लॉकडाउन में हर कोई अपना कोई न कोई शौक़ पूरा कर रहा था। कोई शेफ बनकर नई-नई डिश तैयार करने में लगा था, तो कोई बागवानी के अपने बरसों पुराने शौक़ को पूरा कर रहा था। लेकिन केरल के अजी आंनद थोड़े अलग हैं। वह लॉकडाउन में अपना समय पर्यावरण के अनुकूल घर तैयार करने में लगा रहे थे। एक ऐसा घर जो मिट्टी और बीयर की बोतलों से बनाया गया है।
अजीत द बेटर इंडिया को बताते हैं, “लॉकडाउन में मैंने और मेरी पत्नी थानिया लीला ने अपने एक जमीन के टुकड़े पर घर बनाने का फैसला किया। यह जमीन मेरे ससुर जी ने मुझे उपहार में दी थी। हम चाहते थे कि जहां तक संभव हो सके, एक इको फ्रेंडली घर तैयार किया जाए, लेकिन हम इसपर ज्यादा पैसे भी खर्च नहीं करना चाहते थे।”
इसके बाद अजी ने अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर 1000 स्क्वेयर फिट की जमीन पर दो कमरों का घर तैयार किया। उनका यह घर मिट्टी से बना है, जिसमें छह महीने का समय लगा और खर्च आया सिर्फ 6 लाख रुपये। अपनी ही जमीन से खोदी गई मिट्टी और 2500 बीयर की बोतलों के अलावा, उन्होंने बहुत सारी चीजें रीसाइकल कर इस घर को बनाने में इस्तेमाल की हैं।
कैसे बनाया यह घर?
कुन्नुर के रहनेवाले 36 साल के अजी की कपड़ों की एक दुकान है और उनकी पत्नी एक निजी संस्थान में वाइस प्रिंसिपल हैं। उनके दो बच्चे हैं और वे अपने पुश्तैनी घर में संयुक्त परिवार में एक साथ रहते हैं। अजी का हमेशा से ही सपना था कि उनका अपना एक अलग घर हो। साल 2020 में जब लॉकडाउन हुआ, तो उन्हें काफी खाली समय मिल गया।
उनके लिए अपने सपनों का घर तैयार करने का यह परफेक्ट समय था और उन्होंने इस ओर कदम बढ़ाने का फैसला कर लिया। हालांकि वह अपने बचत किए गए पैसों में से ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते थे। इसलिए अजी ने इस मसले पर अपने भाई आकाश कृष्णराज से सलाह ली। आकाश, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर (भोपाल) के फाइनल इयर के छात्र थे।
अजी कहते हैं “कम खर्च में घर बनाने के लिए आकाश ने बहुत सारे सुझाव दिए। लेकिन उसकी पहली और प्रमुख सलाह यही थी कि हम अर्थबैग तरीके से पूरे घर को तैयार करें। इस तकनीक से घर बनाने में लागत कम आती है और दीवारें भी काफी मजबूत रहती हैं। बाढ़ प्रभावित अधिकांश इलाकों में इस तरीके से घर का निर्माण किया जाता रहा है।”
बांस के केन और बीयर की बोतलों का इस्तेमाल
साल 2021 में लॉकडाउन में ढील दी गई। तब अजी ने नए घर के निर्माण के लिए जरूरी सारा सामान इकट्ठा कर लिया। इसमें 850 मीटर की प्लास्टिक की थैलियां भी थीं, जिसमें उन्होंने खुदाई से निकाली गई मिट्टी को भरा और दीवार बनाने के लिए ईंटों की तरह इस्तेमाल किया। इसके लिए कुछ पुरानी प्लास्टिक की थैलियों को रीसाइकिल किया गया और कुछ बाजार से भी खरीदी गईं ताकि इनका आकार एक जैसा बना रहे। मिट्टी से भरी इन थैलियों के ऊपर कंटीले तार लगाए गए ताकि ये हिले नहीं।
