दार्जिलिंग, कुर्सियांग और कलिम्पोंग नाम सुनकर सबसे पहला ख्याल मन मोह लेने वाले दृश्य और बेहतरीन स्वाद वाली चाय का ही आता है। लेकिन इन ख़ूबसूरत जगहों के पास चाय और पहाड़ों के अलावा भी बहुत कुछ है। दो साल पहले दार्जिलिंग के रहने वाले, 30 साल के संजोग दत्ता ने कुछ ऐसा ही महसूस किया। संजोग दार्जिलिंग जिले के कुर्सियांग शहर के मूल निवासी हैं और पूर्व पत्रकार तथा राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं। अलग-अलग शहरों में काम करने वाले संजोग, जब भी कुर्सियांग में मिलने वाली ख़ास चीज़ों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ढूंढते, तो उन्हें यहाँ की चाय के अलावा और कुछ नहीं मिलता। पर, संजोग जानते थे कि उनके अपने पहाड़ों पर चाय के अलावा भी ऐसा बहुत कुछ है, जो हर भारतीय तक पहुंचना चाहिए, जैसे थुकपा (thukpa) और ग्लास नूडल्स!
इसलिए उन्होंने Daammee नामक एक छोटा सा ऑनलाइन प्लेटफार्म शुरु किया, जो दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी की पहाड़ियों में स्थित कॉटेज इंडस्ट्री के विभिन्न उत्पादों को अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से पूरे भारत में ग्राहकों तक पहुँचाता है। हालांकि, इस व्यवसाय को शुरु करने के पीछे एक और कारण था।
इसके बारे में संजोग ने द बेटर इंडिया को बताया, “पिछले साल लॉकडाउन की घोषणा के तुरंत बाद, मुझे महसूस हुआ कि पहाड़ों के कॉटेज इंडस्ट्री (कुटीर उद्योग) गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। दूर-दराज में रहने वाले कुछ परिवारों को खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। मैं सोचने लगा कि कैसे हम उन्हें एक मंच दें, जो उनके उत्पाद को बड़े बाजार तक पहुँचने में मदद करे। हमने इस संबंध में कुछ लोगों से बात की।”
COVID-19 महामारी के बीच, 24 मई 2020 को इस प्लेटफार्म की स्थापना की गई। ‘दम्मी’ एक नेपाली शब्द है जिसका मतलब है ‘बेहतरीन’। इस नए व्यवसाय में उनकी माँ, रचना दत्ता सहायता कर रही हैं, जो एक शिक्षिका रह चुकी हैं।
पहाड़ों का स्वाद
संजोग ने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की है। महामारी के बीच एक व्यवसाय शुरू करना संजोग के लिए चुनौतियों से भरा हुआ था।
वह बताते हैं, “खासकर लॉजिस्टिक्स का पता लगाना निश्चित रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा था, क्योंकि हमें देश भर के ग्राहकों का ध्यान रखना था। इसमें कोई शक नहीं कि हमारा बिजनेस छोटा था और हमारे पास खुद को मार्केट करने के लिए बड़ा बजट नहीं था। कुछ सप्लाई चेन के मुद्दे भी थे। ग्राहकों के फीडबैक के बाद, हमने उनमें से अधिकांश का समाधान निकाल लिया।”
ऐसे में आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि दम्मी के पास ग्राहकों के लिए क्या है? इसके बारे में संजोग बताते हैं, “हमारे पास पहाड़ी इलाकों के कई उत्पाद हैं, जिसमें भोजन से लेकर सजावट के सामान और नेपाली सांस्कृतिक परिधान शामिल है। सूची हर हफ्ते बढ़ती है। खाने की चीज़ों के बारे में बात की जाए, तो उसमें भी कई चीज़ें उपलब्ध हैं, जैसे डले (प्रसिद्ध गोल मिर्च), चीनी सॉसेज (लैप चॉन्ग), गुंड्रुक (फर्मेंट किया हुआ पत्तेदार हरी सब्जी और नेपाल में एक लोकप्रिय भोजन), स्मोक्ड पोर्क, मटन अचार, एक्सोन (किनमा) , छुरपी चीज़ (हिमालयी क्षेत्र में खाया जाने वाला पारंपरिक पनीर), थुकपा और ग्लास नूडल्स। सबसे ज्यादा मांग वाले उत्पादों में मीट अचार, कलिम्पोंग नूडल्स, टिटौरा (लोकप्रिय नेपाली स्नैक) और चूरूपी हैं। हम उन्हें मुख्य रूप से कलिम्पोंग, दार्जिलिंग और कुर्सियांग से लाते हैं, लेकिन उन्हें अलग-अलग शहरों में भेजते हैं। ”
