द्वारा दी जानेवाली युटिलिटी सप्लाई से पावर मिलता है।
ईवी चार्जिंग स्टेशन
राहुल वैसे तो दूसरे घर में रहते हैं, लेकिन वह दिन में अपना अधिकांश समय स्कॉर्पियो अपार्टमेंट में ही बिताते हैं। इसे वह ऑफिस की तरह इस्तेमाल करते हैं। अपार्टमेंट में छत के सभी हिस्सों को सौर पैनल कवर करते हैं, जो सीधे पावर ग्रिड से जुड़े हुए हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए बिजली की आपूर्ति हर घर के साथ-साथ पार्किंग क्षेत्र में भी की जाती है।
राहुल के पास खुद एक टाटा नेक्सॉन है, जिसे वह सौर ऊर्जा से चार्ज करते हैं। कवर्ड और खुले दोनों ही पार्किंग में ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं। जिन्हें खुले में रखा गया है, वे वाटरप्रूफ हैं। राहुल कहते हैं, वह अपनी टाटा नेक्सॉन को महीने में तीन-चार बार बिल्डिंग में चार्ज करते हैं।
वह कहते हैं कि उपयोग के आधार पर, कार एक बार फुल चार्ज करने पर 200-220 किमी तक चल जाती है। अगर वह नियमित रूप से एक ही वाहन का उपयोग शहर की सीमा के भीतर करते हैं, तो यह 5 दिनों तक चलता है। अपनी कार को धूप में चार्ज करके, राहुल ने शहर से बाहर मुंबई और यहां तक कि लोनावला तक की यात्राएं की हैं।
समस्या तकनीकी आधारित नहीं, मानव आधारित है
वर्तमान में, अपार्टमेंट परिसर में दो इलेक्ट्रिक वाहन हैं – राहुल की कार और एक किरायेदार का इलेक्ट्रिक स्कूटर। राहुल का कहना है कि सौर ऊर्जा का उपयोग करके चार्ज करने की प्रणाली को दूसरे अपार्टमेंट्स में भी दोहराया जा सकता है। हालांकि, हाउसिंग सोसाइटी की अनुमति के बिना, छत की जगह का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
वह कहते हैं, ”समस्या तकनीकी आधारित नहीं है, बल्कि मानव आधारित है। अधिकांश सोसाइटीज़, उनकी छतें बिना सौर पैनलों के, खाली ही रखना पसंद करती हैं।”
इस अनोखे अपार्टमेंट के बारे में अगर आप और अधिक जानना चाहते हैं, तो ओरिकॉन की वेबसाइट के माध्यम से राहुल से संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेखः रौशनी मुथुकुमार
संपादन- जी एन झा
यह भी पढ़ेंः COVID में गंवाई दुबई की नौकरी, झोपड़ी में मशरूम उगा, 1 महीने में कमाए 2.5 लाख रुपए