माजरा, देहरादून के रहने वाले बिजेंद्र एक एटीएम में चौकीदार का काम करते है, पर जैसे ही दिन ढलता है और सड़कों की बत्त्तियाँ जलती है, तब बिजेंद्र जो करते है, वह हर किसी के लिए एक प्रेरणा है।
कभी आर्मी में काम कर चुके, बिजेंद्र का दिन देहरादून में स्थित बैंक ऑफ़ अलाहबाद के एटीएम की चौकीदारी करने से शुरू होता है।
पर शाम होते होते उनके इर्द गिर्द बच्चो का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। कुछ बेघर बच्चे, कुछ भीख मांगने वाले बच्चे, कुछ मज़दूर और कुछ झुग्गियों में रहने वाले- ये सारे इस चौकीदार के पास चले आते हैं, क्यूंकि वे जानते हैं कि यह इंसान उन्हें कुछ ऐसा दे सकता है, जो आज तक उन्हें नहीं मिल पाया- शिक्षा का उपहार।
ATM के सामने बने बरामदे में छनती हुई नीली रौशनी में करीब 24 बच्चे रोज़ बिजेंद्र से पढ़ने आते हैं।
बिजेंद्र के मुताबिक़ पिछले 16 सालों से वे ऐसे बच्चों को पढ़ा रहे है और आज उनमें से कई अच्छी नौकरी पा चुके हैं। वे कहते है कि ऐसा करने से उन्हें ख़ुशी के साथ-साथ आत्मसंतुष्टि भी मिलती है। बिजेंद्र शाम को 6 बजे से 9 बजे तक इन बच्चों को पढ़ाते हैं। हर घंटे वे 6 बच्चों को पढ़ाते हैं। इन बच्चों के लिए कॉपी-किताबों का खर्च वे अपनी जेब से ही देते हैं।
ऐसी पहल की जितनी सराहना की जाए, वह कम है। हम बिजेंद्र की इस कोशिश को सलाम करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इस से प्रेरित होकर और लोग भी आगे बढ़ कर समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान देंगे।