Site icon The Better India – Hindi

अपनी आधी तनख्वाह गरीब छात्रों की किताबो में खर्च कर देता है यह कोलकाता का यह शिक्षक !

गाँवों में प्राथमिक शिक्षा तक पढ़ते मेधावी बच्चे भी अक्सर शिक्षा से दूर हो जाते हैं। क्योंकि प्राइमरी स्कूल में मुफ्त या कम खर्चे में पढ़ने वाले बच्चे आर्थिक तंगी की वजह से आगे की पढाई का खर्च नहीं उठा पाते और ज्यादातर बच्चे पढ़ना छोड़ देते हैं।

और इस तरह देश की न जाने कितनी प्रतिभाएं उभर ही नहीं पाती। उन्हें न तो पढ़ने का मौका मिलता है और ना ही अपनी प्रतिभा को निखारने का।

लेकिन दुनियां में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो थोड़ा ही सही अपने स्तर से जी-जान लगाकर हालात बदलने में लग जाते हैं। फिर चाहे वो अकेले ही क्यों न हो, अपने हर संभव प्रयास से अँधेरे में भी रौशनी का एक दिया जला ही देते हैं।

ऐसी ही कुछ कहानी है हमारे आज के नायक की।

हावड़ा के सरकारी स्कूल में टीचर ध्रुबज्योति सेन अपनी तनख्वाह के आधे पैसे से ऐसे बच्चों को पढ़ने में मदद करते है। ध्रुबज्योति गणित पढ़ाते हैं और ऐसे बच्चों के लिए हरदम तैयार खड़े होते हैं।

दसवीं पास कर चुके ऐसे छात्र जो विज्ञान में रुचि रखते हैं, उन्हें ध्रुबज्योति निशुल्क पढ़ाते हैं।

 

Photo source: Dhrubajyoti’s Facebook Account

उनके दरवाजे फिलहाल हावड़ा, हुगली और कोलकाता के बच्चों के लिए खुले हैं।

ध्रुबज्योति उन बच्चों की पढाई से सम्बंधित पूरी जिम्मेदारी उठाते हैं। उन्हें किताबों से लेकर कोचिंग के पैसे का इंतज़ाम वे खुद ही करते हैं।

आर्थिक कारणों से स्कूल छोड़ चुके बच्चों के नाम उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर पोस्ट किया है।

 

ध्रुबज्योति कहते हैं, “इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाबजूद भी कई और जरुरतमंद बच्चे छूट जाते हैं. क्योंकि मैं इस अभियान में अभी अकेला हूँ”

 

इसके साथ-साथ ध्रुबज्योति अपने कुछ साथी अध्यापकों के  बच्चों को आईआईटी-जेेईई और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी भी करवाते हैं।

वे बताते हैं, “इन प्रवेश परीक्षाओं की किताबें बहुत महंगी होती हैं ऐसे में तीन से चार हज़ार महिना कमाने वाले इनके पिता इन्हें नहीं पढ़ा सकते।”

 

ध्रुबज्योति अपनी आखिरी सांस तक इसी तरह पढ़ाते रहना चाहते हैं और एक ख्वाहिश और है कि उनके बाद उनकी बेटी इसे आगे बढ़ाए।

यदि आपको ये कहानी पसंद आई हो या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें contact@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।

Exit mobile version