“मुझे लगता है कि देश का भविष्य सोलर एनर्जी में है। खासतौर पर गाँव के हर घर में सोलर प्लांट होना चाहिए क्योंकि इससे एक तो आपको 24 घंटे बिजली मिलेगी और साथ ही, एक बार की लागत के बाद आपको कोई खर्चा नहीं करना पड़ेगा,” यह कहना है हरियाणा के एक डेयरी किसान का।
हरियाणा में रोहतक के डोभ गाँव में रहने वाले 47 वर्षीय नरेंद्र कुमार ने लगभग डेढ़-दो साल पहले अपनी डेयरी शुरू की थी। वह बताते हैं कि ऐसे तो वह किसान परिवार से हैं। पुश्तों से उनका परिवार किसानी ही कर रहा है। वह भी किसानी ही करते हैं लेकिन कुछ सालों पहले उन्हें महसूस हुआ कि किसानों को फायदा मिश्रित या फिर इंटीग्रेटेड खेती में है। इंटीग्रेटेड खेती से मतलब है पशुपालन आदि करते हुए किसानी करना।
“हमारे घरों में पशुपालन तो पहले से ही होता था। हम भैंस और गाय आदि रखते हैं। बस इसी में हमने कुछ और गाय खरीद लीं। फिलहाल, हमारे पास 20 गिर गाय और कुछ भैंस हैं,” उन्होंने आगे बताया।
नरेंद्र ने जब डेयरी फार्म शुरू किया तो उनका उद्देश्य स्पष्ट था कि उन्हें सिर्फ अपनी कमाई नहीं बल्कि लोगों की सेहत के लिए भी काम करना है। हरियाणा का दूध-दही विश्वभर में मशहूर है लेकिन पिछले कुछ समय में लोगों ने अपने लालच में इसका स्तर गिरा दिया है।
पर इसके लिए हम सिर्फ डेयरी किसानों को ही ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं। वह बताते हैं, “अगर हम चाहते हैं कि हमारे पशु अच्छा दूध दें और आगे हम अच्छी गुणवत्ता वाला दूध और घी आदि पहुंचाए तो इसके लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि हम पशुओं की देखभाल अच्छे से करें। जैसे हम अपने बच्चों को पालते हैं वैसे ही उनकी देख-रेख करें।”
उनके मुताबिक, उन्होंने सिर्फ अपने पशुओं की अच्छी देखभाल के लिए अपने खेतों में जैविक विधियों से हरा चारा उगाना शुरू किया। उनके पास जो भी थोड़ी-बहुत ज़मीन है, उसमें वह गेहूं, धान, मक्का, मुंग आदि के अलावा अपने पशुओं के लिए हरा चारा भी उगाते हैं। सबसे अच्छी बात है कि अब वह अपने खेतों को जैविक तरीकों से अच्छा बना रहे हैं।
“अगर मैं खेतों में रसायन डालूँगा और वह चारा मेरे पशु खायेंगे तो उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ दूध की क्वालिटी पर भी फर्क पड़ेगा। मैं लोगों को जहर नहीं दे सकता। इसलिए मैंने जैविक तरीके अपनाएं। मेरी डेयरी से जो भी गोबर निकलता है, उसकी खाद को हम खेतों में डालते हैं। फिर वही चारा अपने पशुओं को खिलाते हैं, इस तरह से हमारा सस्टेनेबल मॉडल है,” उन्होंने कहा।
अपने पशुओं के खाने, चारे और पोषण का पूर्ण ध्यान रखने के बाद भी नरेंद्र को कुछ कमी-सी लगती थी। वह कहते हैं कि खाना-चारा, पानी आदि तो ठीक है लेकिन पशुओं को आराम भी चाहिए। खासकर कि गर्मियों के मौसम में। इंसान दो पल बिना पंखे-कूलर के नहीं रह सकता, वहां इन पशुओं के बारे में सोचिए। इसलिए नरेंद्र ने अपने पशुओं के लिए पंखे, पानी आदि की अच्छी व्यवस्था भी कराई हुई है। लेकिन समस्या थी तो बिजली की।
नरेंद्र बताते हैं कि उनके गाँव में बिजली की काफी समस्या है। दिन में मुश्किल से चार घंटे और रात में भी बस 4-5 घंटे ही बिजली आती है। इस वजह से उनके पशुओं की गर्मी झेलनी पड़ती और साथ ही, बिजली न होने से पानी की मोटर और चारा काटने वाली मशीन भी सही समय पर नहीं चल पातीं।
“मैं इस बारे में काफी परेशान था, फिर एक दिन ऐसे ही कुछ भाइयों के साथ बैठकर चर्चा कर रहे थे। तब किसी ने सलाह दी कि आप सोलर पैनल लगवा लो। आपकी सभी परेशानी दूर हो जाएगी। मैंने थोड़ा-बहुत पता किया और डेयरी के लिए सोलर पैनल लगवा लिया,” उन्होंने बताया।
