बच्चों के स्कूल बैग (वजन पर सीमा) बिल, 2006 के मुताबिक बच्चों के स्कूल बैग का वजन उनके शरीर के वजन के दस प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। साथ ही, राज्य सरकारों को यह निर्देशित किया गया है कि वे सुनिश्चित करें कि स्कूल बच्चों को भारी किताबें रखने के लिए लॉकर की सुविधा प्रदान करते हैं और बैग के माप के लिए मानकों का पालन करते हैं।
हालांकि, ये दिशा-निर्देश आज भी सिर्फ़ कागजों पर हैं और बच्चे अभी भी भारी-भरकम बैग के साथ स्कूल आते-जाते हैं ,
गुजरात के अहमदाबाद में भागड़ी सरकारी प्राथमिक स्कूल के 41-वर्षीय प्रिंसिपल आनंद कुमार खलस की एक अनोखी पहल से स्कूल बैग के वजन को काफ़ी कम किया जा सकता है।
प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को हर दिन सभी विषयों की किताबें और कॉपी बैग में लानी पड़ती हैं। इससे उनके स्कूल बैग का वजन काफ़ी बढ़ जाता है। इसे कम करने के लिए आनंद कुमार ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम को सिर्फ़ 10 किताबों में व्यवस्थित किया है। सभी विषयों के एक महीने के सिलेबस को एक ही किताब में लगाया है।
हर एक किताब में एक-एक महीने का सिलेबस है। इसके चलते अब बच्चों को सभी किताबें लाने की ज़रूरत नहीं है। अब उन्हें महीने में सिर्फ़ वही किताब लानी होगी जिसमें उस महीने का सिलेबस है।
“इस पहल को एजुकेशन इनोवेशन फेयर में गुजरात काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (GCERT) ने एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर अपनाया है और इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है।”
आनंद कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जब उन्होंने हर रोज अपनी बेटी को इतना भारी स्कूल बैग ले जाते देखा तो उन्होंने इस विषय में कुछ करने की ठानी। उन्होंने अन्य कुछ शिक्षकों से इस बारे में बात की और सभी किताबों को अलग-अलग करने का फ़ैसला किया। उन्होंने हर एक विषय की किताब से सिलेबस का वह हिस्सा लिया, जो एक महीने के दौरान पढ़ाया जायेगा और उन पन्नों को साथ में जोड़कर एक किताब बनायी। सिलेबस के बाद कुछ खाली पन्ने भी क्लास-वर्क के लिए रखे गये हैं।
अब बच्चे हर महीने सिर्फ़ एक किताब के साथ स्कूल आ सकते हैं। इस पहल से 2-5 किलोग्राम का वजन अब मात्र 500-750 ग्राम रह गया है।
संपादन – मानबी कटोच