अपर्णा लवकुमार के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी जब हमने उनसे पूछा कि अपने लंबे घने बालों को कटवाने के बाद उन्हें कैसा महसूस हुआ।
“मुझे खुशी हुई,” कैंसर पीड़ितों के लिए अपने बालों को दान करने वाली अपर्णा ने जवाब दिया।
केरल के इरिनजालकुडा, त्रिशूर में एक सीनियर सिविल पुलिस ऑफिसर (एससीपीओ) के तौर पर तैनात, अपर्णा स्कूली छात्रों के बीच नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाती हैं। ऐसे ही एक अभियान के दौरान उनकी मुलाक़ात पांचवी कक्षा के एक ऐसे बच्चे से हुई, जो कैंसर से जूझ रहा था।
इस बच्चे ने अपर्णा से बड़े होकर पुलिस अफसर बनने की इच्छा ज़ाहिर की थी। पहले तो इस बच्चे के सर पर बाल न होना अपर्णा को स्वाभाविक लगा, लेकिन फिर वह इस बात को भांप गयीं कि बाल न होने की वजह से वह बच्चा अपने आप को अलग सा महसूस कर रहा था।
बच्चे की टीचर से पूछने पर अपर्णा को पता चला कि दरअसल इस बच्चे को कैंसर था और कीमोथेरेपी में बाल चले जाने की वजह से अक्सर बाकी बच्चे उसे चिढ़ाते थे।
इस एक बात ने अपर्णा को भीतर तक हिला दिया। इस घटना के बारे में भावुक होते हुए वह बताती हैं, “इन बच्चों के लिए यह बहुत मुश्किल वक़्त होता है। बाल न होने की वजह से उन्हें स्कूल में बाकी बच्चे चिढ़ाते हैं, जिससे उनका मनोबल और टूट जाता है।”
इस बच्चे से इस भावुक मुलाक़ात के कुछ ही दिन बाद अपर्णा सीधे एक सैलून में गयीं और उन्होंने अपने बाल कटवा दिए। इन बालों को उन्होंने एक स्वयंसेवी संस्थान को दान कर दिया, जो विग बनाकर कैंसर पेशंट्स को देते हैं।
अपर्णा का मकसद केवल कैंसर पेशंट्स को अपने बाल दान करना ही नहीं था, बल्कि वह तो समाज की उस सोच को भी बदलना चाहती थीं कि बालों का न होना कुरूपता का प्रतीक है। अक्सर ऐसे लोगों का मज़ाक उड़ाया जाता है या उन्हें कम खूबसूरत होने का ताना दिया जाता है। अपर्णा इस नज़रिए को पूरी तरह बदलना चाहती थीं।
“छोटी उम्र में कैंसर होना वैसे ही बहुत दुखदायी होता है, ऊपर से कीमो के बाद बालों का न होना इन बच्चों को और भी मायूस कर देता है। हम सोच भी नहीं सकते कि इन पर क्या गुज़रती होगी जब कोई इन्हें इस बात के लिए चिढ़ाता होगा। मैं बस उनका साथ देना चाहती थी और यह साबित करना चाहती थी कि बालों का न होना कोई शर्म की बात नहीं है।
यह पहली बार नहीं है कि अपर्णा ने इस नेक काम के लिए अपने बाल दान किये हैं। इससे पहले भी उन्होंने ऐसा किया था पर पूरी तरह अपना सर नहीं मुंडवाया था। “इस बार मैं पूरी तरह अपना सर मुंडवाना चाहती थीं, ताकि इन पेशंट्स के साथ खड़ी हो सकूँ,” उन्होंने बताया!
नियम के तहत पुलिसकर्मियों को इस तरह सर मुंडवाने की इजाज़त नहीं होती, फिर चाहे वह महिला पुलिसकर्मी हो या पुरुष। पर अपर्णा के केस में उनके चीफ एन. विजयकुमार ने इसे एक स्पेशल केस के तौर पर लिया और अपर्णा को इसकी इजाज़त दे दी।
हालाँकि, अपर्णा अपनी इस नेक पहल को अपने तक ही सिमित रखना चाहती थीं, पर जिस सैलून में उन्होंने बाल कटवाएं, उन्होंने यह तय किया कि अपर्णा के इस प्रेरक कदम को लोगों तक पहुँचाना चाहिए। इसलिए सैलून-कर्मियों ने उनका वीडियो रिकॉर्ड करके सोशल मिडिया पर पोस्ट कर दिया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया। और अपर्णा को देश भर से वाहवाही मिलने लगी।
आज से ग्यारह साल पहले भी अपर्णा उस वक़्त सुर्ख़ियों में आ गयी थीं, जब उन्होंने एक ज़रूरतमंद परिवार को अपनी तीन सोने की चूड़ियाँ दान कर दी थीं। इस परिवार ने किसी अपने को खो दिया था और बिल न भर पाने की वजह से अस्पताल उसका शव नहीं दे रहा था। ऐसे में अपर्णा ने आगे बढ़कर मदद की थी।
एक ज़िम्मेदार पुलिसकर्मी और दो बच्चों की ममतामयी माँ होने के नाते, अपर्णा चाहती हैं कि समाज में पुलिस को डर का नहीं बल्कि दया और सद्भावना का प्रतीक माना जाये। अपने इन छोटे-छोटे क़दमों से वह रोते हुए चेहरों पर मुस्कान लाना चाहती हैं।