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नियमित योग और हेल्दी डायट के बावजूद 33 की उम्र में मुझे हार्ट अटैक हुआ, जानते हैं क्यों?

heart attack survivor

2 सितम्बर 2021 को, टी.वी जगत के जाने-माने अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। यह खबर उनके फैंस ही नहीं, बल्कि हर किसी के लिए शॉकिंग था।
यह खबर दुखद तो है ही, पर साथ ही, डराने वाला भी है। आम तौर पर, हार्ट अटैक को उम्रदराज़ या अपनी सेहत का ध्यान न रखने वालों की बिमारी समझा जाता था। पर, आजकल इस बिमारी का कोई भी शिकार हो रहा है। यहाँ तक कि वे युवा भी, जो हेल्दी डाइट और नियमित कसरत वाली जीवनशैली जीते हैं। ऐसे ही एक युवक से द बेटर इंडिया ने बात की और समझने की कोशिश की, कि फिट होते हुए भी कैसे उन्हें 33 साल की उम्र में हार्ट अटैक हुआ?

“मेरा नाम राम है, पेशे से मैं इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर से जुड़ा हुआ हूँ और एक MNC के साथ काम करता हूँ। मुझसे अक्सर एक सवाल पूछा जाता है कि क्या मेरा काम, तनावपूर्ण है? हार्ट-अटैक का सामना करने के बाद, मैंने लंबे समय तक यह जानने और समझने की कोशिश की, कि क्या मैं अपने काम को तनावपूर्ण कह सकता हूँ या नहीं। मैं एक सामान्य कॉर्पोरेट नौकरी में हूँ और नौकरी के साथ थोड़ा-बहुत तनाव जुड़ा रहता ही है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से मैं नहीं समझता कि मुझे इससे कभी परेशानी हुई।

हार्ट अटैक से एक हफ्ते पहले की तस्वीर

2019 वह साल था, जब मेरे जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए थे। उसी साल मैं पिता बना था। मुझे याद है कि कई लोग मुझसे कहते थे कि बच्चे के जन्म के बाद रूटीन में कई बदलाव करने होते हैं और यह जीवन का हिस्सा होता है। यही वजह है कि मैं खुद के साथ हो रहे बदलाव के साथ आगे बढ़ता गया।

उन दिनों मैं लगातार बेचैन और सुस्त महसूस कर रहा था। मेरी एनर्जी लगातार कम हो रही थी। मुझे लगा कि इसकी वजह नींद की कमी है, जो घर में नवजात बच्चे के होने से, पूरी नहीं हो पा रही थी। मैं एक बार भी यह नहीं सोच पाया कि मेरे शरीर के अंदर हो रहे बदलाव का कारण कुछ और भी हो सकता है।

जिस दिन मुझे दिल का दौरा पड़ा

वह सोमवार का दिन था। अपनी पत्नी और बच्चे के साथ एक अच्छा वीकेंड गुज़ारने के बाद, मैं एक नए सप्ताह के लिए तैयार था। मैं रोज की तरह सुबह लगभग 6.00 बजे उठा और सुबह 7.30 बजे तक मैं काम पर जाने के लिए तैयार हो गया। 9.30 बजे तक मैंने नाश्ता किया। नाश्ते में मैंने दलिया खाई थी, जो मैं अक्सर खाता हूँ। आधे घंटे के बाद मैं अपने दफ्तर पहुँच गया।

वह भोपाल की एक ठंडी सुबह थी, जब मैंने अपनी कार ऑफिस की पार्किंग में खड़ी की और बिल्डिंग की ओर चलने लगा। तभी, मुझे काफी बेचैनी महसूस हुई। मेरी सांस फूलने लगी। मैं अपनी सीट पर बैठ गया और काम करने के लिए अपना लैपटॉप खोल लिया। ये सब करते हुए भी मेरी सांस फूल रही थी और फिर मैं अपनी कुर्सी पर टिककर बैठ गया और ज़ोर-ज़ोर से, ज़्यादा सांस लेने की कोशिश करने लगा। लेकिन कुछ काम नहीं आया।

मेरे बाएं हाथ की घड़ी भारी लगने लगी

मेरा बायाँ हाथ, जिस पर मैंने घड़ी पहनी हुई थी, भारी लगने लगा। इसके तुरंत बाद, मुझे महसूस होने लगा कि जैसे कोई बाएं हाथ में पिन और सुई चुभो रहा है। ऐसा लग रहा था कि मेरी उंगलियां जम गई हैं और मैं उन्हें हिलाने में भी सक्षम नहीं था।

