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AIIMS ने बनाई नई COVID Testing Kit, सिर्फ रु. 12 में ज्यादा मामलों की हो सकेगी जांच

COVID Testing Kit Developed By AIIMS professor Dr. Vikram Saini Investigates More Case In Rs 12

अभी हाल ही में मेरे एक दोस्त को खांसी-जुकाम के साथ तेज बुखार चढ़ा था। बदन में दर्द और गला भी खराब था। डॉक्टर के पास गए तो उन्होंने कोविड जांच (COVID Testing) के लिए कहा और जरूरी दवाओं का पर्चा उसके हाथ में थमा दिया। उसने दवाएं तो ले लीं, लेकिन टेस्ट नहीं कराया। पूछने पर बोला, ‘वैसे ही इतना खर्चा हो गया है, अब टेस्टिंग पर 800-900 रुपये कौन लगाएगा, दवाएं तो खा ही रहा हूं।’ कोविड है या नहीं, हफ्ते भर तक असमंजस की स्थिति बनी रही। खैर! अब वह ठीक है।

लेकिन देशभर में उसके जैसे न जाने कितने लोग होंगे, जो कोविड-19 टेस्ट (COVID Testing) के महंगे होने की वजह से अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। वे ऐसा कर अपनी जान तो जोखिम में डालते ही हैं, साथ ही और भी कई लोगों तक इस संक्रमण को पहुंचाने का एक कारण बन जाते हैं। 

ऐसा करने की सबसे बड़ी वजह टेस्ट का महंगा होना है। अगर यही टेस्ट सस्ते में हो जाएं, तो अधिकांश लोग शायद ऐसा ना करें। इस हकीकत से चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े रिसर्चर्स और डॉक्टर्स भी बखूबी वाकिफ हैं और यही वजह है कि पिछले दो सालों से सस्ते और सटीक रिजल्ट देने वाले कोविड टेस्टिंग प्रक्रिया (COVID Testing Process) की दिशा में कई प्रोजेक्ट पर काम भी चल रहा है। जिनमें से एक को अभी हाल ही में सफलता मिली है। 

अब ज्यादा सस्ती और बहतर होगी COVID Testing

एम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सैनी ने दावा करते हुए बताया कि वह काफी समय से अपनी टीम के साथ एक नए वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम (VTM) पर काम कर रहे थे। इसके परिणाम काफी अच्छे रहे हैं और इसके जरिए कोविड का पता लगाना भी आसान हो गया है। वर्तमान में RTPCR में जिस वीटीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसकी तुलना में यह बेहतर परिणाम देता है और इसकी कीमत भी काफी कम है।

डॉ विक्रम सैनी, एम्स (नई दिल्ली) में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के लेबोरेट्रीज ऑफ इन्फेक्शन बायोलॉजी एंड ट्रांसलेशनल रिसर्च में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा, “हालांकि कोविड टीके के बाद से कई देश इस वायरस पर कुछ हद तक काबू पाने में कामयाब रहे हैं। लेकिन बार-बार नए वेरिएंट के आने की वजह से चिंता लगातार बनी हुई है। इस संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए ‘टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट एंड वैक्सीनेट’ की रणनीति को अपनाने की जरूरत है।”

डॉ सैनी ने अपनी इस परीक्षण किट (COVID Testing Kit) के बारे में बताया, “हमने अभी तक जो भी स्टडी की है, उसके अनुसार एम्स की वीटीएम टेस्ट किट में संक्रमण को पकड़ने की दर 70 प्रतिशत ज्यादा है। इससे लक्षण वाले मामलों में संक्रमण का पता लगाने की दर 26 प्रतिशत सुधरी है और बिना लक्षण वाले मामलों में यह सुधार लगभग 50 प्रतिशत है। संक्रमित मरीजों का पता लगाने में इसकी उच्च संवेदनशीलता के कारण हम अपने वीटीएम को ‘सुप्रासेंस’ या एसएसटीएम कहते हैं। इसके अलावा एसटीएम, सैंपल कलेक्शन के समय ही वायरस को मार देता है।”

The newly developed COVID-19 testing kit.

