महाराष्ट्र में पुणे के रहने वाले कैप्टेन शशि शेखर पाठक ने दस साल भारतीय वायुसेना में सेवा की और फिर साल 2002 में उन्होंने वहां से रिटायरमेंट ले ली। इसके बाद कई सालों तक कमर्शियल सेक्टर में काम किया। लेकिन बचपन से ही कुछ अलग करने की चाह रखने वाले पाठक साल 2013 में एक बिल्कुल ही अनोखे सफ़र पर निकल पड़े। साइकिलिंग करने के शौक ने उन्हें एक इनोवेटर बना दिया और उन्होंने बना दी ‘बांस की साइकिल।’
जी हाँ, आज उन्हें न सिर्फ भारत में बल्कि भारत के बाहर भी उनके बांस की साइकिल के लिए जाना जाता है। वह प्रोफेशनल साइकिलिंग करने वाले लोगों के लिए उनकी ज़रूरत के हिसाब से बांस की साइकिल बनाते हैं। अपने इस सफ़र के बारे में उन्होंने द बेटर इंडिया से बात की।
पाठक ने बताया, “मैंने एयरफोर्स से रिटायरमेंट ली क्योंकि मुझे लगा कि अब थोड़ी बाहर की दुनिया भी देखनी चाहिए। उसके बाद काफी समय तक कमर्शियल पायलट के तौर पर भी काम किया। लेकिन कुछ अलग करने का जूनून मुझे गांवों की तरफ ले गया। हमने पुणे से लगभग 60 किमी दूर दक्षिण में एक छोटी-सी ज़मीन खरीदी। इस इलाके में चावल, बांस और रागी की खेती होती है। अपनी ज़मीन के चक्कर में वहां आना-जाना हुआ, हम गांव के लोगों से मिले। उनकी ज़िंदगी को जाना-समझा और अहसास हुआ कि किस तरह गांवों में रोज़गार की कमी युवाओं को शहर में मजदूर बना रही है।”
इस बारे में अक्सर पाठक और उनकी पत्नी की चर्चा होती थी। वह अपने स्तर पर कुछ करना चाहते थे जिससे कि गांवों में वहीं पर उपलब्ध साधनों से रोज़गार उत्पन्न किए जा सके, लेकिन कैसे, इस सवाल का जवाब वह कहीं न कहीं अभी भी ढूंढ रहे हैं। लेकिन इस बीच उन्हें ऐसा कुछ मिला, जिससे उनकी ज़िंदगी का रुख बिल्कुल ही बदल गया। वह बताते हैं कि उन्होंने एक बार टीवी पर एक प्रोग्राम देखा जिसमें बताया गया कि आप कैसे बांस की साइकिल बना सकते हैं? उन्हें यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि बांस से इस तरह के प्रोडक्ट्स भी बनाए जा सकते हैं।
उन्होंने बताया, “मेरा कोई बैकग्राउंड नहीं था ऐसा लेकिन फिर भी मैंने ठान लिया कि मैं अपने लिए बांस की साइकिल बनाऊंगा। मैंने अपने कुछ दोस्तों से मदद ली जो इंजीनियर थे, इंटरनेट पर काफी रिसर्च की और डेढ़ साल की मेहनत के बाद, आखिकार मेरी बांस की साइकिल बनकर तैयार हुई।”
पाठक ने यह साइकिल अपने लिए बनाई थी क्योंकि नियमित रूप से साइकिलिंग करना उनका शौक था। उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि वह किसी और के लिए बनाएंगे। लेकिन उनकी पत्नी को आभास हो गया था कि यह ऐसा उत्पाद है जिसे लोग पसंद करेंगे, खासतौर पर साइकिलिंग करने का जूनून रखने वाले लोग। उन्होंने ही इस साइकिल को नाम दिया ‘बैम्बूची’!
