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मात्र 30 हजार रुपयों से शुरू किया ईको-फ्रेंडली स्किन केयर ब्रांड, हर महीने मिलते हैं 100 से ज्यादा ऑर्डर्स

Maa beti ki jodi

स्किन केयर ब्रांड को लेकर अक्सर हमारे ज़हन में कई सवाल उठते रहते हैं, जैसे क्या यह प्रोडक्ट मेरी त्वचा के लिए ठीक रहेगा? यह प्रोडक्ट नेचुरल तो है न? इसे लगाने से, मुझे फायदा तो होगा न? हममें से हर कोई केमिकल वाले प्रोडक्ट्स के बजाय हर्बल और नेचुरल प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करना चाहता है। लेकिन आमतौर पर इस तरह के प्रोडक्ट्स काफी महंगे होते हैं। इसलिए हममें से ज्यादातर लोग इसे रोजमर्रा में इस्तेमाल नहीं कर पाते।  कितना अच्छा हो अगर हम बिना ज्यादा पैसे खर्च किए, ऐसे नेचुरल प्रोडक्ट्स खरीद पाएं।  

अहमदाबाद की 24 वर्षीय,  सुरभि भंसाली का स्टार्टअप कूः, आपको किफायती हैंडमेड स्किन केयर प्रोडक्ट्स उपलब्ध करता है। वह हमेशा से लोगों की बेसिक जरूरतों को ध्यान में रखकर काम करना चाहती थीं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताती हैं, “बिज़नेस शुरू करने से पहले मैंने एक सर्वे किया था, जिसमे 10 में से 8 लोगों ने बताया कि अपनी स्किन केयर के लिए सही और नेचुरल प्रोडक्ट चुनना काफी मुश्किल काम है, तभी मैंने स्किन केयर से जुड़ा स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया।”  

स्टार्टअप की शुरुआत  

Surabhi Bhansali

सुरभि ने इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। वह रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े क्षेत्र में काम कर रही थीं। वहां वह देखती थीं कि हर जगह, हर काम के लिए ज्यादा से ज्यादा नेचुरल तत्वों का इस्तेमाल किया जा रहा है। एनर्जी, पावर जैसे बड़े स्तर पर जब हम प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल कर सकते हैं, तो अपने प्रतिदिन के जीवन में क्यों नहीं? पिछले साल, उन्होंने जॉब में रहते हुए ऑनलाइन सर्वे और जान-पहचान के लोगों से जानने की कोशिश की कि ऐसी कौन सी चीज है जिसमें आप बदलाव चाहते हैं।” 

ज्यादातर लोगों ने उन्हें कहा की हम केमिकल वाले साबुन, क्रीम, परफ्यूम अदि को बदल कर नेचुरल प्रोडक्ट्स अपनाना चाहते हैं। लेकिन घर पर इसे बनाना मुश्किल होता है और बाजार में मिलने वाले ज्यादातर प्रोडक्ट्स पर वे भरोसा नहीं करते।  इस सर्वे के बाद, सुरभि ने लॉकडाउन के दौरान घर पर ही हैंडमेड साबुन और फेसपैक बनाने की शुरुआत  की। वह बताती हैं, “बचपन में हमेशा मेरी मम्मी टमाटर, पपीता, शहद, मलाई आदि मेरे चहरे पर लगाती थीं। मैं चाहती थी ऐसे ही नेचुरल चीजों का इस्तेमाल मैं अपने प्रोडक्ट में भी करूं। मैंने प्रोडक्ट बनाने में उनकी मदद भी ली है।” 

 नेचुरल प्रोडक्ट्स  

Kooh

उन्होंने अपने बनाए कुछ नेचुरल प्रोडक्ट्स अपने दोस्तों और परिवार वालों को दिए। जिसकी उन्हें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। नवंबर 2020 में, उन्होंने कूः नाम से इंस्टाग्राम अकाउंट बनाया और सोशल मीडिया के जरिये ही इसे लॉन्च किया। वह बताती हैं, “हमने पहले सिर्फ फेसपैक और साबुन के साथ ही शुरुआत की थी। लेकिन आज हमारे पास लिप बाम, बॉडी स्क्रब और बॉडी बटर की भी वेराइटीज़ मौजूद है।” वह तरह-तरह के नेचुरल ऑयल, जैसे-ऑलिव ऑयल, राइस ब्रान ऑयल, आलमंड ऑयल आदि को सोडियम हाइड्रोक्ससाइड के साथ मिला कर साबुन बनाती हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि वह  कच्चे मॉल यानी प्रोडक्ट के बेसिक मटेरियल पर विशेष ध्यान देती हैं।। ताकि सही गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट बन सकें।  वह कहती हैं, “हम हल्दी, कॉफी पाउडर आदि दक्षिण भारत से मंगाते हैं। वहीं, कुछ हर्बल पाउडर गुजरात के दाहोद से भी आते हैं।” 

  किफायती भी ईको-फ्रेंडली भी 

 कूः की नियमित ग्राहक बन चुकीं हेत खत्री बताती हैं, “मेरी स्किन काफी सेंसिटिव है। मैने बाज़ार में मिलने वाले कई मेहेंगे प्रोडक्ट भी इस्तेमाल किए, लेकिन मैं बहुत खुश नहीं थी। पिछले कुछ महीनों से मैंने कूः का साबुन इस्तेमाल करना शुरू किया और अब मैं इसे नियमित इस्तेमाल कर रही हूँ। इसके अलावा मेरा छोटा भाई भी, अपने मुंहासों के लिए इनका फेसपैक इस्तेमाल कर रहा,  जिससे उसे काफी फायदा भी हुआ है।” वह बताती हैं चूंकि ये प्रोडक्ट्स हर्बल और हैंडमेड कैटेगरी में आते हैं, इसलिए सामान्य केमिकल वाले प्रोडक्ट्स से महंगे हैं। लेकिन बाजार में मिलने वाले दूसरे हर्बल प्रोडक्ट्स से काफी सस्ते हैं। 

Homemade Soap

आने वाले दिनों में सुरभि केमिकल फ्री डिओड्रेंट भी लॉन्च करने वाली हैं। वह कहती हैं ,” हमारे प्रोडक्ट्स की मांग समय के साथ बढ़ रही है। मैंने मात्र 30,000 रुपये से अपने काम को शुरू किया था, जबकि पिछले एक-दो महीने में हमने हर महीने 15000 के करीब लाभ कमाया।” 

अंत में वह कहती हैं, “मैं बेहद खुश हूँ कि बिना किसी महंगी मार्केटिंग के हमारे प्रोडक्ट को इस तरह के रिस्पॉन्स मिल रहे हैं। इसने मुझे काफी प्रेरित किया है। 

अगर आप कूः के बारे में ज्यादा जानने या इनके ईको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स आर्डर करना चाहते हैं, तो उनके इंस्टा पेज से संपर्क कर सकते हैं।

संपादन – अर्चना दुबे

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