Site icon The Better India – Hindi

‘मिट्टी महल’: मात्र चार लाख में तैयार हुआ यह दो मंजिला घर, चक्रवात का भी किया सामना

Mitti Mahal

एक घर जिसके चारो ओर सह्याद्री पर्वतमाला के पहाड़, घर से 900 फुट पर डैम और कुछ दुरी पर सालों पुराना शंकर भगवान का मंदिर है, जरा कल्पना करें उस घर में रहना कितना सुखद अनुभव होगा। दो साल पहले, जब पुणे के आर्किटेक्ट कपल ने अपने फार्महाउस के लिए पुणे से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर, ऐसी सुंदर जगह पर जमीन खरीदी, तब वे नहीं चाहते थे कि यहां कंक्रीट की कोई इमारत बनाएं। 

हालांकि, उन्हें यह अंदाजा भी नहीं था कि दो साल के अंदर वह यहां अपने लिए मिट्टी का महल बना लेंगे। जी हाँ, मात्र मिट्टी और बांस का इस्तेमाल करके उन्होंने इस दो मंजिला फार्महाउस को तैयार किया है। आज ये दोनों, शहर की भीड़-भाड़ से दूर यहीं रहकर अपना काम कर रहे हैं और सिर्फ प्रोजेक्ट्स के सिलसिले में ही बाहर जाते हैं।

जब वह घर बना रहे थे, तब गांव के लोगों ने उन्हें कहा कि इस इलाके में हर साल भारी बारिश होती है और डैम के कारण यहां हवा की गति हमेशा तेज़ रहती है। लेकिन इन दोनों को विश्वास था कि मिट्टी का इस्तेमाल करके बने किले सालों-साल खड़े रहते हैं, तो हमारा घर क्यों नहीं रहेगा। 

बेटर इंडिया से बात करते हुए वे बड़ी ख़ुशी के साथ बताते हैं कि इस साल महाराष्ट्र में आए तूफानी च्रक्रवात के दौरान, हमारे इस घर ने 100 किमी प्रति घंटे की तेज हवाओं का सामना किया है, बावजूद इसके घर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। 

अर्थ बैग से बनाई दीवार

सागर शिरुडे और युगा आखरे

साल 2020, दिवाली के समय उन्होंने एक एकड़ जमीन खरीदी थी, जिसके बाद दिसंबर में उन्होंने यहां बॉउंड्री वॉल बनाने से शुरुआत की। वे इस जमीन में पत्थर से वॉल बनाना चाहते थे। जब उन्होंने कंपाउंड वॉल बनाने का काम शुरू किया और मिट्टी की खुदाई शुरू की, तब उन्हें लगा कि इस मिट्टी को क्यों बेकार जाने दें और पत्थर में पैसे क्यों खर्च करें?

तभी उनके दिमाग में अर्थ बैग से दीवार बनाने का ख्याल आया। उन्होंने सीमेंट की खाली बोरियों में मिट्टी और चुना भरकर अर्थ बैग बनाया और एक सस्टेनेबल घर बनाने की शुरुआत की। युगा कहती हैं,”आर्मी के बंकर आमतौर पर इसी तरह की दिवार से तैयार किए जाते हैं। हमने कुछ ऐसा ही प्रयोग किया, जो सफल भी रहा। इसके बाद, एक के बाद एक प्रयोग करके हमने अपने पूरे घर को तैयार किया।”

पूरी बॉउंड्री की दीवार के लिए, उन्होंने 3500 मिट्टी की बोरियों की ईंटें बनाईं, जिससे जमीन के स्तर से 3 फुट नीचे और जमीन के स्तर से 4 फुट की ऊंचाई पर दीवार बनी है। इसके बाद, पहले उन्होंने मिट्टी और बांस से एक स्टोर रूम बनाया। उसमें सफलता मिलने के बाद, उन्होंने धीरे-धीरे पूरे घर को मिट्टी से बनाने का फैसला किया। 

स्थानीय वस्तुओं का किया बेहतरीन इस्तेमाल

सागर ने अपनी इंटर्नशिप के दौरान, दक्षिण भारत से बेम्बू का काम सीखा था। इसके अलावा, उन्होंने थन्नाल (Thannal) में जाकर मिट्टी के घर बनाने की 10 दिन की वर्कशॉप भी की थी। अपनी उस ट्रेनिंग का इस्तेमाल, उन्होंने अपना घर बनाने के लिए बखूबी किया। घर को कैसे पूरी तरह से सस्टेनेबल बनाया जाए, इसके लिए उन्होंने स्थानीय संसाधनों के बारे में जाना।

