इस गार्डन में सबकुछ बना है कबाड़ से..
राजस्थान जैसा गर्म इलाका, जहाँ पौधे उगाना मुश्किल है; बाड़मेर के आनंद माहेश्वरी ने हज़ारों पौधे उगाए हैं। वह भी खाली डिब्बों और प्लास्टिक बैग्स में।
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आनंद खुद तो कबाड़ से गार्डनिंग करते ही हैं, आस-पास सभी को कम बजट में गार्डनिंग करना सिखाते हैं। स्कूल में भी वह गार्डनिंग सिखाने जाते हैं।
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40 साल के आनंद के लिए कोरोना के बाद से, गार्डनिंग पार्ट टाइम काम भी बन चुका है।
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उन्होंने अपनी 800 स्क्वायर फ़ीट की छत पर पौधे लगाए हैं।
गर्म मौसम में सीमेंट के गमलें ज़्यादा नहीं चलते थे। इसलिए उन्होंने घर के बेकार डिब्बों में पौधे उगाना शुरू किया...
वह अपने आस-पास की दुकानों से खाली थर्माकोल के डिब्बे भी लेकर आते और उनमें पौधे लगाते।
उन्होंने इंटरनेट पर देखकर अपनी छत पर हाइड्रोपोनिक सेटअप भी तैयार किया है।
अपने घर के बाहरी छज्जे पर रखे पौधों को पानी देने के लिए उन्होंने खुद से ही एक ड्रिप इरीगेशन सिस्टम भी बनाया है।
आनंद ने सोचा भी नहीं था कि उनका यह शौक़ एक दिन उन्हें इतना मशहूर बना देगा और गार्डनिंग के ज़रिए वह लोगों की मदद भी कर सकेंगे।
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हैप्पी गार्डनिंग!
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