उनका ध्यान मुख्य रूप से इस क्षेत्र के छोटे कुटीर उद्योगों पर है। वह आगे बताते हैं, “हम इन उत्पादों को सीधे उन लोगों से खरीदते हैं, जो इन्हें अपने हाथों से बनाते हैं। फिर, हम इसे अपने गोदाम में लाते हैं। हम उन उत्पादों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करते हैं। इसके बाद, इन उत्पादों को पैक कर, हम इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजते हैं। उत्पादों के अलावा, पैकेजिंग के लिए भी हमें काफी प्रशंसा मिली है। हम अपने 90% आइटम पूरे भारत में शिप करते हैं। फिलहाल कोल्ड-कट ( पहले से पका हुआ ठंडा मीट ) हम कोलकाता और सिलीगुड़ी में ही होम डिलिवर करते हैं। हमारा सबसे बड़ा बाजार निश्चित रूप से मेट्रो शहरों का है।”
घर की याद
संजोग कहते हैं कि पत्रकार से राजनीतिक सलाहकार और अब एक बिज़नेसमैन बनने तक के सफर में, उन्हें परेशानियों का कम ही सामना करना पड़ा। उनका मानना है कि उनके लिए काम करने के अंदाज में ज़्यादा बदलाव नहीं आया है। एक पत्रकार के रूप में, वह कहानियों के पीछे भागते थे और आज वह उत्पाद के आधार पर अपनी कंपनी का विस्तार करने के लिए अलग-अलग सप्लायर्स के पीछे भागते हैं। इस बिज़नेस को चलाने के लिए फिलहाल, उनके साथ 12 लोगों की टीम है।
संजोग कहते हैं, “लेकिन जो चीज हमें संतुष्टि देती है, वह यह है कि हमारे ग्राहक उन परिवारों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, जो दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और कुर्सियांग के दूरदराज इलाकों में रहते हैं। शायद वे चेन्नई या बेंगलुरु या मुंबई का दौरा करने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन उनके उत्पाद अब इन शहरों में हजारों घरों तक पहुँच रहे हैं।”
मुंबई के एक शेफ, विराफ पटेल ने दिसंबर 2020 के फेसबुक पोस्ट में दम्मी के लिए अपने अनुभव साझा करते हुए कहा था: “सबसे लंबे समय तक हमें परिवार और दोस्तों के घर जाने का सौभाग्य मिला, जो हमें डले और अन्य सुंदर नेपाली चीजें लाकर देते थे। मैंने नेपाल से एक अच्छे दोस्त के माध्यम से daammee.in के बारे में जाना और ऑर्डर किया। हालांकि इन चीज़ों को हम तक पहुँचने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना पड़ा (COVID-19 प्रोटोकॉल के कारण)।”
Daammee के फ़ेसबुक पेज पर दिए गए रिव्यू को देखकर एक पहलू सामने आता है कि कैसे प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध उत्पाद, लोगों को घर की याद दिलाते हैं।
एक अन्य Daammee ग्राहक अनुराधा प्रधान थापा का कहना है, “मैंने ड्राई बफ पिकल ऑर्डर किया था, जो लाजवाब निकला। वही कुरकुरापन, वही स्वाद और मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं अपने शहर में वापस आ गई हूँ।”
बहुत ही कम समय में, Daammee ने सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में काफी नाम कमाया है। इसके बारे में संजोग कहते हैं, “मुझे लगता है कि सबसे बड़ा योगदान हमारे ग्राहकों का है। हमारा मुख्य ग्राहक आधार मेट्रो शहरों से है, जहाँ ऐसी चीज़ें उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, हमारे लगभग सभी उत्पाद, पूरी तरह से गुणवत्ता की जाँच से गुजरते हैं। हमारे सप्लयार्स शुरू से ही बहुत सहायक रहे हैं। हाँ, मैं यह मानता हूँ कि कुछ ऑर्डर्स के साथ मामूली खामियां रही हैं, लेकिन हम इस पर लगातार काम कर रहें हैं और इसे हर तरह से बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”
संजोग का व्यापार अच्छा चल रहा है। वह कहते हैं, “हमारी बिक्री ने 20 लाख रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है। हालांकि यह आंकड़ा एक कंपनी के लिए बड़ा लगता है, जो मुश्किल से 10 महीने पहले चालू हुआ है, लेकिन 3% से भी कम मुनाफा हमारे हाथ आया है। जहाँ तक कोल्ड-कट की बात है, तो हम शुरू में उन्हें केवल सिलीगुड़ी में डिलिवर कर रहे थे। हमने इस महीने से कोलकाता तक विस्तार किया है, जहाँ हम ऑर्डर देने के 24 से 48 घंटों के भीतर आइटम डिलीवर करते हैं। हमारी नजर दूसरे राज्यों पर भी है, और हम लगातार समान विचारधारा वाले साझेदारों की तलाश कर रहे हैं।”
मूल लेख- रिनचेन नोरबू वांगचुक
संपादन- जी एन झा
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