उन्होंने जब इस साइकिल को इस्तेमाल करना शुरू किया तो बहुत से लोगों ने उनसे इसके बारे में पूछा। उनके एक दोस्त ने उनसे उनके लिए भी साइकिल बनाने का आग्रह किया। वह कहते हैं कि जब उन्होंने अपने दोस्त के लिए साइकिल बनाई तो सभी चीजें काफी उच्च गुणवत्ता वाली लीं। उन्होंने बांस का फ्रेम बनाया और इस में अच्छी कंपनी के टायर, ब्रेक, गियर और शीट आदि लगाई।
पाठक ने बताया, “मैंने जो अपने लिए साइकिल बनाई थी, उसमें तो पीछे वाली ब्रेक भी नहीं थी। लेकिन जब किसी और के लिए बनानी थी तब हर एक चीज़ का काफी ख्याल रखा। क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि साइकिल में कोई भी कमी रहे। फिर मेरा दोस्त एक प्रोफेशनल साइकिलिस्ट है और उसे यह साइकिल प्रोफेशनल स्तर की चाहिए थी।”
पाठक को अपने दोस्त से इस साइकिल का रिव्यु काफी अच्छा मिला। इसके बाद उन्हें लगा कि इस सेक्टर में आगे बढ़ा जा सकता है। इसके बाद, उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी साइकिल के बारे में पोस्ट डाली और खुद ही, अपनी वेबसाइट बनाई। उनके बारे में सबसे खास बात यह है कि वह इसे बहुत बड़े स्तर पर नहीं कर रहे बल्कि जो लोग उनसे खुद बांस की साइकिल के लिए संपर्क करते हैं, वह सिर्फ उन्हीं के लिए साइकिल बनाते हैं। वह कहते हैं कि जब उन्होंने पहली बार पोस्ट डाली तो काफी लोगों ने उनसे संपर्क किया।
हर दिन लोग उनसे साइकिल के बारे में सवाल पूछते और उनसे बात करते-करते पाठक को समझ में आया कि साइकिलिंग कम्युनिटी को अपने हिसाब से साइकिल चाहिए न कि कोई भी स्टैण्डर्ड साइकिल। इसके बाद, उन्होंने ठाना कि वह सिर्फ कस्टमाइज्ड साइकिल ही बनाएंगे।
जब भी कोई उनसे साइकिल के लिए कहता है तो सबसे पहले ग्राहक की लम्बाई, उसके हाथ-पैर की लम्बाई की जानकरी ली जाती है। फिर उन्हें किस तरह के इस्तेमाल के लिए साइकिल चाहिए, इस बारे में पता किया जाता है। इन सभी जानकारियों के आधार पर ही पाठक साइकिल का फ्रेम तैयार करते हैं और फिर ग्राहक के मन-मुताबिक अच्छी कंपनी से अन्य चीजें लाकर लगाई जाती हैं।
पाठक के पास पहले से एक भी साइकिल तैयार नहीं होती है। उन्होंने भले ही अब तक सिर्फ 20 साइकिल बनाई हैं लेकिन हर एक साइकिल दूसरी से अलग थी। वह सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए साइकिल बनाते हैं जो खुद उन्हें संपर्क करके बनवाते हैं। इसका मुख्य कारण है साइकिल बनाने में इस्तेमाल होने वाले महंगे प्रोडक्ट्स जैसे कि बांस के फ्रेम को जोड़ने के लिए साधारण फेविकोल का इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा, टायर, ब्रेक सिस्टम वगैरा सभी कुछ अच्छी ब्रांड कंपनी का होता है। इस वजह से साइकिल की कीमत लाख रुपये से ऊपर भी चली जाती है।
पाठक बताते हैं, “अक्सर लोगों को लगता है कि बांस की साइकिल है तो सस्ती होगी। लेकिन जो लोग नियमित तौर पर प्रोफेशनल स्तर की साइकिलिंग करते हैं उन्हें पता है कि उस लेवल की साइकिल बनाने के लिए काफी खर्च होता है और मेहनत भी बहुत लगती है। इसलिए बहुत बार लोगों ने हमें संपर्क किया लेकिन जैसे साइकिल उन्हें चाहिए थी उसकी कीमत उनके बजट से बाहर थी। उन्होंने कहा कि कोई नहीं, हम दो साल बाद आपसे यह बनवायेंगे और उन्होंने बनवाई भी। इसलिए हम पहले ही ग्राहक से उनकी जानकारी ले लेते हैं और उसी हिसाब से उन्हें लागत बता देते हैं ताकि बाद में कोई परेशानी न हो।”
