एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में, वैक्सीन प्रशासन के राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि भारत में बच्चों के लिए टीकाकरण सितंबर तक शुरू हो जाएगा। उन्हें Zydus Vaccine लगाई जाएगी, जिसे 12 से 18 साल के बच्चों के लिए बनाया गया है।
डॉ. अरोड़ा ने कहा, “कोरोनो वायरस महामारी, स्कूल जाने वाले बच्चों की शिक्षा में एक बड़ी बाधा रही है। ऐसे में, इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए टीकाकरण काफी जरूरी है। उम्मीद है कि बच्चों के लिए Zydus वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति (EUA) कुछ हफ्तों में आ जाएगी।
यह खबर, अपने बच्चों को लेकर चिंतित सभी भारतीय माता-पिता के लिए काफी राहतभरी है। क्योंकि, देश में कोविड की संभावित तीसरी लहर को लेकर अभिभावकों में काफी डर है कि कहीं उनके बच्चे इसकी चपेट में ना आ जाएं।
बच्चों के लिए बनी, Zydus वैक्सीन से जुड़े 8 जरूरी तथ्यः
- ZyCoV-D एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है, जो शरीर में इंजेक्ट होने के बाद, SARS-CoV-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन पैदा करता है। ऐसा करने से, इसे एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) मिलती है, जो मानव शरीर को बीमारी से बचाने के साथ-साथ, वायरल क्लियरेंस में भी अहम भूमिका निभाता है।
- ZyCoV-D सुइयों के उपयोग के बिना दिया जाता है। इसे तीन खुराकों में दिया जाना है – दूसरी और तीसरी खुराक, पहले दिन के क्रमशः 28वें और 56वें दिन दिया जाना है।
- यह, अन्य टीकों की तरह सुइयों से मांसपेशियों में 1.5 इंच की गहराई तक नहीं लगाया जाता। सुई-मुक्त इंजेक्टर्स से, इसे त्वचा के नीचे सिर्फ 1 मिमी तक लगाया जाता है।
- ZyCoV-D की खुराक, अन्य COVID-19 टीकों की खुराक (0.5 मिली) की तुलना में कम (0.1 मिली) है।
- बच्चों में SARS Cov2 वायरस के खिलाफ, अपने टीके के प्रभाव का टेस्ट करने के लिए, अहमदाबाद स्थित Zydus Cadilla, एक हजार बच्चों के साथ, 40 से अधिक केंद्रों में क्लिनिकल परीक्षण कर रही है।
- अभी तक, Zydus Cadilla की उत्पादन क्षमता प्रति माह, 15 मिलियन खुराक की है। फिलहाल कंपनी, उत्पादन क्षमता को और अधिक बढ़ाने के लिए काम कर रही है।
- बच्चों पर टीके के परीक्षण को लेकर कंपनी के बयान के अनुसार, “सहनशीलता प्रोफ़ाइल, अडल्ट पॉप्यूलेशन के जैसी ही देखी गई। टेस्ट के दौरान अंतरिम विश्लेषण में रोगसूचक आरटी-पीसीआर पॉजिटिव केसेस के लिए 66.6% की प्राथमिक प्रभावकारिता प्राप्त की गई है।
- बच्चों पर टीके के परीक्षण को लेकर कंपनी के बयान के अनुसार, “वैक्सीन की तीसरी खुराक देने के बाद, COVID-19 का कोई केस नहीं देखा गया, जिससे पता चलता है कि यह वैक्सीन, बीमारी के खिलाफ 100% असरदार है। वैक्सीन की दूसरी खुराक के बाद, वैक्सीन आर्म में COVID-19 के कारण कोई गंभीर मामला या मृत्यु नहीं हुई।
“मील का पत्थर साबित होगी यह सफलता”
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCA) से EUA की मंजूरी के बाद, ZyCoV-D भारत में उपयोग के लिए अधिकृत 5वीं COVID-19 वैक्सीन बन जाएगी। पहले से स्वीकृत COVID-19 टीकों में, एस्ट्राजेनेका -सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक, मॉडर्ना और रूस के गमालेया संस्थान के टीके शामिल हैं।
कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, डॉ. शरविल पटेल ने लाइवमिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “यह सफलता वैज्ञानिक नवाचार और टेक्नॉलॉजी के विकास में एक मील का पत्थर सबित होगी। मानव उपयोग के लिए दुनिया के पहले प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन के रूप में, ZyCoV-D ने साबित कर दिया है कि यह बिल्कुल सुरक्षित है। साथ ही, COVID-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में, यह वैक्सीन प्रभावशाली भी है। स्वीकृति मिलने के बाद, यह टीका न केवल वयस्कों, बल्कि 12 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के किशोरों की भी मदद करेगा।
दिलचस्प बात यह है कि जाइडस की स्थापना एक पूर्व फार्मा शिक्षक, रमनभाई पटेल ने 25,000 रुपये की पूंजी निवेश करके की थी। उन्होंने इसे एक किराए के अपार्टमेंट में शुरू किया था। करोड़ों की फार्मा कंपनी की स्थापना की दिलचस्प कहानी पढ़ें यहां।
मूल लेखः संचारी पाल
संपादनः मानबी कटोच
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