कहते हैं, एक कलाकार हमेशा समय से आगे की सोचता है। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के रहने वाले मुमताज़ खान ‘आर्टिस्ट'(Mumtaz Khan Artist) ने भी करीब 35 साल पहले ऐसा ही कुछ किया। उस वक्त जब काम करने के लिए बहुत कम महिलाएं घरों से बाहर निकलती थीं, खासकर छोटे शहरों में। तब इस कलाकार ने कई जरूरतमंद लड़कियों और महिलाओं को हुनरमंद बनाने और रोज़गार से जोड़ने का बीड़ा उठाया। तो आइए आपको बताते हैं, विश्व पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेता मुमताज़ खान की कहानी।
71 वर्षीय मुमताज़ खान का जन्म उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में हुआ। मुमताज वैसे तो 12वीं पास हैं, लेकिन उनकी कला और सोच दोनों ही बेहद कमाल की हैं। बचपन से ही उन्हें पेंटिंग का शौक़ था। लेकिन तब उन्हें भी अंदाज़ा नहीं था कि एक दिन वह विश्व पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लेंगे और विजेता चुने जाएंगे।
घर चलाने के लिए बेचने लगे थे पेंटिंग
एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में मुमताज़ के पिता घर बनाने का काम करते थे। बड़ा परिवार और घर की ज़रूरतों को देखते हुए मुमताज़ ने काफी कम उम्र में ही एक दुकान खोल ली, जहां वह पेंटिंग्स बनाकर बेचा करते थे। उन्हें संगीत बहुत पसंद था, तो वह रेडियो पर गाना सुना करते थे। उन्होंने एक क्लब बनाया था, जिसका नाम गोल्डन नेशनल रेडियो क्लब था। यहां कई दूसरे देशों की खबरें भी सुना करते थे। साथ ही, संगीत कार्यक्रमों में गानों की फरमाइश भी करते थे।
मुमताज़ खान ने बताया, “एक दिन ऐसे ही पेंटिंग बनाते हुए, रेडियो पर जापान का समाचार सुन रहा था। NHK (Nippon Hoso Kyokai) रेडियो, जिसका अर्थ है जापान ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन, के ज़रिए मुझे पता चला कि जापान में विश्व पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। मैंने तुरंत भाग लेने का प्रॉसेस पता किया। तब इंटरनेट का जमाना नहीं था और छोटे से शहर में बड़ी मुश्किलों से सारी जानकारी इकट्ठा की।”
इसके बाद प्रॉसेस के तहत, उन्होंने एक पेंटिंग बनाकर दिल्ली में जापान एंबेसी को भेजा। वहां उनकी पेंटिंग को सिलेक्ट कर लिया गया और उन्हें एंबेसी में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और इस तरह मुमताज़ की कला भी छोटे-से शहर से निकलकर जापान जा पहुंची।
भारत को दिया गौरव का क्षण
मुमताज़ ने बताया, “हिरोशिमा और नागासाकी पर 6 अगस्त 1945 को हुए परमाणु बम हमले की 50वीं वर्षगांठ पर, इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। 2 से 6 अगस्त 1985 तक के लिए यह प्रोग्राम था। वहां मैंने जो पेंटिंग बनाई, वह विश्व शांति पर आधारित थी। उस समय वहां दुनियाभर से आए करीब 44,000 कलाकार अपनी बेहद शानदार पेंटिंग्स के साथ, विजेता के नाम की घोषणा का इंतज़ार कर रहे थे।”
उन्होंने कहा, “वह बहुत रोमांचित कर देने वाला क्षण था। मेरे लिए तो यही बड़ी बात थी कि मैं वहां तक पहुंचा। लेकिन जब विजेता के नाम की घोषणा हुई और नाम लिया गया ‘आर्टिस्ट मुमताज़ खान’। मैं बिल्कुल अचंभित था, मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मैंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और विजेता रहा, बहुत गौरवपूर्ण क्षण था वह।”
इसके बाद उन्हें जापान में बहुत सारे ऑफर मिले। इसके बारे में मुमताज़ खान ने बताया, “वहां मुझे कहा गया कि आप बहुत अच्छे कलाकार हैं, यहीं रुकिए और हमारे लिए काम किजिए। तब मैनें उन्हें कहा कि मैं अपने देश और वहां के लोगों के लिए ही काम करना चाहता हूं। मैं अपने देश का नाम रोशन करुंगा, आपके लिए काम करके आपका नहीं।” उनके उस जवाब से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी बेहद खुश हुए और उन्हें बधाई भी दी। इसके अलावा, तब इलाहाबाद से सांसद व अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी बधाई दी। जब मुमताज़ वहां से वापस भारत आ गए, तो कुछ दिन बाद जापान से एक टीम मऊ आई और एक शॉर्ट फिल्म शूट करके ले गई। जिसे कई देशों में दिखाया गया। इसके बाद उन्हें दिल्ली, सूचना मंत्रालय बुलाया गया और सम्मानित भी किया गया।
