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दुनिया का पहला बायोडिग्रेडबल प्लास्टिक, जिसे किया जा सकता है रीसाइकल

Biodegradable Plastic, which can be recycle too

एक ओर जहां यूके के एक टेक स्टार्टअप, पॉलीमटेरिया ने प्लास्टिक के गुणों को बदलने का एक तरीका खोजा है, जिसके जरिए अब बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाया जा सकता और इसे रीसाइकल भी किया जा सकता है। तो वहीं, भारत भी कहीं पीछे नहीं है। IIT रुड़की के शोधकर्ताओं ने पॉलीसेकेराइड का उपयोग करके सिंगल यूज़ प्लास्टिक पैकेजिंग के विकल्प के तौर पर इको फ्रेंडली बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक तैयार किया है, जिसे 7 से 10 दिन में पूरी तरह से बायोडिग्रेड किया जा सकता है।

पर्यावरण के अनुकूल, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक मटेरियल विकसित करने वाली आईआईटी रुड़की की शोध टीम का नेतृत्व आईआईटी रुड़की में पेपर प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर कीर्तिराज के. गायकवाड़ और उनके छात्र लोकेश कुमार (एमटेक, पैकेजिंग तकनीक) ने किया।

वहीं, यूके के एक टेक्नॉलजी स्टार्टअप, ‘पॉलीमटेरिया’ ने एक अनोखा इनोवेशन किया है, जिसकी मदद से दुनिया भर में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से निपटा जा सकता है। यह कंपनी एक ऐसी टेक्नॉलजी के साथ आई है, जो प्लास्टिक के गुणों को बदल देता है और इसे एक साथ बायोडिग्रेडेबल (biodegradable plastic) और रीसाइकल करने योग्य बनाता है।

यह ‘बायोट्रांसफॉर्म’ तकनीक विश्व स्तर पर प्लास्टिक कचरे की समस्या के खिलाफ एक रिवॉल्युशन ला सकती है। यह तकनीक प्लास्टिक के गुणों को बदलकर, उसे सुरक्षित तरीके से तोड़ने का काम करती है।

लंदन के इंपीरियल कॉलेज बेस्ड इस स्टार्टअप का दावा है कि वह पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल समाधान लेकर आने वाली दुनिया की पहली कंपनी है। कंपनी के मुताबिक इस प्रक्रिया में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले माइक्रो प्लास्टिक भी नहीं बनाए जाते हैं।

Ecofriendly self-destructing plastic cup by Polymateria.

कंपनी की टाइम-कंट्रोल्ड टेक्नॉलजी का मुख्य फोकस प्लास्टिक पैकेजिंग वेस्ट, जैसे कि टेकअवे कंटेनर, डिस्पोजेबल कप और अन्य पैकेजिंग हैं, जिन्हें आमतौर पर रीसायकल करने के बजाय, यूं ही फेंक दिया जाता है।

बदल रही है सोच

दरअसल, इस कंपनी ने ऐसे एडिटिव्स बनाए हैं, जो प्लास्टिक पॉलिमर को तोड़ने में मदद करते हैं और प्लास्टिक को एक मोम में बदल देते हैं और फिर इन्हें प्राकृतिक बैक्टीरिया और फंगस जैसे सूक्ष्म जीव आसानी से डाइजेस्ट कर सकते हैं। इनका उपयोग, फूड स्टोरेज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पतली प्लास्टिक की फिल्में और थोड़े ज्यादा सख्त मटेरियल जैसे कि कप या पीने के लिए पाउच बनाने के लिए भी किया जा सकता है।

इसके अलावा, बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स (biodegradable plastic) को ‘रीसायकल बाय (recycle by)’ तारीख के साथ लेबल किया जाता है, ताकि इसके टूटने से पहले इसे इस्तेमाल करने वाले को जिम्मेदारी से निपटाने की समय सीमा की जानकारी हो। पॉलीमटेरिया के सीईओ नियाल ड्यून के अनुसार, पॉलीथीन आधारित प्रोडक्ट के लिए प्लास्टिक 226 दिनों में और पॉलीप्रोपाइलीन वाले प्रोडक्ट्स के लिए यह 336 दिनों में टूट जाता है और इस प्रक्रिया में कोई माइक्रोप्लास्टिक बचता नहीं है। 

लंदन के इंपीरियल कॉलेज में उन्होंने कहा, “बहुत लंबे समय से, यह माना जाता रहा है कि बायोडिग्रेडेबल चीज़ों को रीसायकल नहीं किया जा सकता है। हमारी तकनीक दुनियाभर में इस धारणा को बदल रही है।”

यह स्टार्टअप Biodegradable Plastic की दुनियाभर में कर चुका है कई डील

ब्रिटिश स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूशन (BSI) द्वारा सत्यापित, इस तकनीक को अब भारत सहित दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स द्वारा अपनाया जा रहा है।

पॉलीमटेरिया की वेबसाइट के अनुसार, 18 महीने की डिटेल्ड टेस्टिंग और वेरिफिकेशन के बाद, गोदरेज सहित प्रमुख भारतीय ब्रांड इस तकनीक (biodegradable plastic) का उपयोग करेंगे।

हाल ही में, इस स्टार्टअप ने ताइवान में 7-इलेवन स्टोर्स और साउथ प्लास्टिक इंडस्ट्री कंपनी के सप्लायर के साथ एक सौदा किया। इसके अलावा, दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोकेमिकल निर्माताओं में से एक, फॉर्मोसा प्लास्टिक्स कॉर्प को अपनी तकनीक का लाइसेंस देने के लिए $100 मिलियन का डील भी की।

मूल लेखः अंजली कृष्णन

संपादनः अर्चना दुबे

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