अजी कहते हैं, “घर बनाने की शुरुआत हमने जमीन को बराबर करने से की। फिर पीने के पानी और सेप्टिक टैंक बनाने के लिए गड्ढा खोदा गया। खुदाई में से निकली मिट्टी को एक जगह इकट्ठा करके रख लिया गया था। हमारी जमीन के आस-पास काफी निर्माण कार्य चल रहा था। हमने उनकी जमीन से खोदी गई मिट्टी का भी इस्तेमाल किया।”
अजी आगे बताते हैं कि खुदाई का काम उनके परिवारवालों और दोस्तों ने मिलकर किया था और उनके बच्चों ने भी इसमें उनका हाथ बंटाया।हालांकि भारी सामान उठाने के लिए उन्होंने कुछ हफ्तों के लिए दो मज़दूरों को भी काम पर रखा था। अजी, उनका कजिन और उनके दोस्त रोजाना कई घंटे प्लॉट पर काम करते थे। उनमें से एक प्लास्टिक की थैलियों में मिट्टी भरता, तो दूसरा उसे डिजाइन के अनुसार दीवार में चिनता था।
कचरे को भी लिया काम में
जब एक बार घर ने आकार ले लिया, तो दीवारों और छत के बीच कुछ मीटर का अंतर रह गया था। अब इसे किसी तरह भरना था। उन्होंने दिमाग लगाया और इसे भरने के लिए बियर की बोतलों, बांस की बोतलों और नारियल की जटाओं (Coir) को इकट्ठा करना शुरू कर दिया।
अजी बताते हैं, “तीन दीवारों को हमने 2500 बीयर की बोतलों से भरा था। इन सभी को अपने घर, दोस्तों और कबाड़ीवालों से इकट्ठा किया था। बोतलों को बीच से आधा करके, एक दूसरे के ऊपर रखकर उसे मिट्टी और थोड़े से सीमेंट से दीवारों में लगाया गया। इसी तरह से बांस और कॉयर को भी दीवार में चिना गया।” अजी ने बताया कि उन्होंने अपने घर पर पेंट नहीं किया है। वह इसके नैचुरल लुक को बरकरार रखना चाहते हैं।
घर की छत पर सेकंड हैंड टेराकोटा की टाइल्स लगाई गई हैं। ये टाइल्स इलाके के पुराने टूटे घरों से ली गईं। अजी ने वहीं से लकड़ी के टुकड़ों को भी खरीदा और उन्हीं से अपने घर के दरवाजे, खिड़कियां और अलमारियां तैयार करवाईं।
दीवारों पर बनाई सजावटी कलाकृतियां
अजी का यह घर छह महीने के अंदर बनकर तैयार हो गया। इसमें एक लिविंग रूम, दो बेडरूम, रसोई, एक बाथरूम, एक अटारी यानी बैठने की जगह है और इसे बनाने में तकरीबन 5.5 लाख रुपये का खर्च आया। इसके अलावा उन्होंने 50,000 रुपये बिजली की फिटिंग, प्लंबिंग और टॉयलेटरीज़ पर खर्च किए हैं।
अजी ने बताया, “जुलाई में पूरा घर बनकर तैयार हो गया था। मेरी पत्नी घर देखकर काफी खुश है। यह किसी सपने के सच होने जैसा ही है। मेरे बच्चों को तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि यह पूरा घर मिट्टी से बना है। उस मिट्टी से जिसकी उन्होंने भी खुदाई की थी।”
आकाश के दोस्तों की मदद से अजी ने घर के बाहर की दीवारों पर कुछ सजावटी कलाकृतियां भी बनाई हैं। अब वे जल्द ही अपने खुद के सपनों के घर में रहना शुरू कर देंगे। बस इंतजार है, तो बिजली की फिटिंग और प्लंबिंग का काम पूरे होने का।
मूल लेखः रौशनी मुथुकुमार
संपादनः अर्चना दुबे
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