मेरे सहयोगियों का ध्यान मुझ पर गया और उन्होंने देखा कि मैं बेचैन लग रहा हूँ। दफ्तर के डॉक्टर को बुलाया गया और उन्होंने मेरे साथियों से मुझे अस्पताल ले जाने के लिए कहा, क्योंकि मेरा पल्स रेट गिर रहा था। मुझे व्हीलचेयर पर बैठाया गया।

अस्पताल लगभग पंद्रह मिनट की दूरी पर था और वह अवधि मेरे लिए बेहद असहज थी। मैं बेहोशी और चेतना के बीच झूल रहा था, लेकिन इस बीच मैं खुद को लंबी-लंबी सांस लेने के लिए कहता रहा।

इमरजेंसी रूम तक

मैं उन ज़्यादातर सवालों के जवाब दे पा रहा था, जो डॉक्टर मुझसे पूछ रहे थे। यहाँ तक ​​कि मैंने अपने एक सहयोगी को अपना फोन पासकोड भी बताया, ताकि वह मेरी पत्नी को मेरी स्थिति के बारे में बता सकें। सबसे पहले ईसीजी की जाँच हुई और तब पता चला कि मुझे दिल का दौरा पड़ा है।

मुझे ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया और एक इमर्जेंसी सर्जरी की गई। दर्द, जो मेरे बाएं हाथ से शुरू हुआ था, अब मेरे पूरे शरीर में फैल गया था और मुझे लगा जैसे मुझे बिजली का झटका दिया गया हो। शरीर में तीन सबसे महत्वपूर्ण कोरोनरी आर्टरी माने जाने वाले में से एक, LAD आर्टरी पूरी तरह से ब्लॉक हो गयी थी और डॉक्टरों ने सर्जरी के बाद बताया कि जिससे मैं अभी गुज़रा हूँ, वह एक बड़ा दिल का दौरा (हार्ट अटैक) था।

दर्द से भरी सर्जरी

सर्जरी के दौरान, जो दर्द मैंने महसूस किया, वह कुछ ऐसा है जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूँ। सर्जरी के एक-दो घंटे बाद ही, मुझे दर्द से थोड़ी राहत मिली। दो स्टंट थे, जिन्हें एलएडी आर्टरी में रखा गया था।

जब एंजियोग्राफी की गई, तो अन्य ब्लॉकेज भी पाए गए। अन्य आर्टरी में करीब 95 प्रतिशत ब्लॉकेज था और इसलिए मुझे उन ब्लॉकेज को ठीक करने के लिए, जल्द से जल्द एक और एंजियोप्लास्टी कराने की सलाह दी गई।

सर्जरी के बाद, मुझे कई तरह की दवाएं दी गई और अब मैं एक दिन में करीब दस गोलियां खाता हूँ। ब्लड प्रेशर के लिए दवाओं से लेकर कोलेस्ट्रॉल और ब्लड थिनर तक, मुझे कई तरह की दवाएं लेनी पड़ती हैं। सर्जरी से पहले, मैं इनमें से कोई भी दवा नहीं लेता था। 

मैं काफी फिट था

33वें जन्मदिन की फोटो

मेरा वज़न ज़्यादा नहीं था, मैं हमेशा दुबला रहा और यहाँ तक कि दिल का दौरा पड़ने के समय, मेरा बीएमआई 25 पर था, जो चिंताजनक नहीं है। मुझे देखने वाला कोई भी व्यक्ति मुझे अनफिट या ऐसा शख्स नहीं समझता था, जिसे हार्ट अटैक होने की संभावना हो।

हार्ट अटैक होने से एक साल पहले तक, मैं नियमित रुप से जिम जाता था,  ट्रेडमिल पर दौड़ता था और यहाँ तक कि मेरा स्टैमिना भी बहुत अच्छा था। दरअसल हार्ट अटैक से कुछ महीने पहले भी, मैं आराम से बिना किसी परेशानी के छह मंजिल तक सीढ़ियां चढ़ सकता था।

हार्ट अटैक होने के दो महीने पहले तक, मुझे किसी भी तरह के शारीरिक लक्षण, विशेष रूप से सांस लेने या कसरत करने की क्षमता में कमी महसूस नहीं हुई। मैंने स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, वेट और कार्डियो के ज़रिए अच्छा-खासा वज़न कम कर लिया था।