नरेंद्र कुमार की डेयरी में 5 किलोवाट की क्षमता का इन्वर्टर और 3 किलोवाट की क्षमता के सोलर पैनल लगे। वह बताते हैं कि पूरे इनस्टॉलेशन का खर्च 1 लाख 60 हज़ार रुपये तक आया। लेकिन इसके बाद उनकी सारी परेशानी दूर हो गई। आज उनके यहाँ इस सोलर प्लांट से 8 पंखे, 6-7 बल्ब और ट्यूबलाइट, पानी की मोटर, और चारा काटने वाली मशीन नियमित तौर पर चलती है। सोलर प्लांट पर हुए अपने खर्च के बारे में नरेंद्र कहते हैं कि यह सिर्फ एक बार का खर्च है। इसके बाद आपको बिजली की कोई परेशानी नहीं रहेगी।
“पिछले 3-4 महीनों में हमारी सिर्फ 1 यूनिट बिजली खर्च हुई है। वह भी तब जब दो-चार दिन बारिश का मौसम रहा था। बाकी पूरी बिजली सोलर प्लांट से मिल रही है। पहले महीने का हमारा 3 से साढ़े 3 हज़ार तक का बिल आ जाता था। अब वह बिल्कुल खत्म हो गया है। दूसरा, अब बिजली का इंतज़ार नहीं करना पड़ता। अब जब चाहो आप चारा काटकर रख सकते हो, ताजा पानी अपने पशुओं को पिला सकते है और इस भयंकर गर्मी में अब मेरे पशु कम से कम पंखे में सोते हैं,” उन्होंने कहा।
इसके अलावा, उनका कहना है कि जिन पशुओं से उन्हें महीने में लाख रुपये तक की कमाई मिल रही है क्या वह उनके लिए एक बार खर्च नहीं कर सकते? नरेंद्र को सोलर प्लांट लगवाने में कोई घाटा नहीं दिखता, बल्कि वह सलाह देते हैं कि सभी को अपने घरों में सोलर प्लांट लगवाने चाहिए। बिजली का खर्च कम करने के अलावा यह इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल विकल्प भी है।
“अब मैंने अपने खेतों के लिए सोलर पंप की सब्सिडी के लिए भी आवेदन किया हुआ है। हम घरों की छतों पर भी सब्सिडी से सोलर प्लांट लगवा सकते हैं। मैंने डेयरी के लिए भी सब्सिडी का सोचा था पर उसमें थोड़ा समय लग जाता और उस समय गर्मी बढ़ रही थी। इसलिए मैंने अपने खर्च पर सोलर लगवा लिया। पर अब मैंने सब्सिडी के लिए अप्लाई किया है,” उन्होंने बताया।
सरकार ने सोलर एनर्जी को लेकर कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। उनका उद्देश्य देश को ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में आगे लेकर जाना और सेल्फ-सस्टेनेबल बनाना है। केंद्र सरकार ने सोलर के फायदों को देखते हुए कई सब्सिडी योजना भी शुरू की हैं ताकि इसे बढ़ावा दिया जा सके।
अगर आप किसान हैं तो अपने खेतों पर सोलर पंप लगवा सकते हैं। इसके लिए सरकार ने किसान उर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान (KUSUM) योजना शुरू की है, जिसके तहत किसानों को 90% तक सब्सिडी दी जाएगी। कुसुम योजना के फायदे:
- सौर ऊर्जा उपकरण स्थापित करने के लिए किसानों को केवल 10% राशि का भुगतान करना होगा।
- सौर ऊर्जा के लिए प्लांट बंजर भूमि पर लगाये जायेंगे।
- कुसुम योजना में बैंक किसानों को लोन के रूप में 30% रकम देंगे।
- केंद्र सरकार किसानों को बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी।
- सरकार किसानों को सब्सिडी के रूप में सोलर पंप की कुल लागत का 90% रकम देगी।
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कुसुम योजना के अलावा केंद्र सरकार ने घर की छतों पर सोलर लगवाने के लिए भी सब्सिडी योजना शुरू की है। इसके तहत, आपको सोलर रूफटॉप प्लांट लगवाने के लिए 40% सब्सिडी मिलेगी। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप यहाँ क्लिक करें!
उम्मीद है कि नरेंद्र कुमार की ही तरह देश के दूसरे किसान भी इस तरह की आधुनिक तकनीकों का फायदा अपनी अतिरिक्त आय के लिए उठाएं। बेशक, आज की ज़रूरत यही है कि किसान हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें और खुद अपनी परेशानियों का हल खोजने की क्षमता रखे। किसान नरेंद्र का यह कदम सराहनीय है!