मिट्टी का महल

सागर कहते हैं, “इस घर के लिए हमने स्थानीय रूप से उपलब्ध बांस का उपयोग किया है। इस बांस को हमने सिर्फ आधे किमी की दूरी से खरीदा था। जबकि घर बनाने में हमारे फार्म की ही लाल मिट्टी और घास का उपयोग हुआ। दीवार प्रणाली के लिए पास के जंगल से हमने कार्वी स्टिक और बांस की चटाई का इस्तेमाल किया। वहीं, घर का ढांचा तैयार करने के लिए हमने, Wattle & daub और  COB wall system को अपनाया। जबकि मिट्टी का मिश्रण- लाल मिट्टी,  चुना, भूसी, हरीतकी यानी हरड़ का पानी, गुड़, नीम के साथ गौ मूत्र और गाय के गोबर को मिलाकर बनाया गया।”

घर की जमीन के लिए भी उन्होंने मिट्टी और गाय के गोबर का इस्तेमाल किया है। जिसमें हर हफ्ते गाय के गोबर से लिपाई की जाती है। उन्होंने चार महीने टेंट में रहकर, स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इस घर को बनाया था। वह कहते हैं कि स्थानीय लोगों की मदद से हमें कम खर्च में इसे तैयार करने में मदद मिली। 

गांव के लोगों ने पहली बार देखा दो मंजिला घर 

इस घर में नीचे के भाग में एक बरामदा, बैठक, रसोई और बाथरूम है, जबकि ऊपर की  ओर एक और कमरा और छत बनाई गई है। ऊपर के भाग में बांस से ही छत बनाई गई है। बाथरूम के लिए टाइल का इस्तेमाल चुने के साथ किया गया है। इस तरह से यह पूरा घर बिना सीमेंट और कंक्रीट के बनकर तैयार हुआ है।  पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल तकनीक अपनाने की वजह से इस घर के अंदर का तापमान बाहर से कम रहता है। सागर ने बताया कि इस साल उन्होंने गर्मी, बिना एसी और पंखे के बिताई है। 

Kitchen And Drawing room

गांव के लोगों को शुरुआत में इस तरह की प्रणाली पर विश्वास नहीं था। लेकिन आज कई लोग दूर-दूर से इस मिट्टी महल को देखने आ रहे हैं। उन्होंने भारी बारिश से बचाव के लिए घर की छत से एक्सटेंशन्स दिए हैं। जिससे पानी बाहरी दीवारों को ज्यादा छू नहीं पाता। हालांकि युगा ने बताया कि यहां की तेज बारिश को देखते हुए हमने यह महसूस किया कि हमें बांस से बने एक्सटेंशन को बढ़ाने की जरूरत है। 

सागर कहते हैं, “गांववाले अब अपने हर मेहमान को हमारा घर दिखाने लेकर आते हैं। जब से यह घर बना है, तब से आस-पास के कई लोग, सरकारी असफर और मुंबई से कई आर्किटेक्ट हमारे घर का दौरा करने आ चुके हैं।” इस दो मंजिला घर को बनाने का खर्च मात्र 500 रुपये प्रति स्क्वायर फ़ीट के हिसाब से तक़रीबन चार लाख रुपये आया है। 

किचन गार्डन में उगती हैं सब्जियां 

चूँकि उनके पास कुल एक एकड़ ज़मीन है, जिसमें से उन्होंने 1200 स्क्वायर फिट का यह घर बनाया है और कुछ जगहों पर उन्होंने पेड़-पौधे व कुछ मौसमी सब्जियां भी उगाई हैं। इसके अलावा, यह इलाका लोनावला के पास होने के कारण एक बढ़िया टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी है। इसलिए आने वाले दिनों में सागर कुछ और मिट्टी के कमरे बनाने के बारे में सोच रहे हैं, जिसमें लोग शहर से दूर, मड हाउस में रहने का मज़ा ले सकें। 

सागर ने बताया,”सोशल मिडिया के जरिए यह घर आस-पास के इलाकों में इतना मशहूर हो गया है कि कई अनजान लोग यहां आने की इच्छा जताते हैं। इसलिए मैं कुछ और ऐसे कमरे बनाने की सोच रहा हूँ, जहां मैं कुछ मेहमानों का स्वागत कर सकूं। यहां टेंट होटल्स तो कई हैं, लेकिन इस तरह का मिट्टी का घर नहीं है।”

फिलहाल वे यहां अपने पांच कुत्तों और एक बिल्ली के साथ रहते हैं। यह घर सागर और युगा के जीवन का टर्निंग प्वाइंट है। आने वाले समय में वे कंक्रीट के घर के बजाय, इसी तरह पर्यावरण के अनुकूल काम करना चाहते हैं। 

संपादन – अर्चना दुबे

यह भी पढ़ें:  बेंगलुरु में बनाया मिट्टी का घर, नहीं लिया बिजली कनेक्शन, जीते हैं गाँव जैसा जीवन

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version