साल 2018 से चर्चा में आये ‘ग्रीन क्रैकर्स’ को सीएसआईआर-नीरी के वैज्ञानिकों ने बनाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये पटाखे, पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30% कम प्रदुषण करते हैं। इन ‘ग्रीन क्रैकर्स’ को बाज़ारों में उतारने से पहले इन्हें कलर, धुंआ, आवाज़, प्रदूषक तत्व आदि के लिए टेस्ट किया गया है।
ये ग्रीन क्रैकर्स अभी तक सिर्फ़ दिल्ली में ही उपलब्ध हैं और वह भी काफ़ी कम जगहों पर। क्योंकि अभी भी बहुत से विक्रेताओं के पास लाइसेंस नहीं है। लेकिन फिर भी पटाखे तो पटाखे हैं, प्रदुषण का स्तर भले ही कम हो, लेकिन यह पूरी तरह से पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं है।
इसलिए बेहतर यही है कि सभी लोग शांतिपूर्वक प्रदुषण रहित दिवाली मनाएं। क्योंकि जितना आप पटाखों पर खर्च करते हैं, उतने पैसे में आप किसी ज़रूरतमंद को कपड़े, मिठाइयाँ आदि खरीदकर दे सकते हैं। इससे पर्यावरण के साथ-साथ समाज का भी भला होगा।
इस दिवाली शोर-शराबे या फिर प्रदुषण का नहीं बल्कि खुशियों का मीठा त्यौहार मनाइये। आपकी दिवाली को ख़ास बनाने के लिए हमारे पास बहुत ही अनोखी चॉकलेट्स हैं, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी की खुशियों की मिठास दुगुनी कर देंगी और आपको पटाखों की कमी भी महसूस नहीं होने देंगी।
इन चॉकलेट्स को पटाखों का आकार और रूप दिया गया है। कोलकाता स्थित चोको फेंटसी द्वारा तैयार यह चॉकलेट बॉक्स, दिवाली पर आपके लिए और आपके अपनों के लिए एक परफेक्ट गिफ्ट है। इस बॉक्स में आपको अलग-अलग आकार में, डार्क और मिल्क चॉकलेट्स मिलेंगी।
इस एक चॉकलेट बॉक्स की कीमत सिर्फ़ 600 रुपये है!
चोको फेंटसी के सभी प्रोडक्ट्स हैंडमेड चॉकलेट से बनते हैं और इन्हें बनाते समय स्वाद के साथ-साथ ग्राहकों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा जाता है। इसके अलावा, इन चॉकलेट्स को पैक करने के लिए रीसायकल पेपर का इस्तेमाल किया गया है।
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तो इस दिवाली इस प्यारे से तोहफे के साथ अपने अपनों को दीजिये शांत और खुशहाल दिवाली मानाने की प्रेरणा। पहले ही हम ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज और हर दिन प्रदूषित हो रही हवा में जी रहे हैं। फ़िलहाल, हमें इन सभी मुद्दों के खिलाफ़ साथ में लड़ना चाहिए, न कि पटाखे जलाकर स्थिति को और बिगाड़ना चाहिए।
पिछले साल, दिवाली के एक दिन बाद भारत के कई बड़े शहरों की एयर क्वालिटी बहुत ज़्यादा गिर गयी थी। एयर क्वालिटी इंडेक्स में मुंबई का रैंक 361 था तो दिल्ली और कोलकाता का 420। जबकि भारत में 100 एयर क्वालिटी इंडेक्स को ही सही समझा जाता है। इन शहरों के लगभग 3 करोड़ लोग हद से ज़्यादा प्रदूषित हवा में साँस ले रहे थे।
तो इस बार द बेटर इंडिया के साथ संकल्प करें एक स्वच्छ, प्रदुषण रहित दिवाली मनाने का!
संपादन – मानबी कटोच