पाठक की बनाई साइकिल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि बाहर के देशों में भी इस्तेमाल हो रही हैं। उन्होंने कई विदेशियों को साइकिल बनाकर भेजी है और बाकी, फ्रांस के रहने वाले एक शख्स को उन्होंने यह बांस की साइकिल बनाना भी सिखाया है। फ्रांस में साइकिल का इस्तेमाल काफी होता है और यही वजह है कि वहां अच्छी क्वालिटी की साइकिल की काफी मांग रहती है। साल 2018 की शुरुआत में, एक फ़्रांसिसी व्यक्ति, पैट्रिक लेफरेरे, उनसे बांस की साइकिल बनाना सीखने आए।
लेफरेरे कहते हैं, “मुझे पाठक की साइकिल के बारे में पता चला और फिर जैसे ही मुझे मौका मिला, मैं पहुँच गया उनसे सीखने। उन्होंने मुझे बहुत अच्छे से सिखाया और फिर उन्होंने ही मुझे सलाह दी कि मैं अपने देश में अपने ब्रांड नाम से यह बनाकर बेच सकता हूँ। आज मैं ‘Cyclobam’ ब्रांड नाम से फ्रांस में बांस की साइकिल बना रहा हूँ। साइकिलिंग के लिए उनका और मेरा पैशन एक जैसा है। उनकी वजह से मैंने काफी कुछ सीखा।”
लेफरेरे के मुताबिक, बांस की साइकिल के प्रति उनके देश में भी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया है। लोगों को यह काफी पसंद आती है और जब भी वह अपनी बांस की साइकिल पर बाहर निकलते हैं तो बहुत से लोग उन्हें रोककर साइकिल के बारे में पूछते हैं। “मैं पाठक के काम की बहुत प्रशंसा करता हूँ क्योंकि वह हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। हर बार उनके पास एक नया प्रोडक्ट होता है, जिससे उनकी क्रिएटिविटी का साफ़ पता चलता है,” उन्होंने आगे कहा।
सामान्य साइकिल के अलावा, पाठक ने बांस से ही और भी अलग-अलग डिज़ाइन बनाए हैं। ई-साइकिल बनाने वाली कंपनी, लाइटस्पीड के साथ मिलकर उन्होंने बांस की साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल का रूप दिया है। लाइटस्पीड उनकी इस इलेक्ट्रिक साइकिल को ‘बैम्बूची’ ब्रांड नाम से ही बेच रही है। जब भी उन्हें बांस की इलेक्ट्रिक साइकिल का ऑर्डर मिलता है तो वह पाठक को भेजा जाता है। इसके अलावा, उन्होंने दो लोगों के एक साथ चलाने के लिए ‘टैंडेम साइकिल’ भी बनाई है। हाल ही में, उन्होंने फोल्डिंग बांस की साइकिल का डिज़ाइन तैयार किया।
पाठक आगे कहते हैं कि फ़िलहाल उनका ध्यान इस बात पर नहीं है कि उनका बिज़नेस जैसे बड़े स्तर पर पहुंचे। बल्कि वह चाहते हैं कि इस साइकिल की कीमत को कम किया जाए और यह तभी होगा जब कोई मास प्रोडक्शन करने वाली बड़ी कंपनी बांस की साइकिल बनाए। इससे बहुत-सी मुश्किलें हल हो सकती हैं जैसे बांस उगाने वाले ग्रामीणों को आजीविका का साधन मिलेगा। साथ ही, उनके युवाओं को रोज़गार का अच्छा अवसर प्राप्त होगा क्योंकि अगर कंपनी की प्रोडक्शन यूनिट बांस उत्पादन करने वाले क्षेत्र के पास में लगती है तो युवाओं को बाहर पलायन नहीं करना पड़ेगा।
“पिछले कुछ सालों में मैंने जो कुछ भी अनुभव अर्जित किया है, उससे मुझे यह समझ में आया है कि जब तक हम अपने यहाँ पर उपलब्ध साधनों में ही अपनी आजीविका का रास्ता नहीं खोजेंगे, तब तक हमारा विकास मुश्किल है। हालांकि, इस बार मैंने ठाना है कि मैं गाँव के युवाओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करूँगा। लॉकडाउन की वजह से अभी हर कोई अपने गाँव लौट आया है। इसलिए जब लॉकडाउन खुलेगा तो उनसे संपर्क करना आसान होगा।”
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हमें उम्मीद है कि पाठक अपने इस अभियान में सफल हो सकें। यदि आप को यह कहानी अच्छी लगी है और आप उनके इस अभियान से जुड़ना चाहते हैं तो कैप्टेन पाठक से 9870555092 पर संपर्क कर सकते हैं!