एक बार फिर, एक और साल निकल गया, हम एक साल और आगे बढ़ गए अपने जीवन में, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं, जिन्होंने कुछ छोटे, तो कुछ बड़े प्रयास कर, हम सभी का दिल जीत लिया। पर्यावरण को आने वाली पीढ़ी के लिए संजोने का प्रयास कर रहे, हमारे कुछ रियल लाइफ हिरोज़ के इन प्रयासों को आपने भी खूब सराहा। चलिए मिलें 5 ऐसे लोगों से, जिन्होंने पर्यावरण का ध्यान रखकर बनाएं बेहतरीन ईको-फ्रेंडली घर और होमस्टे।
1. सनीमीड होमस्टे
दिल्ली की माधवी भाटिया अच्छी-खासी नौकरी छोड़, हिमाचल आ बसीं और अपने पैतृक घर को एक ईको-फ्रेंडली होमस्टे में बदल दिया। 200 साल पहले पत्थर और मिट्टी से बनाए गए शिमला के सबसे पुराने घरों में से एक सनीमीड होमस्टे यहाँ की प्राचीनता व संस्कृति को दर्शाता है।
इस घर को प्राचीन भारतीय धज्जी देवारी तकनीक से बनाया गया है, जो आज के ज़माने में बहुत कम देखने को मिलती है।
2. Red Soil Stories
अपनी खान-पान की संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र के शिरीष और पूजा गावस शहर का जीवन छोड़कर कोंकण में अपने गाँव तुमदार आ बसे और अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया!
गाँव के लोगों और उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी से उन्होंने सीख लेकर खुद तो इसे अपनाया ही; साथ ही और लोगों को भी कोंकणी लाइफस्टाइल दर्शाने और इससे जोड़ने के लिए Red Soil Stories नाम से एक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की।
3. चूज़ही
हरियाली से घिरे इस घर को बिना एक भी पेड़ काटे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह प्रकृति का ही हिस्सा लगता है! तमिलनाडु के शूलागिरि गाँव में स्थित इस घर को अवार्ड विनिंग आर्किटेक्ट वीनू डेनियल ने प्लास्टिक की 4000 बोतलों और मिट्टी से बनाया है।
मलयालम में ‘चूज़ही’ का अर्थ होता है ‘घुमावदार’, जैसा कि इस घर का लुक भी है। इसकी शीशे से बनी छत यहाँ रहने वालों को प्रकृति के और भी ज़्यादा करीब होने का अनुभव कराती है। इसके नीचे बैठकर आसमान में टिमटिमाते हज़ारों सितारों को निहारा जा सकता है। यह घर खूबसूरत होने के साथ-साथ काफ़ी सुकून देने वाला भी है।
4. गाय के गोबर से बना पंजाब का इको-फ्रेंडली घर
आपने कंक्रीट के बने हुए मकान बहुत देखे होंगे, शायद मिट्टी और बांस के घर भी देखे हों.. लेकिन क्या कभी देसी गाय के गोबर से बना हुआ घर देखा है? ऐसा माना जाता है कि कई प्राकृतिक चीज़ों की तरह ही शुद्ध गाय के गोबर में भी कई गुण होते हैं। यही वजह है कि पुराने ज़माने में हमारे बड़े-बुज़ुर्ग इसका कई तरह से इस्तेमाल किया करते थे।
गाँवों में घरों की दीवारों और फ़र्श को आज भी गोबर से लीपा जाता है और रसोईघर में इसका पोछा लगाया जाता है; लेकिन सोचिए गोबर से शहर में एक पक्का, बड़ा और मज़बूत घर खड़ा कर देना कितना अनोखा है न! यह अद्भुत काम किया है पंजाब के लुधियाना शहर में रहने वाले डॉ. वीरेंदर सिंह भुल्लर ने।
5. Pugdundee Safaris Camp
पगडंडी सफारीज़ के को-फाउंडर्स मानव खंडूजा और श्यामेंद्र सिंघारे ने प्रकृति से लगाव और प्यार के चलते साल 1986 में मध्य प्रदेश के पन्ना नेशनल पार्क में कुछ टेंट्स लगाकर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी और आज यह Pugdundee Safaris Camp एक या दो नहीं, बल्कि हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसी 7 अलग-अलग जगहों पर जगलों के बीचो बीच बने हैं।
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