दक्षिण केन्द्रीय रेलवे ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के गुंतकल रेलवे स्टेशन पर सौर उर्जा और वर्षा जल संचयन के लिए ‘उल्टा छाता’ कैनोपी लगाकर सस्टेनेबिलिटी की तरफ एक अहम कदम उठाया है।
उन्होंने रेलवे स्टेशन के पास छह कैनोपी लगाई है, जो कि उलटे छाते के आकार में है। इन कैनोपी के ऊपर की तरफ सोलर पैनल लगाए गए हैं और नीचे की ओर बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए चैम्बर है। प्रत्येक कैनोपी का साइज़ 5×5 मीटर और वजन लगभग 120 किलो है। एक कैनोपी में 60 हज़ार लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है।
दक्षिण केन्द्रीय रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशन्स ऑफिसर राकेश ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए बताया, “दक्षिण केन्द्रीय रेलवे हमेशा से ही इस तरह के ग्रीन इनिशिएटिव लेने के लिए आगे रहता है। यह भी रेलवे द्वारा की गई सबसे अलग पहल है और इससे हमारे जल-संरक्षण पर चल रहे प्रोजेक्ट्स में तो मदद मिल ही रही है, साथ ही हमारे स्टेशन की खूबसूरती भी बढ़ रही है।”
वे आगे बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट पर दक्षिण केन्द्रीय रेलवे ने लगभग 14 लाख रुपए की राशि खर्च की है। हर एक कैनोपी पर 40 वाट का एलईडी लैंप लगाया गया है, जिसमें लिथियम-आयन बैटरी है। साथ ही, इनमें ऑटोमेटेड सेंसर कंट्रोल और एक मोनोक्रिस्टेलाइन फ्लेक्सिबल पैनल लगाए हैं।
ये हल्के वजन के पैनल सौर उर्जा से चलने वाली बैटरी को चार्ज करते हैं, जिनका इस्तेमाल आपातकालीन स्थिति में किया जा सकता है। इन सभी यूनिट्स में पहले से ही इन्वर्टर लगाया हुआ है।
इसके अलावा इन कैनोपी में जो भी वर्षा जल इकट्ठा होता है, उसमें से कुछ को एक टैंक में स्टोर किया जाता है और बाकी पानी का इस्तेमाल भूजल का स्तर बढ़ाने के लिए होता है। राकेश कहते हैं कि टैंक में स्टोर पानी को साफ़-सफाई और बागवानी के काम में लिया जाता है।
‘उल्टा छाता’ तकनीक को एक ग्रीन टेक्नोलॉजी स्टार्टअप, ‘थिंकफाई’ ने इजाद किया है, जिसकी शुरुआत सुमित चोकसी और उनकी पत्नी प्रिया वकील चोकसी ने की है।
गुंतकल भारत का पहला रेलवे स्टेशन है जहाँ पर ‘उल्टा छाता’ तकनीक को इंस्टॉल किया गया है। बारिश के मौसम में जहाँ ये कैनोपी वर्षा-जल संरक्षण करेंगी, वहीं धूप में सौर पैनल बिजली उत्पादित करेंगे। ‘स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत’ अभियान के तहत प्लास्टिक पर बैन और स्टेशन परिसर में प्लास्टिक बोतल क्रशर लगाने से लेकर गीले कचरे से खाद बनाना और वर्टीकल गार्डन लगाने तक, दक्षिण केद्रीय रेलवे बहुत से हरित कदम उठा रहा है।
उनके ऐसे ही प्रयासों के चलते साल 2017 में सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन को इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल- कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडस्ट्री (IGBC-CII) ने भारत का पहला ‘ग्रीन रेलवे स्टेशन’ होने का टैग दिया। इस स्टेशन परिसर में जैवक खाद का इस्तेमाल करके 408 किस्म के पेड़-पौधे लगाए गए हैं।
Secunderabad Railway Station has been Awarded Platinum Rating
by Indian Green Building Council – Confederation of Indian Industry (IGBC – CII) pic.twitter.com/jcQgsmqk3a— Ministry of Railways (@RailMinIndia) May 23, 2018
स्टेशन पर एक सोलर पॉवर प्लांट भी है जिससे दिन की 2500 यूनिट उर्जा उत्पन्न होती है और इससे स्टेशन की 37% बिजली की मांग की आपूर्ति होती है। इसके अलावा, स्टेशन पर प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीन, बायो-टॉयलेट्स, रेनवाटर हार्वेस्टिंग पिट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी है।
इसी तरह, हैदराबाद के काचेगुडा रेलवे स्टेशन पर भी कम्पोस्ट मशीन और बोतल क्रशिंग मशीन लगाई गई है। कम्पोस्ट मशीन से हर दिन 125 किलो वेस्ट प्रोसेस किया जाता है और क्रशिंग मशीन से 2-3 किलो वेस्ट प्लास्टिक बोतल को क्रश किया जाता है।
बेशक, दक्षिण केन्द्रीय रेलवे की इन पहलों से अन्य रेलवे विभागों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए और पर्यावरण के अनुकूल इस तरह के अच्छे कदम उठाने चाहिए!
संपादन: भगवती लाल तेली
(Inputs from Gopi Karelia)