हार्ट अटैक से दो महीने पहले

अगर मैं अभी सोचता हूँ, तो लगता है कि मेरा शरीर कुछ इशारा ज़रूर दे रहा था। छोटे-मोटे काम करने के बाद ही, मैं काफी थक जाता था, जैसे कि अपनी कार से निकलने और दफ्तर की ओर चल कर जाने में हीं मैं काफी थक जाता था।

हालांकि, ज़्यादा चलना नहीं पड़ता था, इसलिए मैंने इस तरफ बहुत ध्यान नहीं दिया। उस समय को अभी मैं याद करता हूँ, तो लगता है कि मैं कई बार फूला हुआ महसूस करता था और उस वक़्त की तस्वीरों में भी यह साफ देखा जा सकता है।

उस दौरान मेरी आंखों के नीचे काफी काला घेरा जमा होने लगा था। तीन महीने से सिर में दर्द भी रहा करता था। हालांकि, इन सारे लक्षणों का कारण नया-नया पिता बनना बताया जा सकता है और यह आराम नहीं मिलने और असमय जागने की वजह से भी हो सकता है।

लगभग सात सालों से मुझे एसिडिटी बहुत होती थी और इस वजह से मैं हेल्दी खाना ही खाता था और ज़्यादातर घर का ही खाना खाता था। एसिडिटी की परेशानी से बचने के लिए मैं सुनिश्चित करता था कि एक भी समय का खाना ना छोड़ना पड़े और खाना हमेशा समय पर ही खाऊं। मैंने एक डॉक्टर से परामर्श किया और और मुझे एक गैस्ट्रिक संबंधित समस्या, जीईआरडी होने का पता चला, जिसमें पेट जरूरत से ज्यादा एसिड बनाता है। दवाओं के साथ लक्षण कम हो जाते हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा था, जो बार-बार होता था।

बाद में, हार्ट अटैक होने के बाद, डॉक्टरों ने कहा कि मैं शायद एनजाइना के दर्द को एसिडिटी समझने की भूल कर रहा था।

सबसे बड़ा सबक

हार्ट अटैक के 6 महीने बाद की तस्वीर

इस पूरी घटना से एक बात मेरी समझ में आई है कि हम अपने शरीर को हल्के में ले लेते हैं। सामान्य रूप से हमारी ऐसी धारणा होती है कि जब तक हम 40-45 साल के नहीं हो जाते हैं, तब तक हम मेडिकल परेशानियों का सामना नहीं करेंगे और खासकर दिल से जुड़ी परेशानियों का तो बिल्कुल भी नहीं। मैं वर्कआउट करने, सही खाने और फिट रहने के लिए सब कुछ करने के बारे में सचेत था और फिर भी मुझे दिल का दौरा पड़ा।

हमें नहीं पता कि हमारे शरीर के अंदर क्या चल रहा है और मैंने जैसे सीखा है, वह कठिन तरीका है। उम्र कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे दिल के दौरे से जोड़ा जा सकता है। इसमें कई सारे कारक भूमिका निभाते हैं, जिसमें जीवनशैली और जेनिटिक भी शामिल हैं। यह एक टाइम-बम पर बैठे होने जैसा है और इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका समय-समय पर स्वास्थ्य जाँच कराना और सभी स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी करना है।”

– राम

डॉक्टर की सलाह

चेन्नई के वेंकटेश्वर अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. सुभाष चंद्र (एमडी) (डीएम) हमें यह समझाने में मदद करते हैं कि दिल का दौरा क्या है और हम कैसे सचेत रह सकते हैं। वह कहते हैं, “दिल का दौरा पड़ने के दौरान, रोगी का दिल केवल आंशिक रूप से रक्त पंप करने की क्षमता खो देता है और कम दक्षता के साथ जारी रहता है। फौरन मेडिकल सहायता से स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। हालांकि, कार्डियाक अरेस्ट के दौरान, दिल काम करना बंद कर देता है।”

क्या हैं लक्षण:

अत्यधिक थकान

सांस लेने में कठिनाई

तेजी से दिल धड़कना

उल्टी

जी मिचलाना

सिर चकराना

पसीना आना

बेचैनी का अहसास

गुरुग्राम के सीटीवीएस, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक और प्रमुख, डॉ. उडगेथ धीर का कहना है –

हृदय संबधी परेशानियों का सामना करने वाले दूसरे लोगों के लिए राम ने एक ग्रुप बनाया है, जिसका नाम इंडिया: हार्ट अटैक एंड हार्ट डीजिज सपोर्ट ग्रुप है। आप भी इस ग्रुप से जुड़ सकते हैं।

मूल लेख- VIDYA RAJA

संपादन – मानबी कटोच

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