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नन्ही कली प्रोजेक्ट बदल रहा लड़कियों का जीवन, 26 सालों में 5 लाख लड़कियों की मिली शिक्षा

Mahindra Rise : Project Nanhi Kali is changing lives of girls, educated of 5 lakh girls in 26 years

यह नन्ही कली प्रोजेक्ट (Project Nanhi Kali) लेख, महिंद्रा राइज़ द्वारा प्रायोजित है।

उसके दिन की शुरुआत सुबह पांच बजे हो जाती है। उसका पूरा दिन घड़ी की टिकटिक के साथ-साथ घूमता रहता है। छोटी और बड़ी सुइयां उसे समय बताती रहती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि वह काम के लिए लेट न हो। दूसरी तरफ घड़ी यह भी याद दिलाती रहती है कि दिन में उसे कितना ज्यादा काम करना है। घर से लेकर बाहर तक, अपने कंधो पर तमाम ज़िम्मेदारियां लिए, वह हर दिन एक लड़ाई लड़ती रहती है।

आप सोच रहे होंगे कि यह किसकी कहानी है। यह किसी एक की कहानी नहीं है, बल्कि 15 से 17 की उम्र की स्कूल न जानेवाली 3.3 करोड़ लड़कियों की जिंदगी कुछ ऐसी ही है। जिस उम्र में इन लड़कियों को पढ़ना चाहिए, स्कूल जाना चाहिए और भविष्य के बड़े-बड़े सपने देखने चाहिए, उस उम्र में ये लड़कियां अपना ज्यादातर समय दूसरों की देखभाल में बिताती हैं।

ये खुद के अलावा, घर के सारे दूसरे सदस्यों का ख्याल रखती हैं। सामाजिक-आर्थिक असमानता और जेंडर बायस के चक्र में फंसी ये लड़कियां वह जीवन नहीं जी पातीं, जिसकी ये हकदार हैं।

इसी निराशा और अंधकार को दूर करने के लिए आनंद महिंद्रा ने ‘नन्ही कली’ नाम से एक प्रोजेक्ट शुरु किया है। 1996 में शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट का मकसद शिक्षा के माध्यम से युवा लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश करना है।

क्या है ‘नन्ही कली’ प्रोजेक्ट (Project Nanhi Kali)?

प्रोजेक्ट ‘नन्ही कली’ ने भारत के 14 राज्यों में 5,00,000 से अधिक लड़कियों का जीवन बदला है।

‘नन्ही कली’ प्रोजेक्ट का मानना ​​है कि लड़कियों की शिक्षा सीधे तौर पर कई मुद्दों से जुड़ी हुई है, जैसे कि बाल और मातृ मृत्यु दर में कमी, बाल पोषण में सुधार, स्वास्थ्य, वित्तीय सशक्तिकरण आदि।

‘नन्ही कली’ एक अखिल भारतीय प्रोजेक्ट है, जिसका संचालन के. सी. महिंद्रा एजुकेशन ट्रस्ट और नंदी फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। यह उन लड़कियों को 10 साल की स्कूली शिक्षा पूरी करने में सहायता करती है, जिन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। अब तक, ‘नन्ही कली’ प्रोजेक्ट ने भारत के 14 राज्यों में 5,00,000 से अधिक लड़कियों का जीवन बदला है।

जीवन की नई राह पाने वाली इन्हीं लड़कियों में से एक हैं, मनीषा बैरवा। मनीषा, मध्यप्रदेश के श्योरपुर जिले के राधापुरा गांव की रहनेवाली हैं। मनीषा का परिवार खेती-बाड़ी का काम करता है।

क्या है इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य?

6 सदस्यों के परिवार में केवल मनीषा के पिता ही काम करते हैं, जिससे बड़ी मुश्किल से उनका गुज़ारा होता है। हालांकि, मनीषा के माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे, लेकिन उनकी माली हालत ऐसी नहीं थी, जिससे वह उनका दाखिला स्कूल में करा सकें।

लेकिन, ‘नन्ही कली’ प्रोजेक्ट (Project Nanhi Kali) में शामिल होने के बाद, मनीषा की जिंदगी बदल गई है। इस प्रोजेक्ट के ज़रिए उसे काफी सहायता मिली है। मनीषा को नियमित तौर पर शैक्षणिक सहायता (एक एडटेक लर्निंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच सहित), स्कूल सप्लाई, स्त्री स्वच्छता सामग्री के साथ-साथ नैतिक समर्थन भी मिला। उनकी क्षमता को देखते हुए, उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित भी किया गया है।

आज सरकारी स्कूल जाटखेड़ा में, मनीषा सबसे प्रतिभाशाली छात्रों में से एक हैं। स्कूल में मनीषा की अटेंडेंस सबसे ज्यादा है। वह बाल-सरपंच भी हैं। मनीषा अपने कई साथियों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा हैं। इतना ही नहीं, अपने लीडरशिप गुणों के कारण अपने समुदाय में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली है। ‘नन्ही कली’ का उदेश्य अपनी नियति खुद लिखने वाली सशक्त और स्वतंत्र महिलाओं का निर्माण करना है और मनीषा इस प्रोजेक्ट के लक्ष्य की एक बेहतरीन उदाहरण है।

नन्ही कली ने रीलीज़ की है एक फिल्म

एक शिक्षित लड़की न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार, अपने समुदाय और राष्ट्र के लिए भी सफलता की नींव रखती है।

के.सी. महिंद्रा एजुकेशन ट्रस्ट की ट्रस्टी और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, शीतल मेहता कहती हैं, “नन्ही कली में, हम मानते हैं कि हर लड़की को स्कूल जाना चाहिए। एक शिक्षित लड़की न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार, अपने समुदाय और राष्ट्र के लिए भी सफलता की नींव रखती है। ‘नन्ही कली’ ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच के साथ, भारत में 5,00,000 से अधिक लड़कियों को सशक्त बनाया है। यह केवल सीखने की खुशी के बारे में नहीं है, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात लड़कियों में आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की भावना पैदा करना है।”

इस विचार को ध्यान में रखते हुए, प्रोजेक्ट नन्ही कली (Project Nanhi Kali) ने एक फिल्म रीलीज़ की है, जो शक्तिशाली भावनाओं को उजागर करते हुए लड़कियों की शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालती है।

फिल्म में उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों के एक समुदाय में रहनेवाली दो महिलाओं के जीवन को दिखाया गया है। इन दोनों का ही नाम लाजो है। इनमें से एक युवा लड़की है, जो बड़े-बड़े सपने देखती है और दूसरी घर-गृहस्थी में डूबी हुई है। उनका जीवन, अलग-अलग होते हुए भी, दोनों में बहुत समानताएं हैं। ऐसा क्यों है, जानने के लिए यहां क्लिक करें।

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