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एक चम्मच इतिहास ‘खिचड़ी’ का!

‘खिचड़ी के चार यार, दही, पापड़, घी और अचार’, खिचड़ी का ज़िक्र होते ही ज़्यादातर लोगों को यह मशहूर कहावत याद आती होगी। चावल, दाल और कई सब्जियों से मिलकर तैयार होने वाली खिचड़ी, देश के हर घर में काफ़ी प्रसिद्ध है। भारत में जब भी खाने की बात आती है तो अलग-अलग संस्कृति और विविधता देखी जा सकती हैं। लेकिन किसी भी कोने में चले जाइए; अगर स्वादिष्ट, सादे और हल्के भोजन की मांग करेंगे तो आपको खिचड़ी ही परोसी जाएगी। 

कई तरीकों से बनती है खिचड़ी

गुजरात में, इसे हल्के मसाले वाली कढ़ी की करी के साथ खाया जाता है; जबकि तमिलनाडु के ‘वेन पोंगल’ में घी डालकर इसका स्वाद लिया जाता है। हिमाचल में चावल-दाल को मिलाकर बनने वाली इस डिश को राजमा और छोले डालकर पकाया जाता है, वहीं कर्नाटक की तीखी ‘बीसी बेले हुलियाना’ में इमली, गुड़, सब्जियां, करी पत्ते, सूखे नारियल और कपोक कलियों जैसी चीज़ें मिलाई जाती हैं, जिससे यह और स्वादिष्ट हो जाती है।

उत्तर प्रदेश में चावल और काले उड़द की खिचड़ी ज़्यादा पकाई जाती है तो बिहार में चावल, मूंग दाल, हरे मटर और फूलगोभी की। ‘असुर खिचड़ी’ के नाम से छत्तीसगढ़ में इसको महुआ के आटे से पकाया जाता है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में चावल, मूंग दाल, हरा मटर, आलू, फूलगोभी, इलायची और तेज़ पत्ता से; तो केरल में चावल, मूंग दाल, घी के साथ-साथ नारियल और ड्राई फ्रूटस का इस्तेमाल किया जाता है।

प्राचीन ग्रंथों में मिलता है इसका ज़िक्र

इस व्यंजन का उल्लेख कई प्राचीन लोगों द्वारा भी किया गया था। ग्रीक राजा सेल्यूकस ने भारत में अपने अभियान (305-303 ईसा पूर्व) के दौरान यह उल्लेख किया था कि दाल के साथ चावल भारतीय लोगों में बहुत लोकप्रिय है। वहीं मोरक्को के यात्री इब्न बतूता ने 1350 के आसपास भारत में चावल और मूंग से बने भोजन के रूप में इसका ज़िक्र किया था। 15वीं शताब्दी में रूस से भारत आए अफानासी निकितिन के दस्तावेज़ों में खिचड़ी का वर्णन मिलता है। मुगलों का भी इस चावल-दाल वाली खिचड़ी ने मन मोह लिया था, और इसे मध्यकालीन भारत के शाही मेन्यू में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। 

खिचड़ी का रोचक इतिहास जानने के लिए देखें यह वीडियो

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