2023 में हम आपके लिए प्रेरणा से भरी ढेरों कहानियां लेकर आए, जिसने न सिर्फ आपका दिल छू लिया बल्कि कइयों के लिए प्रेरणा भी बनीं। साल के आखरी पड़ाव पर द बेटर इंडिया आपको मिलवाने वाला है इंसानियत के उन पांच हीरोज़ से जो अपने काम से बुजुर्गों, बेजुबानों और जरूरतमंदों की जिंदगी आसान बना रहे हैं।
चलिए मिलते हैं, 2023 के उन हीरोज़ से जिन्होंने जीता आप सभी दिल।
1. राकेश पंचाल
खेड़ा, गुजरात के एक बिज़नेसमन मनुभाई पंचाल सालों से अपने आस-पास के जरूरतमंद लोगों की मदद और राहगीरों को पानी पिलाने जैसे काम करते थे। लेकिन, पांच साल पहले उनका निधन हो गया। पिता के निधन के बाद उनके बेटे राकेश पंचाल ने उनकी दुकान को तो संभाला ही, साथ ही उनके सेवा काम को अपना कर कइयों के लिए मिसाल बन गए।
आज उनकी संस्था ‘विसानो परिवार’ से टिफिन का लाभ 500 से अधिक लोग उठा रहे हैं। यह सब कुछ मुमकिन हो पाया राकेश की सोच और उनके पिता की दी सीख की वजह से।
2. आशा राजपुरोहित
गुजरात के डीसा में ‘सुदामा वृद्धाश्रम’ चला रहीं, 30 साल की आशा राजपुरोहित ने यहाँ रहनेवाले 22 बुजुर्गों की सेवा के लिए अपने खुद के परिवार, यहाँ तक कि बेटे को भी खुद से दूर कर दिया, ताकि वह अपना पूरा जीवन ओल्ड एज होम में रह रहे बुज़ुर्गों की सेवा में लगा सकें। आज वह यहां इन बुजुर्गों का परिवार बनकर रहती हैं।
दरअसल, इस ओल्ड एज होम की शुरुआत 14 साल पहले उनके पिता कांतिलाल राजपुरोहित ने की थी। उन्होंने आस-पास के बेसहारा और दिव्यांग बुजुर्गों की सेवा के लिए इस आश्रम की शुरुआत की थी। करीबन 10 साल अपने दम पर आश्रम चलाने के बाद उनका निधन हो गया। अपने आखिरी समय में उन्होंने इस आश्रम को चलाने की जिम्मेदारी अपनी बेटी, आशा को सौंपी थी।
3.निहारिका राणा
गाजियाबाद की 25 साल की निहारिका राणा पिछले तीन साल से जानवरों को रेस्क्यू कर रही हैं। बेजुबानों की मदद के लिए उन्होंने खुद के दम पर एक अभियान की शुरुआत की है। आज वह ‘निहारिका राणा फाउंडेशन’ नाम से एक संस्था चला रही हैं और इसके तहत वह रोज खुद 100 से अधिक बेजुबानों को खाना खिलाती हैं।
इतना ही नहीं उन्होंने इन तीन सालों में 500 घायल जानवरों को रेस्क्यू भी किया है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह सारे काम वह अपनी फुल टाइम जॉब के साथ करती हैं और इन कामों में अपनी आधे से ज्यादा सैलरी भी लगा देती हैं।
4. खुशी पाण्डेय
लखनऊ की रहनेवाली 23 साल की खुशी पाण्डेय साइकिल्स पर लाइट लगाने का अनोखा काम कर रही हैं, ताकि साइकिल सवारों को हादसों से बचाया जा सके।
वह अपनी संस्था ‘सपनों की उड़ान फाउंडेशन’ के ज़रिए प्रोजेक्ट उजाला नाम से यह मुहिम चला रही हैं और रात को खुद घूम-घूमकर बिन लाइट वाली साइकिल में लाइट लगाती हैं। खुशी पिछले छह सालों से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं और अब तक वह 1500 से ज़्यादा साइकल्स पर फ्री में लाइट लगा चुकी हैं।
5. सुमन मैडल मेहरा
राजस्थान की सुमन मैडल मेहरा की शादी महज 14 साल की उम्र में हो गई थी। परिवार में आर्थिक किल्लत थी, लेकिन सुमन इन तमाम मुश्किलों के बीच भीपढ़ाई करके नर्स बनीं, ताकि आत्मनिर्भर हो सकें और आज नर्स बनकर सुमन न सिर्फ आत्मनिर्भर बनीं हैं, बल्कि समाज के बेसहारा बीमार लोगों को मदद पहुंचाने के लिए मुहिम भी चला रही हैं।
सुमन हनुमानगढ़, राजस्थान में मानव सेवा आश्रम नाम से एक शेलटर होम चला रही हैं। इस आश्रम में आज 50 ऐसे जरूरतमंद लोग रहते हैं जो अपने परिवार से दूर हैं और बीमारी में उनका ख्याल रखने वाला कोई नहीं है। सुमन न सिर्फ इन सबकी एक बेटी और माँ बनकर सेवा कर रही हैं और बल्कि इनके इलाज से लेकर खाने-पीने तक की सारी जरूरतों को भी फ्री में पूरा कर रही हैं।
इसके अलावा भी कई कहानियां थीं, जिसे साल 2023 में आप लोगों का ढेर सारा प्यार मिला। 2023 की तरह 2024 में भी हम इंसानियत और प्रेरणा से भरी दिल छूने वाली कहानियां लेकर आते रहेंगे।