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बारिश का पानी नहीं जाता इस घर से बाहर, सोलर कुकर में बनता है, घर में उगी सब्जियों से सेहतमंद खाना

Bengaluru sustainable home

वह कहते हैं न कि प्रकृति के पास हमारे सभी सवालों का जवाब होता है। बेंगलुरु की रहनेवाली रविकला और उनके पति प्रकाश बालिगा भी ऐसी ही सोच रखते हैं। पिछले 13 सालों से वह बेंगलुरु के अपने घर में कुछ ऐसे ही प्रयास में लगे हैं। रविकला हैंडपेंटेड फेब्रिक बनाती हैं, जबकि प्रकाश एक इंजीनियर हैं। उनका 20 साल का एक बेटा है। रविकला कहती हैं, “चूँकि मेरे पति की नौकरी के कारण, हमें हमेशा शहर बदलना पड़ता था, इसलिए कई चीजें हम चाह कर भी नहीं कर पाते थे, जो अब अपने घर में मुमकिन हो पाती हैं।”

हमारे देश में सूरज की रौशनी की कोई कमी नहीं है, जरूरत है उसका सही इस्तेमाल करने की। यह न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए सही है, बल्कि इससे हम अपने खर्च को भी कम कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए हमें अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव लाने पड़ते हैं। रविकला और उनके परिवार ने अपने जीवन शैली को, पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए ऐसे ही कुछ बदलावों को अपनाया है। पेड़-पौधों की शौक़ीन रविकला कई सालों से घर में जगह अनुसार, कुछ न कुछ उगाने का प्रयास करती रहती हैं। जिसके लिए वह किचन के कचरे से कम्पोस्ट भी खुद ही घर पर बनाती हैं। कभी ज्यादा कम्पोस्ट बन जाने पर वह पड़ोसियों के पौधों में भी अपना बनाया कम्पोस्ट डाल देती हैं। घर के बाहर पारिजात और सहजन जैसे कुछ बड़े-बड़े पेड़ हैं, जिससे अंदर काफी ठंडक रहती हैं। यह परिवार AC का इस्तेमाल भी नहीं करता। 

सूर्य की रौशनी का सही इस्तेमाल 

इनके घर में चार सोलर पैनल लगे हैं, जिससे घर में लगा इन्वर्टर चार्ज होता है। इन्वर्टर चार्ज होने के बाद, बची ऊर्जा घर के बाकि इलेक्ट्रिक साधनों में इस्तेमाल होती है। रविकला बताती हैं, “चूँकि यहां बिजली की दिक्क्त थी, इसलिए हमने तक़रीबन 3 साल पहले सोलर इन्वर्टर लगाया। अब पता भी नहीं चलता कब बिजली है और कब नहीं।”

गर्म पानी के लिए छत पर सोलर वाटर हीटर लगा है, जिससे मॉनसून को छोड़कर, साल के 11 महीने अच्छा गर्म पानी मिल जाता है। इससे परिवार को गीजर नहीं चलाना पड़ता और बिजली के बिल में बचत होती है। वहीं पिछले डेढ़ साल से, ये खाना पकाने के लिए सोलर कुकर का इस्तेमाल कर रहे हैं। रविकला ने बताया कि सालों पहले मेरी सास भी सोलर कुकर में खाना बनाया करती थीं। हालाँकि, तब वह बॉक्स वाले कुकर का इस्तेमाल करती थीं। वहीं फिलहाल उनके पास Parabolic solar cooker है।  

वह बताती हैं, “मैं सिर्फ रोटी बनाने के लिए गैस स्टोव का इस्तेमाल करती हूँ। बाकि अगर धुप अच्छी हो, तो इसमें आसानी से कुछ भी बन जाता है।”  हालांकि, आपको इसके लिए धैर्य और समय दोनों लगाना पड़ता है। लेकिन सोलर कुकर में बना खाना सेहत के लिए तो अच्छा होता ही है, साथ ही यह जल्दी खराब भी नहीं होता।” 

घर की उगी सब्जियों को सोलर कुकर में बनाने का आनंद 

चूँकि रविकला को बागवानी का शौक है, इसलिए वह कुछ न कुछ सीजनल पत्तेदार सब्जियां उगाती हैं। उन्होंने बताया, “हमारे इलाके में काफी बंदर भी हैं, जिससे ज्यादा सब्जियां उगाना बहुत मुश्किल हो जाता है। बावजूद इसके हम घर पर पालक, धनिया, पुदीना सहित कुछ एक सब्जियां उगा ही लेते हैं। जिससे हम हफ्ते में एक दिन, घर में उगी सब्जी आराम से खा पाते हैं।”

जैविक तरीके से उगी सब्जियों को प्राकृतिक तरीके से बनाकर खाने में सेहत और स्वाद दोनों मिल जाते हैं। मात्र सात हजार रुपये में, उन्होंने यह सोलर कुकर खरीदा था। जिससे गैस सिलेंडर का उपयोग काफी कम हो गया है, पहले के मुकाबले सिलेंडर तक़रीबन 25 दिन ज्यादा चलता है। 

वह कहती हैं, “सूर्य की रौशनी को बर्बाद होते देख, हमें लगता है, एक और सोलर कुकर ले लेना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा खाना इसमें ही बना सकें।”

किसी भी बदलाव के लिए जरूरी है सोच को बदलना 

अगर आप कर्नाटक में अपना घर बना रहे हैं, तो फिलहाल सरकारी नियम के अनुसार, एक निश्चित प्लॉट साइज के घर में आपको रेन वाटर हार्वेस्टिंग करना अनिवार्य है। हालांकि, बालिगा परिवार के इस घर के साइज के अनुसार यह जरूरी नहीं था। फिर भी, इन्होंने अपने घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए पिट बनवाया है।
रविकला का कहना है, “मैं हमेशा से यह करना चाहती थी। 13 साल पहले, हम यह नहीं कर पाए थे। जिसका मुझे बेहद अफ़सोस था। वहीं जब मुझे पता चला कि घर बनने के बाद भी, इस तरह की व्यवस्था की जा सकती है, तो मैंने और मेरे पति ने 5 साल पहले एक पिट बनवाया।” फ़िलहाल वे, इस पानी को इस्तेमाल में नहीं लेते, बल्कि इसे जमीन के अंदर जाने देते हैं। ताकि जमीन का जल स्तर अच्छा बन सके। 

इस तरह का बदलाव लाने के लिए, आपको अपनी सोच में भी बदलाव लाना जरूरी होता है। वह कहती हैं, “जब भी हम किसी को सोलर कुकर या सोलर ऊर्जा इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं, तो सबसे पहले लोग बचत या कीमत की बात करते हैं। वहीं, हम इसे जीवन जीने का तरीका मानते हैं। अगर हममें से हर कोई थोड़ी-थोड़ी ऊर्जा भी बचा पाए, तो यह पर्यावरण कितना अच्छा होगा।”

आशा है, पर्यावरण के लिए किये गए इनके छोटे-छोटे प्रयासों से आपको भी प्रेरणा जरूर मिली होगी। 

अगर आप रविकला और प्रकाश से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें pravikala72@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।

संपादन – मानबी कटोच

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