क्या है इस नई किट की खासियत 

डॉ सैनी इस नई किट की विशेषताएं बताते हुए कहते हैं, “आमतौर पर जब टेस्टिंग के लिए सैंपल लेते हैं, तो उस समय वायरस सक्रिय होता है। लैब ले जाते समय वायअल टूटे नहीं या फिर इसमें रिसाव न हो, इसका खास ख्याल रखना पड़ता है।” दरअसल सैंपल में जिंदा और सक्रिय वायरस की वजह से इसके साथ रिस्क ज्यादा है। इसलिए लैब तक लाने, ले-जाने के लिए विशेष पैकेजिंग की जरूरत होती है और इसी वजह से इसे कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है- जिसका मतलब है सैंपल के लिए दो से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान बनाए रखना। 

उन्होंने आगे बताया, “इसके अलावा लैब में भी कई चीजों का होना जरूरी है। लैब में बायोसेफ कैबिनेट के साथ-साथ सैंपल की जांच करते समय सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए। लेकिन ये सब बड़े शहरों में ही संभव है। छोटे शहरों और कस्बों में इन सभी सुविधाओं का होना और उन्हें लागू कर पाना काफी मुश्किल काम है।”

डॉ सैनी ने कहा, “इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए, नए वीटीएम पर काम किया गया है। इस प्रक्रिया में सैंपल लेते समय ही वायरस को मार दिया जाता है। इसलिए कोल्ड स्टोरेज की भी जरूरत नहीं पड़ती, जिससे इसकी लागत कम हो जाती है। छोटे शहरों या कस्बों में, जहां बिजली का आना-जाना लगा रहता है, वहां एम्स वीटीएम परीक्षण किट (COVID Testing Kit) काफी उपयोगी है।”

सिर्फ 12 रुपये में हो सकेगी जांच

डॉ सैनी का कहना है कि उन्होंने इस वीटीएम के जरिए 40 डिग्री सेल्सियस और उससे ऊपर के तापमान पर भी सैंपल का परीक्षण किया है। इसके परिणाम बेहतर रहे। हमें इसे रखने के लिए कोल्ड चेन की जरूरत नहीं पड़ी। सैंपल को हफ्ते भर तक सुरक्षित रखा गया। सैंपल लेते समय, शुरुआती स्टेज में वायरस को मार देना एक बड़ी उपलब्धि है।”

इस किट के परीक्षण (COVID Testing Kit) के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) से भी समर्थन मिला है। डॉक्टर सैनी कहते हैं, “हमने एक मरीज से दो सैंपल लिए। एक सैंपल के परीक्षण के समय सुरक्षा के सभी प्रोटोकोल का पालन और कोल्ड चेन का प्रयोग किया गया। वहीं, दूसरे सैंपल के लिए हमने अपने यहां बनी किट का इस्तेमाल किया। हमें इस दौरान, तापमान की चिंता करने की जरूरत नहीं थी। परीक्षणों से साबित हो गया कि एसवीएम किट से मिले परिणाम ज्यादा बेहतर थे। हमने 220 मरीजों पर यह परीक्षण किया था।”

डॉक्टर सैनी ने 2020 में एम्स की ओर से किट के पेटेंट के लिए अर्जी दी थी। उन्होंने बताया कि लैब में अब इस किट को भी साथ रखा जा रहा है। वह कहते हैं, “समय की जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह किट पहुंचे, ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके। अगर इस किट का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाए, तो इसकी कीमत घटकर 12 रुपये से भी कम रह जाएगी। यह एक गेम चेंजर साबित होगा।”

मूल लेखः विद्या राजा

संपादनः अर्चना दुबे

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