महिलाओं के लिए शुरू की संस्था
मुमताज खान ने फैसला किया कि वह मऊ में ही रहकर यहां की महिलाओं को हुनरमंद बनाएंगे। तब मऊ में महिलाओं के विकास और उनके स्किल डेवलपमेंट के लिए कोई संस्थान नहीं था। साल 1985 में ही, उन्होंने ‘ललित कला प्रशिक्षण विकास परिषद’ के नाम से एक संस्था शुरू की। जहां उन्होंने पेंटिंग सिखाना शुरू किया। गरीब लड़कियों व महिलाओं को वह फ्री सिखाया करते थे और जो आर्थिक रुप से मजबूत परिवारों से थे उनसे फीस लिया करते थे।
उनकी संस्था सिर्फ पेंटिंग ही नहीं, बल्कि सिलाई, कढ़ाई, ब्युटिशियन कोर्स, मेहंदी, संगीत, पब्लिक स्पिकिंग, आदि भी सिखाती है। इसके अलावा महिला सुरक्षा को देखते हुए कराटे, ताइक्वांडो जैसे आर्ट्स भी सिखाए जाते हैं। अब तक वह इस संस्था में करीब 25 से 30 हज़ार महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुके हैं। जिनमें से कोई लंदन में जाकर पेंटिंग बना रहा है, तो कुछ भारत में ही कमाल कर रहे हैं।
उनकी संस्था से ट्रेनिंग लेकर कई महिलाएं, आज अलग-अलग क्षेत्र में अच्छे मुकाम पर हैं। कई महिलाएं तो स्वरोजगार से जुड़ गईं। किसी ने अपना पार्लर खोला, तो किसी ने बुटिक। इससे उन महिलाओं का आत्मबल तो बढ़ा ही, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया। जिन महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। आज वह घर चला रही हैं। मुमताज़ खान के प्रयास ने महिलाओं को सम्मान और स्वाभिमान दोनों का महत्व समझाया है।
महिलाओं को घर से बाहर लाना थी चुनौती
मुमताज़ खान ने बताया, “शुरू-शुरू में तो बहुत परेशानी हुई। लोग अपनी बच्चियों और महिलाओं को बाहर निकलने ही नहीं देते थे। फिर मैंने घर-घर जाकर पेंटिंग सिखाना शुरू किया। स्कूल के बच्चों के लिए चार्ट्स बनाता था। धीरे-धीरे उनके घर वालों को समझाना शुरू किया। मऊ में जब भी कोई अधिकारी का ट्रांसफर होकर आता था, तो उनके घर की महिलाओं को भी पेंटिंग सिखाता था। सालों तक मेहनत करने और समझाने के बाद संस्था में लोग आने लगे।”
आज के समय में मुमताज़ खान की संस्था एक साल में, कम से कम 500 लोगों को ट्रेनिंग देती है। इसके अलावा ललित कला में अलग-अलग ट्रेनिंग के लिए महिला टीचर्स भी हैं। यह संस्था महिलाओं को स्किल डेवलपमेंट और रोज़गार देने के साथ-साथ, समाज कल्याण के लिए भी काम करती है। समय-समय पर सफाई अभियान, महिलाओं द्वारा बनाई गई चीज़ों की प्रदर्शनी और अन्य कई कार्यक्रम भी कराती रहती है।
बिना सरकारी सहयोग के चला रहे संस्था
कमाल की बात तो यह है कि 35 सालों से चल रही इस संस्था को आज तक सरकार या स्थानीय प्रशासन से कोई सहयोग प्राप्त नहीं हुआ है। मुमताज़ खान ने कहा, “पिछले 35 सालों से, मैं यह संस्था चला रहा हूँ। पहले यहां अक्सर त्योहारों पर दंगे हो जाया करते थे। हमारी संस्था की महिलाएं शांति बनाए रखने के लिए गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले जाकर पीस मीटिंग किया करती थीं। शांति से त्योहार संपन्न होने के बाद, साल के अंत में हमने ही पुलिस प्रशासन को सम्मानित कर, उनके सम्मान में कार्यक्रम करके उनका मनोबल बढ़ाया। लेकिन हमें कभी किसी ने कोई सहायता नहीं दी।”
यह संस्था, इससे जुड़ी महिला पदाधिकारियों और मुमताज़ खान के आर्थिक सहयोग से ही चलती है। मजबूती से काम कर रही इस संस्था की सफलता के साथ-साथ इससे लोग जुड़ते गए। आज समाज के कई लोग इस संस्था के लिए डोनेट करते हैं, ताकि यह निरंतर चलती रहे।
अगर आप भी इस संस्था द्वारा बनाई गई पेंटिंग खरीदना चाहते हैं, यहां कपड़े सिलवाना, कढ़ाई करवाना, मेंहदी लगवाना चाहते हैं या फिर इस संस्था में कुछ सीखना चाहते हैं तो 9415884725 पर संपर्क कर सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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